Rajasthan Politics: विधानसभा चुनाव संपन्न हो गए हैं. प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो गया. लेकिन दूसरी तरफ कई जगह पार्टियों और नेताओं की राजनीतिक लाइन में भी बदलाव दिख रहा है. सत्ता में वापसी का कॉन्फिडेंस दिखाने वाली कांग्रेस अपनी हार से थोड़ी परेशान है. तो उधर बीजेपी में भी कुछ नेता अपनी हार से व्यथित हैं.


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 तारानगर में चुनाव हारने वाले सात बार के विधायक राजेंद्र राठौड़ तो खुद अपने आसपास के जयचंदों पर सवाल उठा चुके हैं. उधर कांग्रेस पार्टी ध्रुवीकरण जैसे मुद्दों से पिछड़ने की बात कह रही है. ऐसे में हर किसी का अपना अलग जयचंद दिख रहा है.


अशोक गहलोत का कॉन्फिडेंस ने दिया जवाब 
महंगाई राहत कैंप और कांग्रेस सरकार की गारंटियों पर सवार कांग्रेस पार्टी चुनाव में हार गई. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सत्ता में वापसी को लेकर कॉन्फिडेंट थे. लेकिन उनका कॉन्फिडेंस कुछ मुद्दों के आगे जवाब दे गया. गहलोत कहते हैं कि उन्होंने बीजेपी और उसके केंद्रीय नेताओं को चुनौती दी थी, कि अगर वह मुद्दों पर बहस करना चाहते हैं, विकास में खामी बताते हैं तो चुनावी मैदान में बात करें. 


जबकि भाजपा विकास की बजाय पूरे चुनाव को ध्रुवीकरण की तरफ ले गई. गहलोत कहते हैं कि देश के ऐसे हालात चिंता पैदा करने वाले दिखते हैं.


 बड़े-बड़े दिग्गज भी धराशाई


एक तरफ इस चुनाव में सत्ताधारी पार्टी चित हुई. तो चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे कई बड़े-बड़े दिग्गज भी धराशाई हो गए. बीजेपी के बड़े चेहरे और सात बार के विधायक राजेंद्र राठौड़ इस बार चूरू से सीट बदलकर तारानगर से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन हार गए.


 राजेंद्र राठौड़ ने आसपास के जयचंदों पर सवाल उठायें 
 राठौड़ ने अपनी हार के बाद पहली बार पार्टी के भीतर काम करने वाले जयचंदों और विभीषणों पर सवाल उठाए. राठौड़ ने कहा कि जनता का यह फैसला स्वीकार्य है, लेकिन वह कांग्रेस से नहीं बल्कि आस-पास के जयचंदों से हारे हैं. राठौड़ के एक समर्थक ने तो सीधे-सीधे राम सिंह कस्वां और उनके परिवारजनों पर राठौड़ के खिलाफ चुनाव में काम करने का आरोप लगा दिया. 


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