Rajasthan news: प्रस्तावित समलैंगिक विवाह के लिए कानून के विरोध में जयपुर में शुक्रवार को साधू संतों और समाज प्रमुखों ने राज्यपाल कलराज मिश्र से मुलाकात की.  सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को लेकर चल रही बहस के बीच शुक्रवार को जयपुर में संत समाज और समाज प्रमुख, विहिप पदाधिकारी राजभवन पहुंचे. उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र को कानून के विरोध में प्रदेश के संतों के साथ ही समाज लोगों की भावनाएं पहुंचाई तथा विरोध में राष्ट्रपति और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के नाम ज्ञापन सौंपा. उन्होंने करीब आधा घंटे तक राज्यपाल को समाज और परिवार की सांस्कृतिक विरासत को खत्म करने वाले इस कानून के दुष्परिणाम बताए. राज्यपाल कलराज मिश्र ने उनकी बात राष्ट्रपति सहित सभी सम्बंधित लोगों तक पहुंचाने का आश्वासन दिया .


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भारत में पापाचार नहीं होगे स्वीकार-स्वामी बालमुकुंदाचार्य महाराज
ज्ञापन के बाद मीडिया से बात करते हुए अखिल भारतीय संत समिति प्रमुख स्वामी बालमुकुंदाचार्य महाराज ने कहा कि इस तरह का पापाचार भारत में स्वीकार नहीं किया जाएगा. राज्यपाल के जरिए राष्ट्रपति और न्यायाधीश से आग्रह किया गया है कि इस विषय पर भारत में बात भी नहीं हो, वरना आम जनता के साथ मिलकर आंदोलन किया जाएगा. उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में समाज की प्रमुख धुरी है परिवार और इसे ही खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.
 समलैंगिक सम्बंधों की बात करना पाप
 समाज में समलैंगिक सम्बंधों की बात करना भी पाप है, तो फिर कानून क्यों ? हम इस कानून को नहीं बनने देंगे . राज्यपाल को ज्ञापन दिया है, यदि ज्ञापन के बाद भी सुनवाई नहीं होती है तो विरोध स्वरूप देशभर में आदोलन चलाया जाएगा. विहिप के प्रदेश मंत्री सुरेश उपाध्य ने कहा कि समाजों के प्रमुख साधु सीबीआई को भी पत्र लिखकर अपनी भावना से अवगत कराएंगे.


समलैंगिक में संतान पैदा नहीं हो सकती
रामानंद विरक्त संत मंडल के प्रमुख हरिशंकर वेदांती ने कहा कि समलैंगिक में संतान पैदा नहीं हो सकती. परिवार समाज नष्ट हो जाएंगे. यह दुराचार पापाचार नहीं होने देंगे. जो कानून की मांग कर रहे हैं, उन्हें दंडित दिया जाना चाहिए. वेदांती ने कहा कि इस तरह का काम तो पशु पक्षी भी नहीं करते हैं, मानव जीवन तो उनसे कहीं ऊंचा है. क्या मनुष्य पशु पक्षियों से भी नीचे गिरेगा. परिवार की संस्कृति की प्रेरणा हमारे शास्त्र हैं और इनके आधार पर ही सनातन संस्कृति चल रही है. खंडेलवाल समाज प्रमुख चंद्रमनोहर बटवाडा ने कहा कि अप्राकृतिक व्यवस्था लागू करने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है. इससे प्रकृति ही नष्ट हो जाएगी. संतों के साथ ही समाज की जिम्मेदारी हे कि वो अपसंस्कृति से समाज की रक्षा करें.


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