Rajasthan News: परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली में अब पूरी तरह पारदर्शिता लागू करने की तैयारी है. परिवहन विभाग की फील्ड में चैकिंग करने वाली फ्लाइंग अब कैमरे की नजर में होगी. विभाग ने शुरुआत में जयपुर की 2 फ्लाइंग में कैमरे लगाए हैं. हालांकि जल्द ही प्रदेशभर की फ्लाइंग में कैमरे लगाए जा सकते हैं. 


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क्या है नई कवायद
बजट में परिवहन विभाग की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता लाने की बात कही गई है. इसके लिए आबकारी और वाणिज्य कर विभाग की तर्ज पर फेसलैस मैनेजमेंट लागू किया जाएगा. इसे लेकर परिवहन विभाग ने पारदर्शिता लाने की कवायद शुरू कर दी है. प्रदेशभर में परिवहन विभाग के उड़नदस्तों में कैमरे लगाए जा रहे हैं. 



यह फैसला पिछले महीने डिप्टी सीएम डॉ. प्रेमचंद बैरवा की एक बैठक में हुआ था. शुरुआत में जयपुर की दो फ्लाइंग में कैमरे लगाने का निर्णय किया गया है. इसके तहत जयपुर आरटीओ प्रथम और जयपुर आरटीओ द्वितीय की एक-एक फ्लाइंग में कैमरे लगाए गए हैं. इन दोनों फ्लाइंग के वाहनों के अंदर कैमरे लगाए गए हैं. 



इन कैमरों से उड़नदस्ता दल द्वारा किए जा रहे कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग को मुख्यालय में देखा जा सकेगा, साथ ही दल की आवाज भी यहां रिकॉर्ड हो सकेगी. जरूरत पड़ने पर उड़नदस्ते के सदस्यों को मुख्यालय से कैमरों के जरिए निर्देश भी दिए जा सकेंगे. इन दोनों कैमरों के परिणाम के आधार पर जल्द ही प्रदेशभर में परिवहन उड़नदस्तों में कैमरे लगाने का निर्णय किया जाएगा.


फ्लाइंग में कैमरे, क्या है योजना ?
- जयपुर में 2 RTO उड़नदस्तों के वाहनों पर लगाए गए कैमरे


- RTO प्रथम में परिवहन निरीक्षक भारतेंदु पचौरी के उड़नदस्ते में लगे कैमरे
- जयपुर RTO द्वितीय में मुकुंद राठौड़ के वाहन में लगाए गए


- गाड़ी के अंदर 2 कैमरे लगाए, एक सामने की तरफ, दूसरा अंदर का दृश्य दिखाएगा
- 4-4 बाॅडी कैमरे भी परिवहन उड़नदस्तों को दिए जा रहे


- एक कैमरा परिवहन निरीक्षक अपनी वर्दी पर लगाएंगे
- जबकि 2 गार्ड और एक ड्राइवर को भी लगाने होंगे वर्दी पर कैमरे


- एक उड़नदस्ते पर कैमरों का खर्च करीब 2 लाख रुपए आएगा
- वाहन की छत पर 360 डिग्री कैमरे की थी योजना, लेकिन महंगा, इसलिए अभी नहीं लगेगा


- कैमरों से बातचीत भी सुनी जा सकेगी परिवहन मुख्यालय में



विभाग में कैमरे लगाने के निर्णय के साथ ही इसे लेकर कई सवाल भी खड़े हो रहे हैं. दरअसल विभाग में पूर्व में भी पारदर्शिता लाने के लिए जो कदम उठाए गए, वे प्रैक्टिकल नहीं होने के चलते विफल साबित रहे हैं. 2 साल पूर्व परिवहन विभाग के सभी उड़नदस्तों को पीडब्ल्यूएम मशीनें दिए जाने का फैसला किया था. ये मशीनें फील्ड में नकारा साबित हुई और ज्यादातर मशीनें खराब पड़ी हुई हैं. इसी तरह विभाग द्वारा उड़नदस्ता वाहनों में लगाए गए जीपीएस ट्रैकर डिवाइस भी अब जंग खा चुकी हैं और कोई उपयोग साबित नहीं हो रहा है.


कैमरों के साथ फेसलैस मैनेजमेंट ?


- परिवहन विभाग में फेसलैस मैनेजमेंट सिस्टम भी लागू होगा
- परिवहन विभाग इसके लिए एक कमेटी बना रहा


- वाणिज्य कर, आबकारी की तर्ज पर फेसलैस मैनेजमेंट की व्यवस्था लागू होगी
- व्यवस्था में आवेदकों के दस्तावेजों का परीक्षण किसी भी कार्मिक से कराना संभव


- इससे परिवहन कार्यालयों के अंदर भ्रष्टाचार में कमी आने की बात कही जा रही
- रोड पर वाहन चैकिंग को लेकर भी ई-डिटेक्शन प्रणाली लागू होगी


- यानी केवल दस्तावेज चैक करने के लिए उड़नदस्ते वाहन नहीं रोक सकेंगे
- गाड़ी नंबर से वाहन के दस्तावेज ऑनलाइन ही जांचने होंगे


- वाहन के ओवरलोड या अन्य खामियां दिखने पर ही वाहन की जांच कर सकेंगे  



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