Aravalli range: अरावली पहाड़ियों में खनन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को फ्री हैंड दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने टी एन गोदावर्दन बनाम भारत सरकार मामले की सुनवाई करते हुए दिशानिर्देश जारी किए हैं. जस्टिस बी . आर . गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया है कि, अरावली रेंज में अगर खनन का कार्य पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है तो राज्य सरकार अरावली रेंज में गतिविधियों को रोक भी सकती है. साथ ही  उसे ऐसा करने से कोई नहीं रोक सकता. 


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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अरावली रेंज में खनन कार्यों के नवीनीकरण और निरंतरता को लेकर दायर आवेदनों पर सुनवाई कर रहा हैं. सुप्रीम कोर्ट ने खनन के लिए आए आवेदनों को लेकर सरकार को कहा है कि, राज्य सरकार कानून का पालन करते हुए इन आवेदनों पर विचार कर सकती हैं.


न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया, जिसे पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की निगरानी के लिए न्यायालय के जरिए गठित किया गया। कोर्ट ने पाया कि आवेदक(आवेदकों) का खनन पट्टा अरावली पहाड़ियों में नहीं आता है और इसके अलावा कोई अवैध खनन नहीं पाया गया. हालांकि, इसमें आगे यह भी कहा गया  है कि हालांकि भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट किसी भी अवैध खनन का समर्थन नहीं करती है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि ये क्षेत्र अरावली हिल रेंज के अंतर्गत आते हैं. 


 गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की निगरानी के लिए कोर्ट के जरिए गठित कमेटी की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया है. सुप्रीम कोर्ट ने खनन के पट्टे जारी करने के लिए CEC को इस बिंदु पर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है. जिसमें कोर्ट ने कहा है कि, क्या अरावली पहाड़ियों और पर्वतमालाओं के वर्गीकरण को जारी रखने की आवश्यकता है.


न्यायालय ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी अवलोकन किया, जिसे पर्यावरण से संबंधित मुद्दों की निगरानी के लिए न्यायालय के जरिए गठित किया गया। कोर्ट ने पाया कि आवेदक(आवेदकों) का खनन पट्टा अरावली पहाड़ियों में नहीं आता है और इसके अलावा कोई अवैध खनन नहीं पाया गया. हालांकि, इसमें आगे यह भी कहा गया  है कि हालांकि भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट किसी भी अवैध खनन का समर्थन नहीं करती है, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि ये क्षेत्र अरावली हिल रेंज के अंतर्गत आते हैं. 


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