Jaipur News: राजस्थान में जल निगम का विरोध तेज हो गया है. जलदाय कर्मियों का खतरा है कि इस निगम के बनने से बाकी निगमों की तरह विभाग की हालत बुरी तो होगी कि इसके अलावा हम राज्य सरकार के कार्मिक नहीं कहलाएंगे.


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नियम 23 जो धड़कने बढ़ा रहा-


राजस्थान में अब तक जल निगम पूरी तरह से सक्रिय हुआ नहीं की विरोध के सुर तेज हो गए है. इसकी सबसे बड़ी वजह राजस्थान वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन 1979 का वो नियम जिससे कर्मचारियों में असुरक्षा का माहौल बना हुआ है.इस एक्ट के नियम 23 के तहत जलदाय विभाग के सभी कर्मचारी और अधिकारी आवश्यकतानुसार कॉरपोरेशन में हस्तांतरित किए जाएंगे.जैसे ही वे हस्तांतरित होंगे उनका मूल पद समाप्त हो जाएगा,जिसके बाद वे राज्य सरकार नहीं बल्कि कॉरपोरेशन के कार्मिक होंगे. 



कर्मचारियों को आशंका है कि जल निगम बनने के बाद जलदाय विभाग के पद समाप्त हो जाएंगे. इसी को लेकर जलदाय कर्मचारी कल जल भवन में हल्ला बोलेंगे. उनकी मांग है कि जल निगम बनाने का फैसला सरकार वापस ले. हालांकि जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी विधानसभा में ये कह चुके है जल निगम सिर्फ ऋण लेने के लिए बनाया गया है लेकिन कर्मचारी चाहते है कि यदि ऐसा है तो नियम 23 में संशोधन किया जाए.


इन निगमों की स्थिति खराब होने का दावा


कल जलदाय मुख्यालय में दोपहर में इसके विरोध प्रदर्शन करेंगे.कर्मचारियों का दावा है कि RWSSC  के अधीन कार्यरत स्टाफ को किए जाने से उनकी सेवा,सुरक्षा प्रभावित होगी.बोर्ड के अधीन जाने से कर्मचारियों की वरिष्ठता,वेतन,पेंशन सहित कई विवाद उत्पन्न होंगे,वर्तमान में आरएसआरटीसी, विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, हाउसिंग बोर्ड,आरटीडीसी राज्य सरकार के अधीन कार्यरत है.उनकी वित्तीय स्थिति खराब है.



ये संगठन एक साथ आए-


वाटर वर्क्स कर्मचारी संघ के साथ साथ राज्य कर्मचारी संघ,राज्य वाहन चालक एवं तकनीकी कर्मचारी संघ ड्रिलिंग,जनता जल योजना श्रमिक यूनियन ने भी समर्थन किया है.ऐसे में देखना होगा कि कर्मचारियों का आंदोलन कितना मजबूत होता है.क्या सरकार जल निगम के नियमों में संशोधन करेगी?