RUHS Jaipur: राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर सहित अन्य पदों की साल 2015 की भर्ती को रद्द करने के आरयूएचएस के निर्णय को सही माना है. अदालत ने आरयूएचएस को कानूनी प्रावधानों के अनुसार चयन प्रक्रिया व नियमित नियुक्ति करने की छूट दी है, लेकिन नियमित नियुक्तियां होने तक याचिकाकर्ताओं को सेवा में बनाए रखने को कहा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश डॉ. कृतिका शर्मा और अन्य की याचिका को खारिज करते हुए दिए.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अदालत ने कहा कि मामले में विवि के तत्कालीन रजिस्ट्रार पर लगाए गए आरोप साबित नहीं हुए हैं और विवि ने महाधिवक्ता की राय के बाद ही भर्ती को रद्द किया है. इसके अलावा विवि को एक नियोक्ता के रूप में भर्ती करने या नहीं करने का अधिकार है. याचिकाकर्ता को सिर्फ स्क्रीनिंग टेस्ट पास होने के आधार पर ही नियुक्ति लेने का अधिकार नहीं हो जाता है.


याचिकाओं में कहा कि वे कई सालों से आरयूएचएस में अर्जेंट और अस्थाई तौर पर काम कर रहे हैं. इस दौरान आरयूएचएस ने 2015 में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर सहित अन्य पदों पर नियमित नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे. फरवरी 2016 में परीक्षा होने के बाद साक्षात्कार की तिथि भी तय कर दी गई, लेकिन विवि ने 29 अप्रैल 2017 को अधिसूचना जारी कर साक्षात्कार को आगामी आदेश तक स्थगित कर दिए.


वहीं 6 फरवरी 2021 को आदेश जारी कर भर्ती को रद्द कर दिया. इस दौरान एमसीआई ने भर्ती की शैक्षणिक योग्यता बदल दी और ईडब्ल्यूएस को आरक्षण दे दिया. वहीं विवि ने इसे भविष्य की भर्तियों में लागू करने के बजाए भूतलक्षी प्रभाव से लागू कर दिया. दूसरी ओर विवि की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता सिर्फ स्क्रीनिंग टेस्ट पास करने के आधार पर नियुक्ति के हकदार नहीं हो जाते हैं. विवि एमसीआई के नियम मानने के लिए बाध्य है और महाधिवक्ता की राय के बाद भर्ती रद्द की गई है. इसलिए याचिका को खारिज किया जाए.


Reporter- Mahesh Pareek


जयपुर की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें


ये भी पढ़ें- बड़ी खबर: बिहार से खरीद कर लाए गए अजमेर में 8 बच्चे, सीमेंट फैक्ट्री में करने वाले थे मजदूरी


यह भी पढ़ें- ब्यावर: तेजाजी मंदिर के पास स्थित दुकानों पर शराब बिक्री की शिकायत, क्षेत्रवासियों ने कही ये बात