गोविंददेवजी मंदिर में रथयात्रा महोत्सव, चांदी के रथ पर विराजमान थे गौर गोविंद
आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में रथयात्रा महोत्सव मनाया गया. गौर गोविंद के श्री विग्रह को चांदी के रथ में विराजमान कर गर्भ गृह के पश्चिम द्वार से ठाकुरजी को चांदी के रथ में विराजमान करा निज मंदिर की परिक्रमा करवाई गई.
Jaipur: आराध्य गोविंददेवजी मंदिर में रथयात्रा महोत्सव मनाया गया. गौर गोविंद के श्री विग्रह को चांदी के रथ में विराजमान कर गर्भ गृह के पश्चिम द्वार से ठाकुरजी को चांदी के रथ में विराजमान करा निज मंदिर की परिक्रमा करवाई गई. श्रद्धालुओं ने बारी-बारी से दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की है.
इस दौरान माध्व गौड़ीय संप्रदाय के श्रद्धालु हरिनाम संकीर्तन करते और जयकारे लगाते हुए नजर आए. इस रथयात्रा में बड़ी संख्या में भक्त शामिल हुए. आराध्य देव गोविंद देव जी का विग्रह गौरांग देव महाप्रभु के आदेश पर वृंदावन में गीमाटीला स्थान पर उनके प्रधान शिष्य रूप गोस्वामी को कड़ी तपस्या के बाद प्राप्त हुआ था और उसकी सूचना ओडिशा में नीलाचल में निवास कर रहे महाप्रभु को पहुंचाई गई कि वह वृंदावन पधारें लेकिन महाप्रभु उस समय अस्वस्थ थे. इस कारण उन्होंने अष्टधातु का विग्रह गौर गोविंद का निर्माण करवाकर काशीश्वर पंडित के साथ वृंदावन भेजा.
इस विग्रह गौर गोविंद को ठाकुर गोविंद देवजी के दाईं तरफ विराजमान किया गया, यह विग्रह आज भी यथावत विराजित होता चला आ रहा है. ऐसी मान्यता है कि गौर गोविंद के यहां विराजमान होने के कुछ समय बाद गौरांग महाप्रभु स्वयं पुरी के मंदिर ठाकुर श्री जगन्नाथ जी के गर्भ मंदिर में संकीर्तन करते-करते प्रवेश होने के बाद श्री विग्रह गौर गोविंद में समाविष्ट हो गए.
तब से ही यहां गोविंददेवजी मंदिर में विराजमान श्री विग्रह गौर गोविंद की मंदिर परिसर में रथयात्रा निकाली जा रही है. सरस निकुंज पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज के सानिध्य में रथ महोत्सव मनाया गया. शृंगार झांकी के बाद में एक घंटे राजभोग झांकी तक भक्तों को रथयात्रा के दर्शन कराए गए.
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