Rajasthan News: राजस्थान में OBC मुसलमानों के आरक्षण पर संकट के बादल छाए हुए हैं. सामाजिक न्याय मंत्री अविनाश गहलोत बोले- कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी में आरक्षण दिया जिसका अब सरकार रिव्यू करेगी. पश्चिम बंगाल में भले ही सीएम ममता बनर्जी मुसलमानों को ओबीसी में दिए आरक्षण की पैरवी कर रही हैं, लेकिन राजस्थान की सरकार ओबीसी में आरक्षण पाने वाली मुस्लिम जातियों के मामले की समीक्षा करेगी. 


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सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत ने कहा कि अगर यह आरक्षण संवैधानिक दायरे में नहीं हुआ, तो इस पर सरकार पुनर्विचार करेगी. गहलोत ने कहा कि एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर ओबीसी मुसलमानों के आरक्षण की समीक्षा होगी. गहलोत ने कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों पर तुष्टीकरण के आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस राज में तुष्टीकरण के चलते इस तरह के आरक्षण के प्रावधान किए गए. राजस्थान में ओबीसी में आरक्षण ले रही 14 मुस्लिम जातियों के आरक्षण पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं. 


देश में कोलकाता हाईकोर्ट के फैसले के बाद चर्चा में आए मुस्लिम आरक्षण के मुद्द पर अब प्रदेश में भी चर्चा हो रही है. यहां कांग्रेस राज में ओबीसी की 14 से ज्यादा जातियों को अलग-अलग समय में ओबीसी आरक्षण दिया गया था. इनमें से कई जातियां ऐसी हैं जो हिंदू और मुस्लिम दोनों धर्मों में हैं. इस मामले पर सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री अविनाश गहलोत कहते हैं कि ओबीसी में शामिल मुस्लिम जातियों के आरक्षण का रिव्यू करेंगे. 


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गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ने तुष्टिकरण की राजनीति के तहत अलग-अलग समय पर मुस्लिम जातियों को ओबीसी को आरक्षण दिया बाबा साहब अंबेडकर ने संविधान में प्रावधान किया था कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता. कांग्रेस ने साल 1997 से लेकर 2013 के बीच अलग-अलग समय मुसलमानों की जातियों को ओबीसी में शामिल कर लिया. गहलोत ने कहा कि अब उनकी सरकार और विभाग इसका रिव्यू करेंगे.


संविधान में धार्मिक आधार पर आरक्षण की मनाही का हवाला देते हुए अविनाश गहलोत कहते हैं कि जो काम संविधान सम्मत नहीं है. उसे सही कैसे ठहराया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जिन 14 मुस्लिम जातियों को ओबीसी का आरक्षण दिया गया, उसकी समीक्षा करवाएंगे. सामाजिक न्याय मंत्री ने कहा कि सरकार को कई शिकायतें भी मिली हैं और उन शिकायतों की भी जांच करवाई जाएगी. गहलोत ने कहा कि भविष्य में उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर इस मामले में फैसला करेंगे.


ओबीसी में किसी जाति को शामिल किया जाए या नहीं इसकी समीक्षा कराने और रिपोर्ट तैयार करना राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में आता है, लेकिन किसी जाति को शामिल करना और निकालने की प्रक्रिया बहुत पेचीदा है. राज्य सरकार को सर्वे के जरिए यह साबित करना होगा कि कोई जाति अब आर्थिक और सामाजिक रूप से इतनी सक्षम हो गई है कि उसे आरक्षण की दरकार ही नहीं है. इसके लिए सभी जातियों का सर्वे कर क्वांटिफाइड डाटा इकट्ठा करना होगा. 


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जिन जातियों को आरक्षण से बाहर किया जाएगा वे मामले को कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं और उन्हें आरक्षण की लिस्ट से बाहर करने के फैसले को न्यायसंगत ठहराना कोर्ट में मुश्किल हो सकता है. राजस्थान में अभी OBC में 91 जातियां शामिल हैं. पहले ओबीसी में रही गुर्जर जाति के साथ ही राइका, रेबारी, बंजारा और गाड़िया लुहार को ओबीसी की लिस्ट से हटाकर अब एमबीसी यानि मोस्ट बैकवर्ड कास्ट की लिस्ट में शामिल कर लिया गया है. बरहाल मुसलमानों में आने वाली 14 जातियां ऐसी हैं. जो राजस्थान में ओबीसी आरक्षण के दायरे में आती हैं.