Rajasthan Weather Update: अगस्त का महीना गुजरने में केवल 4 दिन ही बचे हैं लेकिन मरुधरा में मानसून की गति थमने का नाम नहीं ले रही है. करीब एक महीने से अलग-अलग जिलों में मानसून की मेहरबानी जारी है. आधे से ज्यादा राजस्थान का हिस्सा जलसैलाब बन चुका है. कुछ जगहों पर तो झमाझम बारिश ने जानलेवा रूप तक ले लिया. बादलों की गड़गड़ाहट और आसमानी बिजली ग्रामीणों के साथ-साथ शहरवासियों के लिए परेशानी का सबब बनी है.


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सड़कें, मकान, दफ्तर, ढाणियां सब पानी-पानी हुए जा रहे हैं. कुछ जिलों जैसे झालावाड़, जोधपुर और करौली आदि में तो लोगों के घरों में पानी घुस गया है. इसके चलते लोगों का जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है. वहीं, मौसम विभाग की मानें तो आज 27 अगस्त मंगलवार को राजस्थान के की जिलों में मूसलाधार बारिश का कहर बरसने वाला है. 



मौसम केंद्र जयपुर के मुताबिक, आज राजधानी जयपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ आदि जिलों में रह-रहकर मेघगर्जन के साथ भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है. इस दौरान 30 से 40 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चल सकती हैं. 



मौसम विभाग ने जारी किए विशेष दिशा-निर्देश
बारिश और आंधी-तूफान का ऑरेंज-येलो अलर्ट जारी करने के साथ ही मौसम विभाग ने आमजन के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं. मौसम विभाग के मुताबिक, मेघगर्जनके समय किसी सुरक्षित स्थान की शरण लें. पेड़ों के नीचे कतई न जाएं. घर के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के प्लग को निकालकर रख दें. बिजली के पोल, कच्चे घरों के आसपास न जाएं.



बता दें कि करौली के हिण्डौन में बारिश फिर आफत बनकर आई. हिण्डौन में आधा घण्टे झमाझम बारिश हुई. हिण्डौन के कटरा बाजार, कम्बलबाल गली, भायलापुरा सहित कई स्थानों पर पानी बर गया. शहर के अनेकों स्थानों पर लगभग 2 से 3 फुट तक पानी भरा. बाजार में जल भराव के कारण व्यापारियों का कारोबार पिछले 17 दिन से बंद है. सोमवार को फिर झमाझम बारिश के बाद सैकड़ों व्यापारी चिंतित हुए. नाले में कचरा जमा होने से पानी की निकासी नहीं हो रही है.



सोमवार को हुई बारिश ने कृष्ण जन्म के समय की याद दिला दी. कान्हा के जन्मदिन पर बादल जमकर बरसे. सुहावने मौसम, बारिश के बीच कान्हा का जन्मदिन मनाया गया. बारिश के चलते भी कृष्ण जन्म की खुशियां कम नहीं हुईं. जब कंस की कारागृह में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तो माता देवकी और पिता वासुदेव ने कान्हा को सुरक्षित जगह पहुंचने का फैसला किया. भादौं महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी की मध्यरात्रि का दिन था. 



जब वासुदेव नन्हे कान्हा को नंद गांव पहुंचाने के लिए यमुना नदी में उतरे तो यमुना ने भगवान श्रीकृष्ण के चरण पखारने की कोशिश की लेकिन यमुना का जलस्तर इतना नहीं था कि यमुना वासुदेव के सिर पर टोकरी में विराजे भगवान कृष्ण के चरणों तक पहुंच सके. इसलिए यमुना नदी की इच्छा को देखते हुए मध्यरात्रि को बादल बरसे. इतनी जोर से बरसे कि यमुना में बाढ़ आ गई और नदी का जलस्तर बढ़ गया. जल स्तर इतना हुआ कि पानी बालरूप भगवान कृष्ण के पैरों को छू गया.


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