ई ग्रास चालान की आड़ में घपला, 8 करोड़ों की चपत
रजिस्ट्री (Registry) करवाने के लिए ई-ग्रास की आड़ में पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है.
Jaipur: रजिस्ट्री (Registry) करवाने के लिए ई-ग्रास की आड़ में पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के मामले में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. ई-ग्रास (E grass challan) की आड़ में करोड़ों रुपए की चपत लगाने और लोगों को ठगने के मामले में जो 676 प्रकरण चिह्नित हुए हैं उसमें से 209 के तार जयपुर के एक स्टांप वेंडर परिवार से जुड़े हैं. इस परिवार के अलग-अलग सदस्यों के नाम से स्टांप वेडिंग के लाइसेंस जारी है. हालांकि पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग के महानिरीक्षक महावीर प्रसाद के निर्देशानुसार इस पूरे प्रकरण में विभागीय स्तर पर भी जांच और कार्रवाई शुरू हो गई है। तीन उप पंजीयकों को हटाने के साथ ही 7 लिपिकों को एपीओ किया जा चुका है. वहीं, 44 पंजीयकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
ई ग्रास की आड़ में जाली चालान बनाकर पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के मामले में विभाग के जयपुर (Jaipur News) में तैनात तीनों डीआईजी ने 19 आरोपी स्टांप वेंडरों के खिलाफ पुलिस को शिकायत सौंप दी है. तीनों सर्किल के डीआईजी स्टांप ने अपनी शिकायतों में कुल 507 जाली चालान का हवाला देते हुए संबंधित स्टांप वेंडर सहित इस पूरी साजिश में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और आपराधिक न्यास भंग सहित आपराधिक साजिश के आरोप लगाए हैं. इस मामले की जांच के लिए एसआईटी (SIT) गठित हो चुकी है इसलिए इन शिकायतों के साथ हो पूर्व में दर्ज सभी प्रकरण उसके समक्ष पेश किए जा रहे हैं. अब तक कि जांच में जो सामने आया वो चौकाने वाला है.
जयपुर के मुरलीपुरा निवासी सुभाष योगी सहित चार स्टांप वेंडिंग के चार लाइसेंस होल्डर ने ही मिलकर 209 जाली चालान के जरिये विभाग और रजिस्ट्री करवाने वालों को चूना लगा दिया. 4 लाइसेंस से 209 प्रकरण में स्टांप खरीद के नाम जारी करवाए गए पुराने चालानों में हेराफेरी कर रजिस्ट्रियों में चुकाई जाने वाली स्टांप डयूटी के नए दस्तावेजों में उपयोग किया गया है. सुभाष योगी के नाम ऐसे 88 चालान हैं जबकि रमेशचंद योगी के 36, मीनाक्षी के नाम 35 और पवन के नाम से जारी 50 चालान में जालसाजी और हेरफेर कर रजिस्ट्रियों में उपयोग किया गया है. इसके अलावा स्टांप वेंडर रोहित चौधरी के 58, राकेश कुमार गुप्ता के 22 और राकेश कुमार जैन के 60 प्रकरण में जाली चालान के मामले सामने आए हैं. इस मामले की 1 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज होने के बाद संबंधित उप पंजीयकों और पक्षकारों ने करीब 25 प्रकरण दर्ज करवाए थे. इन सभी मामलों के साथ डीआईजी स्टांप की ओर से दी गई एफआईआर सहित सभी मामलो की जांच अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (अपराध एवं सतर्कता) आयुक्तालय करन शर्मा के नेतृत्व में गठित एसआईटी करेगी.
मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग के आईजी महावीर प्रसाद का कहना है कि विभाग के अधीन आने वाले जयपुर सर्किल के तीनों डीआईजी (स्टांप) ने पुलिस को दी. विस्तृत शिकायतों में कहा है कि उनके द्वारा स्टॉप अधिनियम और नियमों के तहत स्टांप वेंडरों को लाइसेंस जारी किए गए हैं और कानूनन यह सभी लोक सेवक माने जाते है. इनमें से कुछ स्टांप वेंडरों ने कोषालय से स्टाम्प इश्यू करवाने के बाद उन्हीं पुराने चालानों को जालसाजी करते हुए जाली चालान तैयार कर उपयोग किया. ऐसे जाली चालान के जरिये रजिस्ट्रियां करवाई और मूल दस्तावेज के साथ वास्तविक चालानों के रूप में उपयोग किया है. इस तरह इन 19 स्टांप वेंडर ने अपने दायित्वों से परे जाकर लोक सेवक होते हुए भी आपराधिक विश्वास भंग किया है. शिकायतों में यह भी कहा है कि चूंकि ऐसें चालानों का स्टांप वेंडरों द्वारा कोषालय में उपयोग किया जा चुका था और उन्हीं में हेरफेर कर जाली चालान बना राजकोष को हानि पहुंचाई है. ई-ग्रास की कुछ चालान वेबसाइट पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को एडिट कर मिथ्या तैयार करते हुए बेईमानी और धोखाधड़ी पूर्वक जालसाजी की गई है और मिथ्या दस्तावेज तैयार किया गया है. इस तरह सरकार को जानबूझकर हानि पहुंचाई गई है. इसलिए ऐसे 19 स्टॉप वेंडरों के नाम अंकित करते हुए इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की है.
