Rajasthan Pride, Akal Wood Fossil Park: 'जुरासिक' शब्द जैसे ही हमारे कानों से टकराता है, हमारे जहन में घने जंगल और विशालकाय डायनासौरों ((Dinosaur)) की तस्वीर कौंध जाती हैं. ये सब वो कल्पनाएं हैं, जो हमें फल्मों के माध्यम से दिखाई गई हैं. सच तो ये है, कि जुरासिक (Jurassic) काल में क्या था, और क्या नहीं, ये सब हमें भू-वैज्ञानिक बताते है. ऐसे ही भू-वैज्ञानिकों की एक टीम शुक्रवार को जयपुर से जैसलमेर (Jaisalmer) पहुंची, जिन्होंने जैसलमेर पास मौजूद जुरासिक काल (Jurassic Period) की चट्टानों का परीक्षण किया. भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण की टीम ने इस दौरान बड़ी रोचक जानकारियां दीं.


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जैसलमेर में मौजूद हैं जुरासिक काल की चट्टानें


जैसलमेर की प्रचीन चट्टानों की जांच के बाद भू-वैज्ञानिक ने बड़े रोचक खुलासे किए.  भू-वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि यहां मौजूद चट्टानें कोई मामूली या सामान्य चट्टानें नहीं हैं. इनमें प्राचीन काल के जीवन के अवशेष समाहित हैं. उन्होंने कहा कि ये चट्टानें बताती हैं कि प्राचीन समय या जुरासिक पीरियड में जैसलमेर जिले का वातावरण कैसा रहा होगा, इनसे अंदाजा लगाया जा सकता है. इन चट्टानों में कई ऐसा प्रमाण हैं, जो अतीत की परतें खोल सकते हैं. उन्होंने बताया कि यहां की चट्टानों में बलुआ पत्थर में जो जीवाश्म मिल रहे हैं, वो बताते हैं कि राजस्थान या जैसलमेर में जो आज है, पहले ऐसा नहीं था. 


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जैसलमेर में आज जहां रेगिस्तान, कल वहां थे पेड़


भू-वैज्ञानिक ने बताया आज हम जैसलमेर में ज्यादातर रेगिस्तान देखते हैं, लेकिन आज जहां पर दूर-दूर तक रेल है, वहां पुराने वक्त में घना जंगल हुआ करता था. जिसके पुख्ता और प्रमाणिक तथ्य इन चट्टानों में मिल रहे हैं. इस दौरान एक वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक संदीप सिंह चौहान ने जानकारी दी कि आज से लगभग 18 करोड़ साल पहले जैसलमेर क वातावरण बिल्कुल उलट था. 



इसके पूरे तथ्य मौजूद हैं कि इस इलाके में जुरासिक काल में भारी मात्रा में पेड़ हुआ करते थे. उन्होंने काह कि यहां पेड़ों के उगने में जिन तत्वों ने मदद की होगी, वो बिलकुल वैसे ही थे, जैसे ऊष्ण कटिबंधीय एरिया में आज भी पाए जाते हैं. उन्होंने बताया कि राजस्थान में कुल 13 भू-धरोहर स्थल मौजूद हैं, जिन्हें इंडियन गवर्नमेंट में संरक्षित करने के लिए विशेष अभियान चलाया. इन स्थानों में आकल वुड फॉसिल पार्क (Akal Wood Fossil Park) को भी जगह दी गई है.


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