Rajasthan News: PKC-ERCP पर 3 सरकारों में मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट हुआ.सरकारों के बीच एग्रीमेंट के बाद सालों पुराना जल विवाद सुलझ गया.जिसमें पार्वती, कालीसिंध,चंबल नदी के पानी की उपलब्धता का रास्ता बिल्कुल साफ हो गया.आखिर दोनों राज्यों के बीच आखिर पहले विवाद क्या था और अब नए एग्रीमेंट के बाद कितना कितना पानी,कहां कहां से मिलेगा. 


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तीन मुख्य नदियों का संगम होगा-
केंद्र सरकार,राजस्थान और मध्यप्रदेश के लिए संशोधित पार्वती कालीसिंध चंबल परियोजना पर एग्रीमेंट के बाद 17 साल पुराना जल समझौता विवाद खत्म हो गया.सालों तक एमपी और राजस्थान में पानी की उपलब्धता पर एग्रीमेंट अटका था,इसी उलझन में दोनों राज्यों के बीच विवाद पर विराम लग गया.एमओए में पानी की उपलब्धता पर समझौता हुआ. अब इस समझौते के बाद ये जानना जरूरी है कि दोनों राज्यों को आखिर किन नदियों से कितना पानी मिल पाएगा.इस एग्रीमेंट में MP-राजस्थान को कालीसिंध उप-बेसिन से 50% पानी मिलेगा.



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कुनो और पार्बती बेसिन से दोनों को राज्यों 75% और चंबल नदी की बायी सहायक नदियों से 50% पानी की उपलब्धता हो पाएगी.सालों तक दोनों राज्यों के बीच इसी जल समझौते पर विवाद था,लेकिन अब पानी की उपलब्धता पर राज्यों में जल विवाद सुलझ गया.
 


 



2005 के बाद से जल विवाद-
2005 में बैठक दोनों राज्यों के बीच हुए निर्णय के मुताबिक ‘राज्य किसी परियोजना के लिए अपने राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी,दूसरे राज्य के कैचमेंट से प्राप्त पानी का 10 प्रतिशत प्रयोग इस शर्त के साथ कर सकते हैं यदि परियोजना में आने वाले बांध और बैराज का डूब क्षेत्र दूसरे राज्य की सीमा में नहीं आता हो तो ऐसे मामलों में राज्य की सहमति जरूरी नहीं है.इसी शर्त के आधार पर मध्य प्रदेश ने पार्वती की सहायक नदी नेवज पर मोहनपुरा बांध और कालीसिंध पर कुंडालिया बांध बनाया है.इन बांधों की एनओसी उनसे बांध बनने के बाद 2017 में ली गई.लेकिन मध्यप्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी.




2019 से जल विवाद हुई खूब राजनीति-
8 जुलाई 2019 को राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को एक पत्र लिखा. इसके जवाब में कमलनाथ ने 27 जनवरी 2020 को लिखा.इसमें 50 की जगह 75 प्रतिशत जल निर्भरता के आधार पर डीपीआर बनाने की बात मध्य प्रदेश सरकार की ओर से की गई. इसी तरह का एक और पत्र 15 अप्रैल 2022 को एमपी के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्र को लिख दिया.


मध्य प्रदेश सरकार के केंद्र को पत्र लिखने के बाद 10 मई 2022 को जल शक्ति मंत्रालय के सचिव तत्कालीन सीएस को यह कहते हुए पत्र लिखा कि जब तक दोनों राज्यों में ईआरसीपी को लेकर कोई समझौता नहीं होता तब तक ईआरसीपी का काम रोक दिया जाए.इसके बाद गहलोत सरकार ने ERCP के लिए 9,600 का बजट राज्य कोष से जारी किया है.लेकिन इसके बाद राजस्थान में बीजेपी की सरकार सत्ता में आई.ईआरसीपी की डीपीआर अटकाने पर पीएम मोदी ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि कागज के टुकडे पर हस्ताक्षर नहीं हो पाए,जिस कारण समुद्र का पानी व्यर्थ बहता गया.


 




एमपी के 13,राजस्थान के 21 जिलों की उम्मीद बढी-
अब जल की उपलब्धता के साथ साथ दोनों राज्यों ने जल विवाद को सुलझा लिया है.ऐसे में राजस्थान के 21 और मध्य प्रदेश के 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई के लिए पानी की उम्मीद बढ़ गई है.


 



 


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