जयपुर: आपदा प्रबन्धन मंत्री द्वारा मानसून सत्र के दौरान, पूर्व वर्षों के अनुभवों को देखते हुए राज्य के कुछ हिस्सों में बाढ़ की सम्भावना के मध्येनजर पूर्व वर्षों की भांति, आपदा प्रबन्धन तंत्र को सक्रिय बनाने और आम नागरिकों की सम्भावित कठिनाईयों के निराकरण के लिये त्वरित कार्रवाई करने और प्रभावित क्षेत्रों में शीघ्र राहत पहुंचाने की उच्च प्राथमिकता के बारे में अवगत कराया. आपदा प्रबन्धन एवं सहायता विभाग के शासन सचिव आशुतोष ए. टी. पेडणेकर द्वारा गत वर्ष किये गये बचाव कार्यों हेतु सभी विभागों और एजेंसियों का आभार व्यक्त किया. प्रस्तुतिकरण के माध्यम से लगभग 35 विभागों के उपस्थित प्रतिनिधियों को मानसून 2022 के दौरान उनके विभाग से संबंधित की जाने वाली कार्यवाही के संबंध में विस्तृत जानकारी दी. उनके द्वारा की गयी तैयारियों की जानकारी भी प्राप्त की.


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प्रस्तुतीकरण में राज्य के विभिन्न हिस्सों में अग्रिम तौर पर बाढ़ के संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान, आवश्यक वस्तुओं, सुविधाओं एवं दवाओं का स्टॉक करना, बाढ़ चेतावनी की सूचना देने की परिपूर्ण व्यवस्था, बचाव दल का नोबिलाइजेशन, बचाव नौकाएं, पम्पसेट आदि सामग्री की व्यवस्था किये जाने बाबत निर्देश दिये. शासन सचिव द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग और स्थानीय निकाय के प्रतिनिधियों को निर्देश दिये.


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 नदी नालों पर निर्मित पुलिया और सेतु मार्ग पर पानी के भराव की स्थिति में सुरक्षा हेतु सुरक्षाकर्मी एवं चेतावनी बोर्ड इत्यादि लगाने के निर्देश दिये तथा सभी विभागों को आपसी समन्वय स्थापित कर मानसून के दौरान बाढ़ बचाव के कार्यों को प्राथमिकता से सम्पादित करने के निर्देश दिये गये. मौसम विभाग के निदेशक ने प्रस्तुतिकरण के जरिये मानसून 2022 की संभावना को विस्तार से बताया. उन्होंने बताया कि जून, 2022 के तीसरे सप्ताह में राज्य के दक्षिणी भाग में मानसून प्रवेश कर जायेगा. इस वर्ष मानसून सामान्य रहने की संभावना भी व्यक्त की गयी.


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