Demonitisation : नोटबंदी के बाद एक बार फिर से जनता के लिए परेशानी शुरू होने वाली है. 2008 में हुई नोटबंद की बाद रिजर्व बैंक ने अब 2000 के नोटों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. आरबीआई ने शुक्रवार शाम को गाइ[लाइन जारी करते हुए बताया है कि  अभी यह भारतीय करंसी के तौर पर यह बना रहेगा. जारी प्रेस विज्ञपति में रिजर्व बैंक ने बताया है कि दो हजार रुपये के नोट को सर्कुलेशन से वापस ले लिया गया है. लेकिन यह लीगल टेंडर बना रहेगा..2,000 रुपये का यह नोट नवंबर 2016 में लाया गया था.



COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इसी के साथ आबीआई ने लोगों में किसी भी असमजंसता की स्थिति न फैले इसके लिए उसने 30 सितंबर तक  2000 के नोट को बदलने का प्रवधान रखा है. 


2000 के नोट पर RBI ने बैंको को भी लिखा पत्र...


बैंको को RBI ने आदेश दिया है की अब आम लोगों को ATM या CASH WITHDRAWAL में बैंक या उस बैंक का ATM 2000 के नोट बैंक को नहीं देगा..इसके लिए RBI ने बैंको से ATM और RECYCLERS को reconfigure करने का आदेश दिया है.


साथ ही बैंको को आदेश दिया है की ग्रामीण, सुदूर इलाकों में जहां बैंक नहीं है वहां बैंक जरूरी पड़ने पर मोबाइल वैन के सहारे नोट बदलवाने में लोगों की मदद कर सकती हैं


2018 में बंद हो चुकी थी छपाई


आरबीआई ने इस बारे में प्रेस रिलीज जारी करते हुए बताया कि 2,000 रुपये के नोटों की छपाई को वो पहले ही 2018- 19 में बंद कर चुका था. छपाई बंद होने से पहले मार्च 2017 में 89 प्रतिशत नोटों को मार्केट में खपत के लिए भेज दिया गया था. 4-5 सालों के इस्तेमाल के बाद संचलन में इन बैंक नोटों का कुल मूल्य 31 मार्च, 2018 को  6.73 लाख करोड़ से घटकर 31 मार्च, 2023 को केवल 10.8% यानी 3.62 लाख करोड़ हो गया है. इसके साथ यह भी आमतौर पर देखा गया है कि  लेन-देन के लिए लोग इसका उपयोग नहीं कर रहे है. वही साथ ही जनता में उपभोक्ताओं में आवश्यकता को पूरा करने के लिए अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों का स्टॉक पर्याप्त बना हुआ है.


क्यों लिया यह फैसला


 भारतीय रिजर्व बैंक की "क्लीन नोट पॉलिसी " को ध्यान में रखते हुए  RBI ने यह निर्णय लिया गया है कि 2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों को संचलन से वापस ले लिया जाए. वही जारी प्रेस रिलीज ने RBI ने साफ तौर पर कहा है कि जनता  अपने बैंक  के खातों में 2000 के नोट को जमा कर सकते हैं और या उन्हें किसी भी बैंक शाखा में अन्य बैंकनोटों में बदल सकते हैं. परिचालन सुविधा सुनिश्चित करने और बैंक शाखाओं की नियमित गतिविधियों में परेशानी से बचने के लिए, 23 मई से किसी भी बैंक में एक बार में 2000 बैंक नोटों को अन्य मूल्यवर्ग के बैंक नोटों में बदला जा सकता है.


भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च 2017 के अंत तक और मार्च 2022 के अंत तक ₹500 और ₹2000 मूल्यवर्ग के बैंक नोटों का कुल मूल्य 9.512 लाख करोड़ और ₹27.057 लाख करोड़ था. "


कब कब हुई नोटबंदी
यह कोई पहला मौका नहीं था, जब भारत में  रिजर्व बैंक ने बाजार में चलने वाले नोटों को आचनक से डिमोनेटाइज कर उनकी जगह पर  या तो नए नए नोट जारी किए या फिर उनके प्रयोग पर रोक लगाई. आइए आपको बताते हैं कि 2023 से पहले देश में कब-कब डिमोनेटाइजेशन का एलान किया गया. 


देश में सबसे पहले नोटबंदी का एलान ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान किया गया था. भारत के वायसराय और गर्वनर जनरल सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने 12 जनवरी 1946 में हाई करेंसी वाले बैंक नोट डिमोनेटाइज करने को लेकर अध्यादेश प्रस्तावित किया था. इसके 13 दिन बाद यानी 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से ब्रिटिश काल में जारी 500 रुपये, 1000 रुपये और 10000 रुपये के हाई करेंसी के नोट प्रचलन से बाहर हो गए.


सरकार ने 16 जनवरी 1978 को 1000 रुपये, 5000 रुपये और 10000 हजार रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की. सरकार ने इस नोटबंदी की घोषणा के अगले दिन यानी 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी ब्रांचों के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का फैसला किया.  


वहीं 2016 में 8 नवंबर को सरकार ने आधी रात से मार्केट से पुराने नोटों को प्रचलन को खत्म करते हुए  500, 1000 के नोटों का चलन बंद करवाया था. जिस पर कहा गाया था कि सरकार इसके जरिए काले धन की रोकथाम करना  करेंगी.