Ganesh chaturthi: राजस्थान में गणेश चतुर्थी पर दिन भर गणपति बप्पा मोरिया के जयकारे की गूंज सुनाई देगी. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को छोटीकाशी गणेश चतुर्थी पर प्रथम पूज्य की भक्ति में लीन रहेगी. घर में गणेश पूजा कर श्रद्धालु गणेश मंदिरों की ओर पहुंचेंगे. गणेश चतुर्थी पर घरों से लेकर मंदिरों में प्रतिष्ठित प्रथम पूज्य की भक्तिभाव से पूजा की जाएगी.
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Ganesh chaturthi: छोटीकाशी जयपुर में गणेश चतुर्थी पर रिद्धिसिद्धि के दाता विघ्नहर्ता गणपति गजानन पूरी शान से विराजेंगे. गणेश चतुर्थी पर मोती डूंगरी सहित शहर के प्रमुख गणेश मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ेगा. देर रात से ही मोती डूंगरी गणेश मंदिर के बाद श्रद्धालुओं का भीड़ शुरू हो जाएगी. मंगलवार रात शयन आरती रात्रि 11.45 बजे तक यहां श्रद्धालु आराध्य के दर्शन कर सकेंगे. तड़के 4 बजे जन्मोत्सव दर्शन के लिए पट खुलेंगे.हजारों श्रद्धालु सुबह मंगला आरती के दर्शन करेंगे.श्रद्धालु नंगे पांव ही रात को घरों से रवाना होकर दर्शनों के लिए पहुंचेंगे.आसपास की कॉलोनियों से कई पदयात्राएं भी पहुंचेगी.
गणेश पूजन समय
मध्याह्न काल सुबह 11:08 से दोपहर 1:33 बजे तक
वृश्चिक लग्न सुबह 11:08 से दोपहर 1:01 बजे तक
चर, लाभ, अमृत का चौघड़िया सुबह 9.19 बजे से दोपहर 1.51 बजे तक
शुभ का चौघड़िया दोपहर 3.22 बजे से शाम 4.53 बजे तक
सोने के गर्भगृह में विराजित होंगे गणेशजी
गणेशजी ने सोने के गर्भगृह में स्वर्ण सिंहासन पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन देंगे. दिन की सभी झांकियों से लेकर रात शयन आरती तक दर्शनार्थियों की भारी भीड़ उमडेगी..गणेश चतुर्थी पर मंगला झांकी तड़के 4 बजे पर होगी..इस दिन सुबह 11.20 बजे विशेष पूजन होगा.दोपहर 1.30 से 2.30 बजे तक भगवान के पट भोग के लिए मंगल रहेंगे.गजानन के दर्शनों के लिए आने वाले महिला और पुरुषों के लिए अलगअलग कतारों की व्यवस्था रहेगी.नि:शक्तजन व बुजुर्गों के लिए रिक्शे लगाए गए हैं.
दर्शनार्थियों के लिए किए विशेष इंतजाम
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शनार्थियों के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं.भक्तों की सुरक्षा के लिए 58 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.मंदिर में आने के लिए पांच लाइनें और वापस जाने के लिए छह लाइनों की व्यवस्था की गई है. श्रद्धालुओं का प्रवेश एमडी रोड, जेएलएन मार्ग, तख्तेशाही मार्ग से होगा. वहीं, नि:शक्तजन के लिए रिक्शों की व्यवस्था की है. मंदिर में पांच लाइनों से प्रवेश और छह लाइनों से निकास होगा.56 सीसीटीवी कैमरे, आरएसी की पांच कंपनियों सहित बड़ी संख्या में पुलिस के जवान और स्वयंसेवक व्यवस्थाओं को संभालेंगे.
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में ये रहेगा झांकियों का समय
विशेष पूजन सुबह 11.20 बजे
श्रृंगार आरती सुबह 11.30 बजे
भोग आरती दोपहर 2.15 बजे
संध्या आरती शाम 7.00 बजे
शयन आरती रात्रि 11.45 बजे
मोतीडूंगरी गणेश मंदिर में ये की गई सुरक्षा की व्यवस्था
दर्शनार्थियों की सुरक्षा के लि 6 DFMD और 6 HSMD की व्यवस्था
58 क्लोज सर्किट कैमरे से सभी गतिविधियों पर नजर
दर्शन के लिए 5लाइनें मंदिर में आने और 6 लाइनें मंदिर से वापिस जाने की व्यवस्था
विशेषयोग्यजन और बुजुर्गों के लिए ईरिक्शे की रहेगी व्यवस्था
गणेश जन्मोत्सव की खुशियां शहर के घरों के साथ ही प्रतिष्ठानों, पांडालों और अन्य जगहों पर देखने को मिलेगी.परकोटे के विभिन्न द्वारों पर बने गणेश पोलों पर भी नगर निगम और सामाजिक संस्थाओं की ओर से पूजा अर्चना की जाएगी.वहीं, जगह-जगह पांडाल बनाकर मिट्टी से बनी भगवान गणेश की प्रतिमाएं विराजमान की जाएंगी.
खरीददारी के लिए भी शुभ संयोग रहेंगे
दिनभर खरीददारी के लिए भी शुभ संयोग रहेंगे.गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश पूजन समिति की ओर से चारदीवारी के सभी गेटों पर स्थित गणेश जी की पूजा विधि विधान से की जाएगी.जयपुर स्थापना से पूर्व नाहरगढ़ की पहाड़ी पर गढ़ गणेश मंदिर में महंत प्रदीप औदीच्य के सान्निध्य में गणेश जन्मोत्सव विभिन्न धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाएगा.सुबह जन्माभिषेक कर नवीन पोशाक धारण कराई जाएगी.मोदक का भोग लगाकर आरती उतारी जाएगी.
मोती डूंगरी के कैसे दिखते है गणेश जी
गौरतलब हैं की यहां गणेशजी का मुख हाथी का न होकर बालक का है. इसी तरह गढ़गणेश, नहर के गणेश, सूरजपोल स्थित सिद्धि विनायक गणेश जी, गीता गायत्री मंदिर गलता गेट स्थिति गणेश मंदिर, चांदपोल परकोटे वाले गणेश जी मंदिर सहित अन्य मंदिरो में विशेष आयोजन होगें.
उधर, 20 सितंबर को मोती डूंगरी गणेशजी के जन्मोत्सव के तहत भव्य लवाजमे के साथ विशाल शोभायात्रा निकाली जाएगी.यहां से हाथी, घोड़े, ऊंट और गाजे-बाजों के साथ सांगानेरी गेट, जौहरी बाजार, बड़ी चौपड़, त्रिपोलिया बाजार, छोटी चौपड़, गणगौरी बाजार, ब्रह्मपुरी होते हुए देर रात गढ़ गणेश मंदिर पहुंचेगी.
मोती डूंगरी को मिला अनूठा तोहफा
बहरहाल, प्रथम पूज्य मोती डूंगरी गणेशजी को उनके जन्मदिन के उपलक्ष्य में अनूठा तोहफा दिया गया है..उनका यह तोहफा है निज मंदिर में स्थित उनका आभा मंडल। इस आभा मंडल को पूरी तरह सोने की परत का बना दिया है.सके साथ ही उनके निज मंदिर के पाये भी सोने के ही बनवाए गए हैं..मंदिर महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि सोने के पतरे का यह कार्य तीन चरणों में पूरा हुआ है.
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