बदल रही है राजस्थान की सोच, बांसवाड़ा में पहली बार एक हजार पुरुषों के मुकाबले 1005 महिलाएं
Rajasthan News: नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे -5 की रिपोर्ट में सामने आ गई है. बड़ी बात यह है कि कभी लड़कियों की जन्म के लिंगानुपात में पीछे रहने वाला राजस्थान इस रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़ों के साथ आगे बढ़ गया है..
Jaipur: बेटियों के जन्म के लिए अब राजस्थान की सोच बदल गई है, जिस राजस्थान में बेटियों के जन्म पर गालियां दी जाती थी, आज वहां थालियां बजती है, जो राजस्थान लिंगानुपात के मामले में देश में सबसे बदनाम था, अब उसी राजस्थान की तस्वीर बिल्कुल बदल गई. यह जानकर आपको हैरानी होगी लेकिन ये सच है.
अब बेटियां राजस्थान के लिए बोझ नहीं
आपको बता दें कि जिस राजस्थान में बेटियों को बोझ समझा जाता था, आज उसी मरूभूमि पर बेटियां बेटों से ज्यादा जन्म ले रही हैं. इसका सबसे बड़ा और जीता जागता उदाहरण बांसवाडा है. यहां महज एक साल में तस्वीर इतनी बदल गई कि 1000 लड़कियों पर 1005 लड़कियों ने जन्म लिया. पिछले साल ये आकंड़ा 965 था, लेकिन एक साल बाद बेटियों के जन्म की संख्या 40 बढ़ गई है.
लिंगानुपात 937 तक बढ़ा
लिंगानुपात की बदलती तस्वीर केवल बांसवाड़ा ही नहीं बल्कि राजस्थान के 20 जिलों की है, जहां एक साल में ही लिंगानुपात में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. इतना ही नहीं राष्ट्रीय औसत लिंगानुपात से भी राजस्थान आगे है. देश का राष्ट्रीय लिंगानुपात 927 है, जबकि राजस्थान का औसत लिंगानुपात 937 तक पहुंच गया है.
ये पांच जिले जहां बदली सबसे ज्यादा तस्वीर
जिले | 2021 | 2022 |
बांसवाड़ा | 965 | 1005 |
राजसमंद | 943 | 962 |
प्रतापगढ़ | 951 | 967 |
चित्तौड़गढ़ | 927 | 948 |
गंगानगर | 928 | 942 |
आपको बता दें कि इनके अलावा अलवर, भीलवाडा, बूंदी, दौसा, हनुमानगढ, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, झालावाड, करौली, कोटा, नागौर, पाली में भी पिछले साल के मुकाबले इस साल लिंगानुपात में बढोतरी हुई है. बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं मिशन के तहत इन जिलों में लिंगानुपात में बढ़ोतरी हुई है.
इन जिलों की तस्वीर बदलना बाकी
साथ ही झुन्झुनू, जोधपुर, सवाईमाधोपुर, टोंक, उदयपुर, चुरू, बांरा, चुरू, धौलपुर, अजमेर में पहले के मुकाबले लिंगानुपात घटा है, लेकिन फिर भी बेटियों के लिए राजस्थान की सोच लगातार बदल रही है. उम्मीद है आने वाले दिनों में बाकी के जिलों में भी लिंगानुपात में बढ़ोतरी हो पाएगी.
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