Rajasthan Gangaur 2024: राजस्था में धूमधाम से मनाया गया गणगौर पर्व, की गई ईसर-गणगौर की पूजा
Rajasthan Gangaur 2024: राजस्थान में गणगौर पर्व गुरुवार को श्रद्धा और उत्साह से मनाया गया. गणगौर पूजा से पहले महिलाएं कुए हैंडपंप से जल लेकर घर मंदिर पहुंची और 16वें दिन की पूजा में लीन हो गई.
Rajasthan Gangaur 2024: प्रदेश में 16 दिवसीय गणगौर उत्सव पूर्वक मनाया गया. 16 दिन तक महिलाएं 16 सिंगार कर ईसर गणगौर की पूजा करती हुई नजर आई. आज गणगौर पूजा से पहले महिलाएं कुए हैंडपंप से जल लेकर घर मंदिर पहुंची और 16वें दिन की पूजा में लीन हो गई.
महिलाओं ने बताया जितना उत्साह गणगौर के शुरू होने का था, उससे कहीं ज्यादा निराशा गणगौर को विदा करने में हो रही है लेकिन फिर भी खुशी का माहौल है कि अगले साल फिर गणगौर आएगी और हम सब महिलाएं एक साथ मिलकर 16 दिन का गणगौर पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाएंगे. महिलाओं ने गणगौर पर्व की महत्ता को बताते हुए कहा कि पूरे साल भर गणगौर पर्व खाने का इंतजार करते हैं.
इन 16 दिनों में 16 श्रृंगार कर मां पार्वती और भगवान शिव की पूजा करते हैं. मां पार्वती को भगवान शिव ने अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान दिया. उसी समय मां पार्वती ने यह आशीर्वाद दुनिया के सभी महिलाओं को दिया तब से ही इस पर्व को मनाने का चलन है.
शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए 16 सिंगार कर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती है. वहीं, कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की चाहत में 16 दिन तक पूजा करती हैं. आज के दिन कहानी सुनाने का भी चलन है. महिलाएं पूजा करने के बाद कहानी सुनती हैं फिर अपना व्रत खोलती हैं.
टोंक में गणगौर पूजा
इसके अलावा टोंक के पीपलू कस्बे सहित क्षेत्र में गुरुवार को गणगौर पर्व धूमधाम से मनाया गया. धुलंडी के दिन से चल रहे गणगौर पर्व का गुरुवार को समापन हुआ.
पीपलू कस्बे के श्रीचारभुजा मंदिर क्षेत्र सहित जगह-जगह सामूहिक रूप से गणगौर का पूजन करने वाली महिलाएं, युवतियां गुरुवार को कस्बे के भूतेश्वर शिवालय पहुंचकर गाजे-बाजे के साथ पारंपरिक तरीके से कलश और लोटे में पानी, दूब और रंग-बिरंगे फूल लाकर घरों में ईसर-गणगौर का पूजन किया. कई महिलाएं गणगौर का उद्यापन भी कर रही हैं. गणगौर पर सुहागिनों, कुंवारी युवतियों ने आकर्षक ड्रेस कोड में नजर आईं. घरों में आटे से बने मीठे गुणे भी बनाए गए है.
डीडवाना में गणगौर पर्व
गणगौर पर्व गुरुवार को श्रद्धा और उत्साह से मनाया गया. इस मौके पर घरों और मंदिरों में महिलाओं ने मिट्टी से बनाई गई गणगौर और ईसरजी की प्रतिमाओं की पूजा की. साथ ही गणगौर माता को मेहंदी, हल्दी, ज्वारे चुनरी भेंट कर मैदा आटे के बने मीठे तीखे गुणे का भोग लगाया गया.
श्रृंगार के प्रतीक इस त्यौहार पर गुरुवार को महिलाओं ने समूह बनाकर गणगौर माता के गीत भी गाए नगरपालिका पार्क से जेल लाकर व ईसर गणगौर के दर्शन कर पूजा की. हाथ में पूजा की थाली लिए और सोलह श्रृंगार से सजी महिलाओं ने गणगौर माता की पूजा अर्चना कर पति की लंबी उम्र और समृद्वि लिए प्रार्थना की.
इस दौरान महिलाओं ने गौरी माता की कथा सुनाई. नवरात्रि के तीसरे दिन यानी चैत्र मास शुल्क पक्ष की तीज के दिन गणगौर माता यानी मां पार्वती की पूजा की जाती है. गणगौर त्योहार भगवान शिव की पत्नी देवी गौरी के सम्मान में मनाया जाता है, जो ताकत, बहादुरी और वैवाहिक प्रतिबद्धता का उदाहरण हैं.
महिलाएं अपने जीवनसाथी की भलाई के लिए प्रार्थना करती हैं और एकल महिलाएं एक अनुकूल पति की तलाश करती हैं. यह त्यौहार राजस्थानी संस्कृति और महिलाओं की अपने पतियों के प्रति समर्पण को दर्शाता है. महिलाएं गणगौर पूजन के दौरान गौर गौर गोमती, ईसर पूजे पार्वती आदि गीत गा कर पूजन करती हैं.
बेगूं में गणगौर पूजा
बेगूं उपखण्ड क्षेत्र बेगूं के नगर एवं ग्रामीण अंचल में गुरुवार को भारतीय संस्कृति में महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखने वाला गणगौर पर्व बड़ी ही श्रद्धा एवं विश्वास के साथ मनाया गया.
इस अवसर पर क्षेत्र भर की महिलाओं एवं युवतियों ने व्रत रख कर शिव मंदिरों तथा मां दुर्गा के मंदिरों पर पहुंचकर ईसर, गणगौर के रूप में शिव पार्वती की विधिपूर्वक पूजा अर्चना की एवं आटे से निर्मित गहने एवं फल अर्पण कर घर में सुख शांति की कामना की. वहीं, सुहागिन महिलाओं ने अपने सुहाग की लंबी उम्र मांगी और युवतियों ने इछित वर का आशीर्वाद मांगा.
गणगौर पर्व के अवसर पर महिलाओं एवं युवतियों ने नगर के सिद्धेश्वर महादेव से ढ़ोल धमाकों के साथ सेवरा निकाला और गणगौर पर्व से जुड़ी पौराणिक कथाओं का श्रवण किया और बड़ों का आशीर्वाद लिया.
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