Rajasthan Forest Department: राजस्थान में टाइगर ''लापता'' है...! सरिस्का से टाइगर एसटी-2305 जंगलों में भटक गया है. सरिस्का से जयपुर के जमवारामगढ़ के जंगलों में टाइगर को भटके  6 दिन हो गए,लेकिन वन विभाग टाइगर को ट्रेंकुलाइज नहीं कर पाया,हालांकि वन विभाग के कैमरों में तस्वीरे जरूर कैद हुई. टाइगर अपनी टेरिटरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे. क्या टाइगर की बढ़ती संख्या के कारण सरिस्का छोटा हुआ? क्योंकि 27 महीने के बाद सरिस्का के दूसरे टाइगर ने दस्तक दी,एसटी 2303 सरिस्का से निकलकर हरियाणा पहुंच गया था. 

 

राजस्थान में एक बार फिर से टाइगर लापता है. सरिस्का से टाइगर अबकी बार जयपुर तक पहुंच गया जबकि पिछले 3 महीने पहले ही एक टाइगर सरिस्का से हरियाणा तक पहुंचा था. जिसको वन विभाग की टीम ने ट्रेंकुलाइज कर लिया था, लेकिन जयपुर आए टाइगर कुछ है दिन बाद भी ट्रेंकुलाइज नहीं कर पाए है.

 


 

जयपुर से 35 किलोमीटर दूर लापता-

जयपुर जिले में 27 महीने के बाद सरिस्का के दूसरे टाइगर ने दस्तक दी है. इससे पहले 24 अगस्त 2022 को एसटी - 24 अजबगढ़ से चलकर जमवारामगढ़ आया था. जो अभी रायसर रेंज के निम्भी क्षेत्र में मौजूद है. यह क्षेत्र जयपुर से करीब 35 किलोमीटर दूरी पर है.वहीं, अब एसटी - 2305 ने 28 नवंबर को जयपुर जिले में दिखा है. फिलहाल टाइगर एसटी - 2035 ने रायसर रेंज के दांतली नाके के कानी खोर में डेरा डाल रखा है. यह क्षेत्र जयपुर से लगभग 57 किलोमीटर दूर है.

 

क्या टाइगर रिजर्व छोटा पड़ने लगा?

सरिस्का टाइगर रिजर्व में टाइगर की आबादी लगभग 43 के आसपास पहुंच गई है. ऐसे में सरिस्का टाइगर रिजर्व का क्षेत्र छोटा पड़ने लगा है. टाइगर अपनी टेरिटरी की तलाश में इधर-उधर भटक रहे हैं. पिछले दिनों टाइगर एसटी 2303 सरिस्का से निकलकर हरियाणा पहुंच गया था. उसे करीब ढाई महीने की मशक्कत के बाद ट्रेंकुलाइज कर रामगढ़ विषधारी भेज दिया गया. अब इसी का भाई एसटी - 2305 तीन महीने जंगलों में भटकने के बाद सरिस्का से निकल 28 नवंबर की रात रायसर रेंज के कानी खोर क्षेत्र में पहुंच गया.

 


 

टाइगर के मिले पग-मार्ग

वन कर्मियों को गश्त के दौरान टाइगर के पगमार्ग दिखाई दिए हैं. पगमार्क देखने पर तुरन्त स्टाफ ने सरिस्का मॉनिटरिंग टीम को सूचना दी. इस पर क्षेत्रीय वन अधिकारी टहला और उनकी मॉनिटरिंग टीम ने आकर पग मार्क देखें.29 नवंबर को कानीखोर जंगल की ओर जाते हुए पगमार्क देखे गए. कानीखोर वन क्षेत्र में टाइगर का मूवमेन्ट होने के कारण वन क्षेत्र में ट्रेप कैमरा लगाए गए. इसके बाद 1 दिसंबर की रात को टाइगर की तस्वीर कैमरा में ट्रैप हो गई. तब रेंज रायसर और अजबगढ की टीमों को टाइगर की मॉनिटरिंग के लिए लगा दिया गया. जहां लगातार टाइगर की निगरानी के लिए वन कर्मियों द्वारा गश्त की जा रही है.

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