जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीडित को पक्षकार बनाना जरुरी नहीं-`राजस्थान हाईकोर्ट`
Jaipur news: राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए कहा है कि सभी तरह की जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीडित को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है.
Jaipur news: राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ की ओर से भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए कहा है कि सभी तरह की जमानत याचिकाओं में परिवादी या पीडित को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. जस्टिस अरुण भंसाली व पंकज भंडारी की खंडपीठ ने यह आदेश पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं पर भेजे गए रेफरेंस को तय करते हुए दिया.
शिकायतकर्ता व पीडित को सुनवाई का मौका
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने शिकायतकर्ता व पीडित को सुनवाई का मौका देने के लिए कहा है, लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि उन्हें जमानत याचिकाओं में पक्षकार बनाया जाए. अदालत ने कहा कि पीडित पक्ष को कोई भी अधिकार देते समय यह भी जरूरी है कि आरोपी के अधिकारों की भी रक्षा की जाए.
पीडित को पक्षकार बनाए जानें का आदेश
प्रकरण से जुडे अधिवक्ता प्रहलाद शर्मा ने बताया कि हाईकोर्ट की एक एकलपीठ ने 8 अगस्त 2023 के दिए अपने आदेश में कहा था कि सभी जमानत याचिकाओं में पीडित को भी पक्षकार बनाया जाए, ताकि वह भी अपना पक्ष रख सके. इसके साथ ही एकलपीठ ने हाईकोर्ट प्रशासन को भी इस संबंध में आवश्यक निर्देश जारी करने को कहा था.
दो अलग-अलग मत
जिस पर हाईकोर्ट प्रशासन ने 15 सितंबर को इस संबंध में निर्देश जारी कर जमानत याचिकाओं में पीडित या शिकायतकर्ता को जरूरी तौर पर पक्षकार बनाए जाने का निर्देश दिया. वहीं बाद में दूसरी एकलपीठ ने पूजा गुर्जर व अन्य की जमानत याचिकाओं में अपना मत दिया कि ऐसे मामलों में परिवादी या पीडित पक्ष को पक्षकार बनाना जरूरी नहीं है. इसके साथ ही एकलपीठ ने प्रकरण में दो अलग-अलग मत होने के चलते इस बिंदु को तय करने के लिए खंडपीठ में भेज दिया था .