Birth-Death Act: बर्थ-डेथ एक्ट में बदलाव के बाद अब कई नए नियम जोड़े गए है. इसके तहत अब निकायों-पंचातयों में कोई भी जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार पंजीकरण करने या प्रमाण पत्र जारी करने में आनाकानी करता है, तो उसके खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान किया है. साथ ही अब राज्यों को अपने यहां दर्ज होने वाले जन्म-मृत्यु के डेटा को भी केन्द्र से रेगुलर शेयर करना होगा. राज्य सरकारों को अब अपने यहां दर्ज होने वाले जन्म-मृत्यु के डेटा को केंद्र सरकार को भी रेगुलर शेयर करना होगा. बर्थ-डेथ एक्ट में बदलाव के बाद अब कई नए नियम जोड़े गए है. 


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जिसमें निकायों-पंचातयों में कोई भी जन्म-मृत्यु रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु पंजीकरण करने या प्रमाण पत्र जारी करने में आनाकानी करता है. तो उसके खिलाफ कार्यवाही का प्रावधान किया गया हैं. जन्म और मृत्यु पंजीकरण के नियमों में बदलाव के पीछे मुख्य मकसद यह है कि इससे केंद्र और राज्य स्तर पर जन्म और मृत्यु का डेटाबेस तैयार किया जा सके. इस संबंध में हाल ही में मुख्य रजिस्ट्रार ने एक आदेश जारी किए है. 


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अधिकारियों पर जुर्माने का भी प्रवाधान रखा
वहीं इस आदेश में आनाकानी करने वाले अधिकारियों पर जुर्माने का भी प्रवाधान रखा है. मुख्य रजिस्ट्रार से जारी आदेशों के मुताबिक अगर कोई रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार अपने क्षेत्र में हुई जन्म-मृत्यु की घटना के बाद सूचना देने वाले को प्रमाण पत्र देने या रजिस्ट्रेशन करने में बिना कोई कारण के इनकार करता है तो उस पर 250 रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. 


ऐसा पहली बार हो रहा है. जब रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार पर जुर्माने का भी प्रावधान किया हो इसके अलावा रजिस्ट्रार या उप रजिस्ट्रार की ओर से अगर कोई ऐसा आदेश या कार्रवाई की जाती है, जिससे कोई व्यक्ति व्यथित होता है तो उस कार्रवाई के खिलाफ मुख्य रजिस्ट्रार या जिला रजिस्ट्रार के यहां अपील कर सकता है. ये अपील का प्रावधान भी इस बार जोड़ा गया है. व्यक्ति के अपील करने के 90 दिन के अंदर मुख्य रजिस्ट्रार या जिला रजिस्ट्रार को उसका निस्तारण करना जरूरी होगा. 


मुख्य रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु भंवर लाल बैरवा ने बताया कि इसी तरह अगर कोई हॉस्पिटल, नर्सिंग होम या अनाथालय या अन्य संस्था अपने यहां हुई जन्म-मृत्यु की घटना की जानकारी देने में देरी करता है तो उस पर भी जुर्माना राशि को बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दिया. पहले ये राशि 50 रुपए या उससे भी कम लगती थी. 


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केन्द्र से रेगुलर शेयर करने के आदेश
वहीं केन्द्र सरकार से मिली गाइड लाइन में इस बार राज्यों को अपने यहां दर्ज होने वाले जन्म-मृत्यु के डेटा को भी केन्द्र से रेगुलर शेयर करने के आदेश है. इसका सभी राज्यों को सख्ती से पालन करना जरूरी है. बैरवा ने बताया कि इसका मुख्य उदेश्य जनगणना का सही डेटा कलेक्शन करना है. क्योंकि कई बार जनगणना में देरी होती है, ऐसे में जन्म-मृत्यु के सही आंकड़े से इसका कैलकुलेशन करना आसान हो जाता है. बहरहाल, बर्थ-डेथ एक्ट में बदलाव से सहूलियत आम जनता को मिलेगी. क्योंकि अब तक जिम्मेदारों पर कोई जुर्माने का प्रावधान नहीं था.


 लेकिन अब जब समय पर जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट नहीं मिलेगा तो अफसर को जेब से जुर्माना भरना होगा. साथ में जन्म-मृत्यु की सूचना समय पर न देने की वजह से आ रही परेशानी को ध्यान में रखते हुए अस्तपाल सहित अन्य संस्थान को प्रत्येक जन्म या मृत्यु के संबंध में एक हजार रुपए तक का जुर्माना भरना होगा.