Rajasthan high court: राजस्थान हाईकोर्ट ने मोहिनी देवी की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए बड़ा आदेश दिया है. राजस्थान हाईकोर्ट ने कृषि सचिव, कृषि निदेशक और सवाई माधोपुर कृषि उपज मंडी के सचिव से पूछा है कि किसान की मौत के बाद उसके आश्रितों को नियमानुसार मुआवजा राशि जारी क्यों नहीं की गई है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह की एकलपीठ ने यह आदेश मोहिनी देवी की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

यह भी पढ़े: गोदाम में लगी आग, लाखों के पटाखे जलकर हुए राख! महिला की मौत 


गेहूं निकालते समय किसान की मौत
याचिका में अधिवक्ता धर्मेन्द्र शर्मा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता का पति मुकेश कुमार मीणा 28 मार्च, 2021 को कृषि कार्य कर रहा था. इस दौरान मशीन से गेहूं निकालते समय उसके पति के सीने में दर्द हुआ और उसकी मौत हो गई. याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार की राजीव गांधी कृषक साथी सहायता योजना के तहत कृषि कार्य करने के दौरान मौत होने पर किसान को मुआवजा राशि देने का प्रावधान है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने इस योजना के तहत कृषि उपज मंडी, सवाई माधोपुर में आवेदन किया था.


यह भी पढ़े:  5 करोड़ 29 लाख 31 हजार 152 मतदाता चुनेंगे राजस्थान की सरकार, समझें वोटों का गणित


मंडी सचिव ने खारिज की मुआवजा
वकील धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि मंडी सचिवम ने 28 अप्रैल, 2022 को उसका आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया कि कृषक की मौत प्राकृतिक रूप से हुई है. ऐसे में यह दुर्घटना सीधे तौर पर कृषि कार्य से जुड़ी ना होने के कारण उसे मुआवजा नहीं दिया जा सकता. याचिका में इस कार्रवाई को चुनौती देते हुए कहा गया है कि कृषि विपणन निदेशालय की वर्ष 2009 की गाइड लाइन के तहत कृषि कार्य के दौरान मौत होने पर मृत किसान के आश्रित मुआवजे का हकदार हैं. याचिकाकर्ता के पति की मौत गेहूं निकालने के दौरान हुई है और यह कृषि कार्य की श्रेणी में ही आता है. इसलिए उसे नियमानुसार मुआवजा दिलाया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.