कोयले की कमी और तेज गर्मी के चलते देश में ऊर्जा संकट की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच रेलवे प्रशासन ने ग्रीन (नवीकरणीय) ऊर्जा का दायरा बढ़ाने की तरफ कदम बढ़ा लिए हैं. उत्तर पश्चिम रेलवे अब राजस्थान के 8 रेलवे स्टेशनों का संचालन ज्यादातर सौर ऊर्जा से करेगा.
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Jaipur: कोयले की कमी और तेज गर्मी के चलते देश में ऊर्जा संकट की स्थिति बनी हुई है. इसी बीच रेलवे प्रशासन ने ग्रीन (नवीकरणीय) ऊर्जा का दायरा बढ़ाने की तरफ कदम बढ़ा लिए हैं. उत्तर पश्चिम रेलवे अब राजस्थान के 8 रेलवे स्टेशनों का संचालन ज्यादातर सौर ऊर्जा से करेगा. इसमें जयपुर का गांधी नगर रेलवे स्टेशन तो 100 फीसदी सौर ऊर्जा से रोशन होगा. इसके तहत यहां शून्य कार्बन उत्सर्जन (नेट जीरो कार्बन एमिशन) की तैयारी है.
रानी कमलापति स्टेशन की तर्ज पर आत्मनिर्भर बनेंगे स्टेशन
उत्तर पश्चिम रेलवे जोन में रानी कमलापति रेलवे स्टेशन की तर्ज पर करीब 2 हजार करोड़ रुपए की लागत से तैयार किए जाएंगे, जिसमें जयपुर जंक्शन, गांधीनगर(जयपुर), उदयपुर, अजमेर, जोधपुर, बीकानेर, पाली मारवाड़ जंक्शन और जैसलमेर रेलवे स्टेशन के री-डवलपमेंट का खाका तैयार कर लिया है. इनको ऊर्जा के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके तहत गांधीनगर रेलवे स्टेशन को पूरी तरह से सौर ऊर्जा से संचालित होगा. जबकि अन्य स्टेशनों की क्षमता री-डवलपमेंट के बाद 15 से बढ़कर क्षमता 45 फीसदी तक पहुंच जाएगी. इनसे यहां 100 फीसदी तक प्लेटफार्म लाइट, लिफ्ट, सर्कुलेटिंग एरिया लाइट, एस्केलेटर, एसी, पंखे इत्यादि संचालित होंगे.
गांधीनगर स्टेशन को डिस्कॉम से लनी पड़ रही बिजली
गांधीनगर स्टेशन में पहले से लगे भी सौर ऊर्जा से वार्षिक 60 हजार 509 यूनिट बिजली का उत्पादन हो रहा है. इसके बावजूद भी उसे डिस्कॉम से 3 लाख 48 हजार 371 यूनिट बिजली सालाना लेनी पड़ रही है. सोलर पैनल लगने के बाद यहां 1.5 मेगावाट में से 1.3 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन होगा. 100 फीसदी सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला यह उत्तर पश्चिम रेलवे का पहला स्टेशन होगा.
बचा रहे 5 करोड़ रुपए का राजस्व
उत्तर पश्चिम रेलवे में वर्तमान में कई स्टेशनों पर 7.126 मेगावाट क्षमता के सोलर प्लांट लगे हुए हैं. वर्षभर में इनसे 79 लाख यूनिट से अधिक बिजली का उत्पादन होता है. इससे लगभग 5 करोड़ रुपए राजस्व की बचत हो रही है. इससे न केवल राजस्व की बचत होगी बल्कि पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने में भी मदद मिलेगी. यहां रेलमार्गों का विद्युतीकरण कार्य भी अंतिम चरण में है.
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