पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों को नहीं मिल रहा शिकार, आहार संकट से बढ़ रहा टकराव
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पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों को नहीं मिल रहा शिकार, आहार संकट से बढ़ रहा टकराव

Panna Tiger Reserve: पन्ना टाइगर रिजर्व में फिलहाल बाघों के आहार का संकट दिख रहा है, बाघों का पर्याप्त शिकार नहीं मिलने से उनका इंसानों के साथ टकराव बढ़ रहा है.

पन्ना टाइगर रिजर्व में शिकार की कमी

पन्ना टाइगर रिजर्व के वन परिक्षेत्र में पिछले कुछ महीनों में बांघों और इंसानों का टकराव बढ़ा है. आम तौर पर बाघ इंसानों को ज्यादा नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों में इंसानों पर बाघों के हमलों के कई मामले आए हैं. 9 दिसंबर को ही हिनौता रेंज में तीन बाघों ने एक महिला का शिकार किया था. वन विशेषज्ञों का कहना है कि पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघों के लिए पर्याप्त शिकार नहीं मिलने से उनका इंसानों के साथ टकराव बढ़ रहा है. दरअसल, पन्ना टाइगर रिजर्व में फिलहाल 80 बाघ हैं, लेकिन यहां शाकाहारी जीवों की संख्या कम बची है. 

पन्ना टाइगर रिजर्व में शाकाहारी जीवों की कमी 

दरअसल, पन्ना टाइगर रिजर्व का इलाका बड़ा है. लेकिन यहां शाकाहारी जीवों की कमी हो गई है. आंकड़ों के हिसाब से 40,000 शाकाहारी वन्यजीव‎ होने चाहिए, लेकिन फिलहाल यहां इनकी संख्या 26 हजार ही बची है. बाघ ज्यादातर चीतल और सांभर जैसे जानवरों का शिकार करते हैं, लेकिन इनकी संख्या पिछले तीन सालों में यहां तेजी से घटी है. जानकारों का भी कहना है कि वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने के लिए पन्ना टाइगर रिजर्व में पर्याप्त कदम नहीं उठाए गए, जिससे यहां के बाघ अक्सर इंसानी बस्ती वाले इलाकों का रुख कर लेते हैं. 

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वहीं पीटीआर की 2021 और 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक पन्ना टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1645.08 वर्ग किलोमीटर है, इस हिसाब से यहां बाघों के रहने लायक जंगल 800 वर्ग किलोमीटर तक सीमित है. लेकिन इसमें बाघों की घनत्व दर प्रति 100 वर्ग किलोमीटर ही रह गई है. हालांकि कान्हा टाइगर रिजर्व से तो ज्यादा है, लेकिन फिर भी यहां 50 बाघ ही रह सकते हैं, लेकिन फिलहाल बाघों की संख्या 80 है. पन्ना टाइगर रिजर्व प्रशासन का भी कहना है कि बाघों के लिए शाकाहारी वन्यजीवों की कमी है, लेकिन इसके लिए एक प्लान बनाया गया था, उस पर काम शुरू नहीं हो पाया था. लेकिन अब दूसरे प्लान पर काम किया जा रहा है. 

दरअसल, पन्ना टाइगर रिजर्व में कई बार इंसानों और बाघों के बीच टकराव दिखा है, पिछले कुछ सालों में यह बढ़ गया है. जंगल से लगे गांवों में पहले बाघ कम ही आते थे. लेकिन पिछले कुछ समय में वह अक्सर गांव की तरफ आ जाते हैं. ऐसे में बाघों के हमले के मामले भी बढ़े हैं. 

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