यूं समझे कैसे हुई जालसाजी
रमेशचंद योगी--मुरलीपुरा जयपुर ने 15 अप्रैल 2015 को ई चालान के जरिये स्टांप खरीदने के लिए डीआईजी स्टांप जयपुर सर्किल प्रथम के नाम कुल 55 हजार 510 और 990 रुपए, कुल 56 हजार 500 जमा करवाए चालान 15 अप्रेल 2015 से 30 अप्रैल 2015 तक के लिए मान्य था. जिसका GRN नंबर 0005885965 है। जांच में सामने आया कि इसी जीआरएन नंबर 0005885965 के चालान की कॉपी में तारीख से लेकर रकम और अन्य एंट्रीज में फेरबदल कर एक रजिस्ट्री में स्टांप ड्यूटी का भुगतान बता दिया जाली चालान में केवल जीआरएन मूल चालान का है. इसमें 20 मई 2019 को स्टांप शुल्क सहित उस पर सेस और रजिस्ट्रेशन चार्ज आदि की रकम के 55 हजार 510 रुपए अंकित कर रजिस्ट्री के साथ पेश कर दिया.
सुभाष योगी- वैशालीनगर जयपुर ने 21 दिसंबर 2018 को स्टांप खरीदने के लिए डीआईजी स्टांप जयपुर सर्किल प्रथम के नाम से ई चालान के जरिये 53 हजार 460 व 540 रुपए कुल मिलाकर 54 हजार रुपए जमा करवाए थे. यह चालान 1 अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक के लिए मान्य था. जिसका जीआरएन नंबर 0027045862 है. जांच में सामने आया कि GRN नंबर 0027045862 के चालान को एक रजिस्ट्री में स्टांप डयूटी सहित सेस, रजिस्ट्रेशन शुल्क और अन्य चार्ज के लिए 63 हजार 460 रुपए का भुगतान 20 मई 2019 को करना दर्शाते हुए रजिस्ट्री करवाने वालों के साइन-अंगूठा निशानी कर मूल रजिस्ट्री के साथ सब रजिस्ट्रार संख्या चार जयपुर सिटी के समक्ष पेश किया जिसके आधार पर रजिस्ट्री हो गई.
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डीआईजी प्रथम जयपुर, मुद्रांक एवं पंजीयन
स्टॉप वेंडर का नाम--------------जाली चालान संख्या
दीपक शर्मा-----------------------------5
अनंत बिहारी शर्मा-----------------------------36
रामकृष्ण खंडेलवाल-----------------------------5
कुंज बिहारी वैष्णव-----------------------------5
राजेश कुमार गुप्ता-----------------------------5
रमेश चंद योगी-----------------------------39
रामरघुवीर बोचालिया-----------------------------8
मीनाक्षी पारीक-----------------------------35
नीतिश भारद्वाज-----------------------------23
कमलेश योगी-----------------------------18
डीआईजी स्टांप वृत द्वितीय
स्टॉप वेंडर का नाम-----------जाली चालान संख्या
रोहित चौधरी--------------------------59
सुभाष योगी--------------------------89
कुंज बिहारी--------------------------10
पवन सिंह पंवार--------------------------54
डीआईजी स्टांप वृत तृतीय----
स्टॉप वेंडर का नाम------–-----जाली चालान संख्या
सोहनलाल कुमावत------------------16
भगवान सहाय गेट--------------------19
राकेश कुमार गुप्ता--------------------22
हरिशंकर जाट--------------------------4
राकेश कुमार जैन----------------------60
बहरहाल, 2017 से ई-ग्रास के दस्तावेजों को खंगालने पर मुद्रांक एवं पंजीयन विभाग की टीम इस मुकाम तक पहुंची और लापरवाही करने वालों पर एक्शन लिया. हालांकि अभी जांच जारी हैं. इस गिरोह में कौन-कौन शामिल हैं इन सभी का खुलासा भी जल्द एसआईटी करेगी.