Shani Pradosh Vrat 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो पक्ष होते हैं, एक कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष. इन दोनों ही पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत होता है.
दरअसल प्रदोष काल उस समय को कहते हैं कि जब दिन छिपने लगता है, यानी सूर्यास्त के ठीक बाद वाले समय और रात्रि के प्रथम प्रहर को ही प्रदोष काल कहा जाता है.


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त्रयोदशी के दिन प्रदोष काल के समय भोलेनाथ की पूजा का विधान है. माना जाता है कि त्रयोदशी की रात के पहले प्रहर में अगर शिव प्रतिमा के दर्शन कर लिए जाएं तो जीवन में सुख ही सुख मिलता है. 


शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Shani Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रारंभ होगी- 17 फरवरी 2023 को रात 10 बजकर 16 मिनट से 
फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समापन 18 फरवरी 2023, शनिवार को शाम 06 बजकर 32 मिनट पर होगा
पूजा मुहूर्त - शाम 06 बजकर 45 बजे से रात 09 बजकर 01 मिनट तक


शनि प्रदोष व्रत पर इस मंत्र का करें जाप
ऊं त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टि वर्धनम।
उर्वारुकमिव बन्धनात मृत्युर्मुक्षीय माम्रतात।|


शनि प्रदोष व्रत की पूजा विधि (Pradosh Vrat Puja Vidhi)
सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नान करें.
सूर्य भगवान को अर्ध्य दें और बाद में शिव जी की उपासना करें.
भगवान शिव को बेल पत्र, पुष्प, धूप-दीप और भोग आदि चढ़ाने के बाद शिव मंत्र का जाप, शिव चालीसा का पाठ करें.
सुबह पूजा आदि के बाद शाम को प्रदोष काल के समय भी फिर इसी प्रकार से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए.
व्रत के अगले दिन  ब्राह्मणों और गरीबों को दान दें. 
 
शनि प्रदोष व्रत का महत्व (Pradosh Vrat Importance)
जो भी शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा करता है और प्रदोष व्रत करता है, उसके सभी पापकर्मे नष्ट हो जाते हैं और उसे रोग, ग्रह दोष जैसे कष्टों से मुक्ति मिलती है और भगवान भोलेनाथ की कृपा से धन, धान्य, सुख, समृद्धि की प्राप्ति होती है.


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