Jaipur: मुख्य सचिव निरंजन आर्य के निर्देश भी अधिकारियों पर असर नहीं कर रहे हैं.  सीएस ने आसानी से RTI (Right to Information) के तहत सूचना उपलब्ध कराने के लिए कई बार अधिकारियों को निर्देश दिए. इसके बाद भी अधिकारी सूचना देने की बजाय छिपाने में विश्वास कर रहे हैं. सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर राज्य सूचना आयोग ने इसे गंभीरता से लिया है. आयोग ने सूचना नहीं देने पर 5 अधिकारियों पर 5-5 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है. 


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राज्य सूचना आयोग ने नागरिकों को सूचना अधिकार कानून के तहत सूचना मुहैया कराने में कोताही बरतने पर नाराजगी जाहिर की है. आयोग ने एक ब्लॉक शिक्षा अधिकारी (block education officer) , एक नगर पालिका अधिशासी अधिकारी और 3 तहसीलदारों पर यह जुर्माना लगाया है. आयोग ने जुर्माने की यह राशि इन अधिकारियों के वेतन से काटने का आदेश दिया है. इसके साथ ही उसकी एक प्रति भी मांगी है. कुछ अन्य मामलों में आयोग ने अधिकारियों को चेतावनी के साथ छोड़ा है. 


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केस-1
भीलवाड़ा जिले में सहाड़ा के बाबूलाल सेन के मामले में सुनवाई करते हुए ब्लॉक शिक्षा अधिकारी के रवैये पर नाराजगी व्यक्त की और उन पर पांच हजार रूपये की शास्ति अधिरोपित की है. सेन ने स्थानीय विभाग से एक निजी स्कूल में सर्व शिक्षा अधिकार के तहत प्रवेश का विवरण मांगा था, लेकिन शिक्षा अधिकारी दो साल तक मामले को लटकाए बैठे रहे. अब सूचना आयुक्त नारायण बारेठ ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारी को विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक 15 दिन में सेन को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. आयोग ने अपने आदेश की प्रति भीलवाड़ा के जिला शिक्षा अधिकारी को भेजने का निर्देश दिया है. 


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केस-2
उनियारा नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी पर स्थानीय नागरिक मुजम्मिल अहमद को सूचना देने में कोताही बरतने पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया है. अहमद लम्बे समय से नगर पालिका से अपने सूचना आवेदन पर कार्यवाही का इंतजार कर रहे थे, लेकिन जब पालिका ने नहीं सुनी तो आयोग का रुख किया. अहमद ने पालिका से पेयजल कनेक्शन संबधी जानकारी मांगी थी. आयोग ने इसे गंभीरता से लिया और पालिका को पंद्रह दिन में समुचित कार्यवाही करने का निर्देश दिया. 


केस-3
इसके साथ ही आयोग ने ऋषभदेव के तहसीलदार पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है. आयोग ने यह आदेश ऋषभदेव के जीआर मीणा के आवेदन पर सुनवाई के दौरान दिया. मीणा ने वर्ष 2019 में तहसील से संविधान की पांचवी अनुसूची के तहत आदिवासी समुदाय के जमीन संबंधी एक मामले में सूचना मुहैया कराने का आग्रह किया था, लेकिन तहसीलदार ने उसकी उपेक्षा की. आयोग ने जब तहसीलदार से जवाब तलब किया तो तहसीलदार ने उसकी भी उपेक्षा की. इस पर सूचना आयुक्त बारेठ ने अप्रसन्नता व्यक्त की और पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया. आयोग ने तहसीलदार को पंद्रह दिन में मीणा को सूचना मुहैया कराने का निर्देश दिया है. 


राज्य सूचना आयोग ने दो अलग-अलग मामलों में उदयपुर के वल्लभनगर और बूंदी में केशवरायपाटन के तहसीलदारों पर पांच पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाने का निर्देश दिया है. आयोग ने सुनवाई के दौरान कहा कि इन अधिकारियों ने सूचना अधिकार कानून की अवहेलना की और आम अवाम के सूचना हासिल करने के अधिकार की अनदेखी है. लिहाजा आयोग ने आदेश की प्रति उनके वरिष्ठ अधिकारियों भेजने का निर्देश दिया है.