Rudraksh murder case: कोटा के तलवंडी निवासी बैंक मैनेजर के सात साल के बेटे का 9 अक्टूबर 2014 को अपहरण कर दो करोड़ की फिरौती मांगी थी, लेकिन अगले दिन नहर से बच्चे की लाश बरामद हुई थी. रुद्राक्ष अपहरण-हत्याकांड मामले में जेल में सजा काट रहा आरोपी अंकुर पाड़िया ने मंगलवार की आत्महत्या कर ली. 


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कोटा के बहुचर्चित रुद्राक्ष अपहरण हत्या कांड मामले में आरोपी अंकुर पाड़िया ने जयपुर जेल में आत्महत्या कर ली. कोटा के तलवंडी निवासी बैंक मैनेजर के सात साल के बेटे का 9 अक्टूबर 2014 को अपहरण कर दो करोड़ की फिरौती मांगी थी, लेकिन अगले दिन नहर से बच्चे की लाश बरामद हुई थी. 
9 अक्टूबर 2014 की रात को मासूम रुद्राक्ष का मुख्य आरोपी अंकुर पाड़िया ने तलवंडी के हनुमान पार्क से अपहरण किया था. 


 



कोटा के बहुचर्चित रुद्राक्ष हत्याकांड से जुड़ा बड़ा अपडेट सामने आया है. सालों से जयपुर जेल में सजा काट रहा आरोपी मंगलवार को आत्महत्या कर ली. कोटा के बदमाश ने जयपुर जेल में आत्महत्या की. हत्या के मामले में जयपुर जेल में कैदी अंकुर पाड़िया बंद था. 5 साल के बच्चे रुद्राक्ष हांडा का अपहरण करके हत्या की थी. रुद्राक्ष अपहरण-हत्याकांड ने पूरे कोटा शहर को झकझोर दिया था. 


रुद्राक्ष हत्याकांड में कब-कब क्या-क्या हुआ


9 अक्टूबर 2014 तलवंडी के हनुमान मंदिर पार्क से रुद्राक्ष का अपहरण कर लिया गया. इसके बाद अपहरणकर्ताओं ने 2 करोड़ की फिरौती मांगी. अगले दिन 10 अक्टूबर तालेड़ा, जाखमुंड स्थित दाईं मुख्य नहर में रुद्राक्ष का शव मिला. 14 अक्टूबर 2014 को तत्कालीन ADG ने मुख्य आरोपी के रूप में अंकुर पाड़िया के नाम का खुलासा किया. 18-19 अक्टूबर मुख्या आरोपी अंकुर पाड़िया की कार जब्त हुई. 26-27 अक्टूबर को लखनऊ से अनूप और कानपुर से अंकुर पाड़िया को गिरफ्तार किया गया. 


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वहीं दिल्ली निवासी करणजीत सिंह सरदार और अंकुर का नौकर महावीर भी पकड़ा गया. 24 जनवरी 2015 को पुलिस ने 1464 पन्नों और 10 सीडी में चालान किया. पुलिस ने इस मामले में 110 गवाह बनाए. 22 जुलाई 2015 को निचली अदालत ने अंकुर, अनूप, महावीर और करणजीत सिंह पर आरोप तय किए थे. 10 अगस्त 2015 को 110 गवाहों के बयान कोर्ट में शुरू हुए. साल 2016-17 में कोर्ट में 92 गवाहों के बयान हुए इसमें करीब 2 साल का समय लगा.


 



26 फरवरी 2018 को निचली अदालत ने मुख्या आरोपी अंकुर पाड़िया को फांसी की सजा सुनाई. वहीं उसके साथी अनूप को आजीवन कारावास, महावीर को चार साल और करणजीत को 2 साल की सजा​ सुनाई. सितंबर 2018 में राजस्थान हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द कर दिया. साथ ही हाइकोर्ट ने निचली अदालत को 3 माह में पुनः सुनवाई कर आदेश पारित करने के आदेश दिए थे.