Jaipur News: राजस्थान में भले ही दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरी देने से इनकार किया जाता है, लेकिन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मनाना है कि आज बच्चे दो ही अच्छे नहीं, बल्कि तीन या चार अच्छे हैं. संघ के वरिष्ठ प्रचारक और स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संगठक सतीश कुमार ने कहा कि तीन या चार बच्चे पैदा करना देश को विकसित भारत बनाने की जरूरत है. 2047 में विकसित भारत में बुड्ढों का देश बनकर नहीं जाना चाहते हैं, बल्कि युवा एवं गतिमान जनसंख्या के साथ जाना है. 


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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहनराव भागवत और राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार के बाद संघ से अजीबो गरीब बयान सामने आया है. संघ के अनुषांगिक संगठन स्वदेशी जागरण मंच के स्वालम्बी भारत अभियान के तहत जवाहर नगर सेवाधाम में चल रहे जयपुर प्रांत विचार वर्ग और कार्यशाला के समापन सत्र में इस तरह का बयान सामने आया. कार्यशाला में संघ के वरिष्ठ प्रचारक और स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह संगठक सतीश कुमार मुख्य वक्ता के तौर पर शामिल थे. 


सतीश कुमार ने कहा कि पहले छोटा परिवार, सुखी परिवार कहते थे, लेकिन अब हम कहते हैं बड़ा परिवार सुखी परिवार. सतीश कुमार ने कहा कि वो ऐसे ही नहीं कह रहे ये बात बल्कि आर्थिक गतिविधियों और आबादी के रिप्लेसमेंट रेशो के आधार पर कह रहे हैं. अभी इनंटरनेशनल स्टैंडर्ड 2.1 है जबकि हमारे यहां 1.9 प्रतिशत है जबकि यह 2.2 प्रतिशत होना चाहिए. इसका मतलब यह है कि एक महिला अपने जीवन काल में दो से ज्यादा बच्चे पैदा करनी चाहिए. अब यह होना चाहिए कि दो या तीन बच्चे घर व देश को रखते अच्छे, पांच या छह नहीं, लेकिन दो या तीन जरूरी है, हालांकि चार भी हो सकते हैं. 


भारत की इकॉनोमिकी और परिवार की स्टेबिलीटी के लिए यह जरूरी है. वहीं, दूसरी ओर आजकल दो या एक बच्चे हो गए हैं, कहीं कहीं एक भी नहीं की धारना है. बच्चे तीन या चार भी हों तो बड़ी बात नहीं है इस दृष्टिकोण से आगे बढ़ना होगा. 


बुड्ढों का नहीं युवाओं का विकसित भारत 
सतीश कुमार ने दावा किया कि उन्होंने ज्यादा बच्चों की बात यूं ही नहीं बोली, बल्कि दो बड़े रिसर्च के बाद कही है. रिसर्च में सामने आया कि कुछ देशों की जीडीपी क्या थी और जनसंख्या कम होने से जीडीपी डाउन हुई. ऐसे में तय किया गया है कि युवा एवं गतिमान जनसंख्या 2047 में जानी चाहिए. बुड्ढों का देश बनकर नहीं जाना चाहते हैं. वृद्ध भारत अपेक्षा नहीं है बल्कि युवा एवं गतिमान जनसंख्या वाला भारत चाहिए.


सतीश कुमार ने कहा कि समृद्ध एवं सर्वाच्च अर्थव्यवस्था होगी तो भारत विकसित होगा. अभी भारत विश्व में पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है. हम 2025 में चौथी 2026 के बाद तीसरी हो जाएंगे, लेकिन तीसरी से दूसरी और दूसरी से पहली आने में समय लगेगा. वर्ष 2047 में भारत विश्व की एक नम्बर व्यवस्था बनेगा और युवा बनाएंगे. एक आर्थिक रिपोर्ट कहती है तो देश की युवा शक्ति पूर्णतया रोजगार युक्त हो जाए तो इकॉनोमिकी 40 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगी. 


अमेरिका देश नहीं ओपन एयर हॉस्पिटल, पर इकॉनिमी से शक्ति 
सतीश कुमार ने कहा कि आर्थिक दृष्टि से हम 500 साल नम्बर वन रहे हैं. बीच में चार सौ साल में अर्थव्यवस्था गडबड़ा गई लेकिन वर्तमान में जिस प्रकार से सारी चीजें चल रही है तो भारत को आर्थिक शक्ति बनने से विश्व में कोई नहीं रोक सकता है. समाज ने भी इसे स्वीकार किया है. विश्व का नेतृत्व करना है तो आर्थिक रूप से सशक्त होना होगा. अमेरिका के पास, न परिवार शैली है, न वेद पुराण और न ही जीवन मूल्य या यूं कह सकते हैं कि साइंस टेक्नॉलोजी को छोड कोई सिस्टम नहीं है. अमेरिका देश नहीं है ओपन एयर हॉस्पिटल है, लेकिन 26 ट्रीलियन डॉलर के साथ नम्बर वन है. दूसरे नम्बर पर 18 ट्रिलियन इकॉनीमी के साथ चाइना है. 


विकसित भारत और महान भारत में फर्क है 
सतीश कुमार ने कहा कि कोई भी सरकार देश को महान नहीं बना सकती है. सरकार महान बना भी नहीं सकती है. वो आर्थिक दृष्टि से विकास कर सकती है, लेकिन महान बनाने के लिए जीवन मूल्य खड़े करने होते हैं. सरकार में पूर्ण रोजगार करने के लिए युवकों में रोजगार की भावना लाना है. भावना भरना सरकारों का काम नहीं है लेकिन सरकार की सीमाएं होती है. विकसित भारत बना सकते हैं.  अच्छी बिजली, पानी, सड़क, व्यवस्था एयरपोर्ट बने प्रमख आर्थिक व समृद्धि के काम से विकसित बनाएंगे. 


राजनीतिक दल नौकरी को रोजगार मानते हैं
सतीश कुमार ने कहा कि राजनीतिक दल नौकरी को ही रोजगार मानते हैं, जबकि देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए युवकों को रोजगार वो भी स्वदेशी होना चाहिए. ऐसे में हमारा प्रयास स्टार्टअप शुरू करवाने की है. नौकरियां दस प्रतिशत से भी नीचे है जबकि 90 प्रतिशत नौकरियां नहीं मिलती है. राजनीतिक दल और सरकारें नेरेटिव चलाते हैं, यह समस्या देखने का दष्टिकोण है. शिक्षा को रोजगार से जोड़ना जरूरी है. 


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