Sanchore News: राजस्थान विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी राजस्थान बीजेपी के लिए सांचौर जिले से बड़ी राहत की खबर है. लंबे समय से सांचौर विधानसभा सीट पर बीजेपी को अंदरूनी खींचतान और एकजुटता की कमी के चलते हार का सामना करना पड़ रहा है.


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वर्ष 1990 से 2018 तक हुए सात विधानसभा चुनावों पर नजर डालें तो सांचौर विधानसभा सीट को छोड़कर जालोर की शेष चारों सीटों पर बीजेपी ने अपनी मजबूत पकड़ बनाई हुई है. पिछले लगातार दो विधानसभा चुनावों में जिले की पांच में से चार सीट बीजेपी जीतती आ रही है. लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों से पहले बीजेपी ने आखिरकार सांचौर के दो धुरूविरोधी नेताओं को एक साथ लाने में कामयाब रही हैं. बीजेपी के टिकट पर 2003 में चुनाव जीतने वाले पूर्व विधायक जीवाराम चौधरी और 2018 में बीजेपी के प्रत्याशी रहें दानाराम चौधरी के बीच अब सुलह हो गयी है.


सीट पर जीवाराम का वर्चस्व


सांचौर विधानसभा क्षेत्र में जीवाराम एक जननेता के तौर पर माने जाते है. वर्ष 2003 के बाद से हुए चार विधानसभा चुनावों में जीवाराम ने इस सीट से दो बार निर्दलिय और दो बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके है. भाजपा ने पहली बार 2003 में जीवाराम को टिकट दिया था. जीवाराम ने इस चुनाव में कांग्रेस के हीरालाल विश्नोई को करीब 45 हजार मतो से हराया था, लेकिन बीजेपी ने 2008 में जीवाराम का टिकट काटकर मिलापचंद जैन को टिकट दे दिया.


नाराज जीवाराम ने बीजेपी से बागी होते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा और कांग्रेस के सुखराम विश्श्नोई को हराकर विधायक बने. इस चुनाव में बीजेपी का प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा था. 2013 में एक बार फिर से बीजेपी ने जीवाराम चौधरी को टिकट दिया, लेकिन इस बार चौधरी कांग्रेस के सुखराम विश्श्नोई से चुनाव हार गए.


निर्दलीय लड़कर रोका बीजेपी का रथ
2018 में बीजेपी ने सांचौर विधानसभा से दानाराम चौधरी को अपना उम्मीदवार बनाया, लेकिन एक बार फिर से जीवाराम ने निर्दलीय के तौर पर ताल ठोक दी. बीजेपी की आपसी फूट का फायदा कांग्रेस को मिला और सुखराम विश्श्नोई चुनाव जीत गए.


आगामी 2023 के विधानसभा चुनावों के लिए जीवाराम के साथ ही दानाराम भी पिछले 5 साल से जमीनी स्तर पर अपनी तैयारियों में जुटे हुए थे, ऐसे में आगामी चुनावों में एकजुटता के अभाव में बीजेपी को हार का डर सता रहा था.


फिर बनी नई रणनीति,दिल्ली में चला बैठकों का दौर


भाजपा ने 2013 के विधानसभा चुनावों में सांचौर विधानसभा सीट पर जीत के लिए एक नई रणनीति तैयार की. बीजेपी ने इस सीट से दावेदारी जता रहे दोनो नेताओं को दिल्ली तलब किया.इन दोनो नेताओं को साधने की जिम्मेदारी पार्टी ने खासतौर से सांसद देवजी पटेल को सौपी थी. जिसके बाद पटेल के दिल्ली स्थित निवास पर दोनों ही नेताओं को पहले बारी बारी से समर्थको के साथ बुलाया गया. और फिर गुरूवार को दोनो ही नेताओं को एक साथ बैठाकर पंचायती की गयी. दिल्ली में सांसद पटेल के निवास पर तीन दिन तक चली इन बैठको के बाद आखिरकार दोनो नेता एक साथ आने में राजी हो गए.


सुलह के बाद एक साथ हुए रवाना
सांसद देवजी पटेल के निवास पर दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई .आपसी समझाईश के बाद इन नेताओं ने प्रदेशाध्यक्ष सी पी जोशी से मुलाकात की. इसके बाद सभी नेता मिलकर प्रदेश प्रभारी अरूणसिंह से उनके निवास पर मिले और इस संकट का समाधान करने की पुष्टी हुई.


सुलह के बाद दोनों नेता गुरूवार देर शाम ही एक ही वाहन से जयपुर के लिए रवाना हो गए. टेलीफोन पर बात करते हुए जीवाराम चौधरी और दानाराम चौधरी ने आपसी सुलह को स्वीकार किया.


हां, सुलह हो गयी


हां, सुलह हुई है हम इस बार एक साथ होकर चुनाव लड़ेगे और एक दूसरे का साथ देंगे.


हम मिले है


हम तीन दिन से दिल्ली में थे और पार्टी नेताओं के साथ बैठकर बातचीत कर रहे थे, हम पार्टी के लगभग सभी नेताओं से मिले है और अब एकसाथ एक ही गाड़ी में बैठकर जयपुर जा रहे है.
साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे


दोनो नेताओं को एक साथ बैठाकर हमने कोशिश की है कि सभी एक जाजम पर आए. क्योंकि हमारी कमजोरी का फायदा कांग्रेस उठा रही थी और इसका जनता को नुकसान उठाना पड़ रहा था. सांचौर की जनता को वर्तमान सरकार ने बेहद नुकसान पहुंचाया है इसलिए वहां की जनता भी आक्रोशित है हम इस बार इस सीट पर जरूर चुनाव जितेंगे. पार्टी जिसे भी उम्मीदवार बनाएगी सभी साथकर मिलकर उसे जीताने का प्रयास करेंगे.


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