Jaipur: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 68वें राष्ट्रीय अधिवेशन का आयोजन राजधानी जयपुर में किया गया. पिछले कई सालों से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रा यशवंतराव केलकर पुरस्कार दिया जाता है. यह पुरस्कार समाज में समाज के लिए किए गए कार्यों को लेकर समाज सेवी को दिया जाता है. इस साल प्रा. यशवंतराव केलकर पुरस्कार बुलढाणा (महाराष्ट्र) निवासी नंदकुमार पालवे को दिया गया.


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निराश्रितों और मानसिक रूप से दिव्यांगों को पोषण, स्वास्थ्य सेवा एवं स्नेह देकर उनका सम्मानजनक पुनर्वसन करने के सराहनीय कार्य हेतु उन्हें यह पुरस्कार नंद कुमार पालवे को देकर सम्मानित किया गया. सम्मान समारोह के मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नंदकुमार पालवे को यह पुरस्कार देकर सम्मानित किया. महाराष्ट्र के बुलढाना जिले के पलसखेड सपकाल गाँव में ‘सेवा संकल्प प्रतिष्ठान’ जिसका उद्देश्य ही ‘चला जरा वेगळं जगूया ..!’ अर्थात ‘चलो थोड़ा हटके जिया जाए...!’ के माध्यम से यह अद्वितीय कार्य किये जाने पर ये पुरस्कार नंद कुमार को दिया गया.


गौरतलब है कि यह पुरस्कार वर्ष 1991 से प्रा. यशवंतराव केलकर की स्मृति में दिया जाता है, जिन्हें संगठन का शिल्पकार कहा जाता है और संगठन विस्तार में उनकी भूमिका के लिए याद किया जाता है यह पुरस्कार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और विद्यार्थी निधि न्यास की एक संयुक्त पहल है, जो छात्रों की उन्नति एवं शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के लिए प्रतिबद्ध है.


पुरस्कार का उद्देश्य युवा सामाजिक उद्यमियों के काम को उजागर करना, उन्हें प्रोत्साहित करना और ऐसे सामाजिक उद्यमियों के प्रति युवाओं का आभार व्यक्त करना तथा युवा भारतीयों को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करना है. इस पुरस्कार  1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, प्रमाण पत्र एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया.


संस्थान द्वारा बेसहारा, बेघर, मनोरुग्ण, दिव्यांग, वृद्ध, एचआईवी बाधित रुग्ण, लालबत्ती क्षेत्र के बालक इन्हें, "सेवा संकल्प प्रतिष्ठान" के केंद्र पर लाया जाता ह.उनका उपचार, संभाल, मार्गदर्शन एवं पुनर्वसन का कार्य चल रहा है. पोषण - स्वास्थ्य -स्नेह इस त्रिसूत्री से यह कार्य चल रहा है. आज तक 105 व्यक्तियों को ठीक करके उन्हें उनके परिवारजनों से वापस मिलाया गया है.सेवा संकल्प प्रतिष्ठान के प्रकल्प पर लगभग 200 मनोरुग्ण, बेघर, एचआईवी बाधित रुग्ण, माता भगिनी निवासी हैं और सभी प्रकार की सेवा ले रहे है.जिन्हें अपने परिवार वालों ने रास्ते पर छोड़ दिया.


जिन्हें मानवता से वंचित किया गया उन्हें नया सहारा नंदकुमार जी के कार्य से मिल रहा है.यह वंचितों के आत्मीय सेवा एवं संभाल के लिए एक आश्रय स्थल बन गया. उन्हें मां के स्पर्श से, आध्यात्मिक एवं सौहार्द पूर्वक सेवा की ऊर्जा से कष्ट मुक्त कराने का यह एक प्रयास है.गत पांच वर्षों से निराश्रित स्थिति में मिले मृत देह तथा जिला सामान्य अस्पताल के अनेक निराश्रित मृत देह का विधिवत अंतिम संस्कार करने का कार्य भी नंदकुमार पालवे और उनके सहयोगियों ने किया है. उनकी व्यक्तिगत स्वच्छता, भोजन की व्यवस्था, स्वास्थ्य देखभाल की व्यवस्था भी की जा रही है.


पुरस्कार मिलने के बाद नंद कुमार पालवे ने कहा " यह सौभाग्य की बात है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में उनको यह सम्मान देकर गौरवान्वित किया गया है. लोगों को जब जंजीरों में जकड़ा देखा तो मन व्यथित हुआ. दरगाह के बाहर ऐसे लोगों की संख्या बहुत ज्यादा रही. मेरे मन मे विचार आया कि सेवा करेंगे, लेकिन परिवार को सेटल करके लेकिन मेरे समझ नहीं आता है कि ये परिवार सेटल कब होता है. परिवार को सेटल करने में ही पूरा जीवन निकल जाता है, फिर समाज सेवा कब करेंगे. सेवा संकल्प किसी का विरोध करना नहीं है. बल्कि ये समाज के उन लोगों की सेवा करना है. जिनको समाज ने छोड़ दिया है.हर परिवार में एक पागल है, बस उसको सुनने और समझने की जरूरत है.आपने उसको रोने के लिए अगर अपना कंधा दे दिया तो उसको मनोरोग अपने आप दूर हो जाएगा.''


उन्होने कहा कि आ हम सब वक्ता बन रहे हैं, कोई सुनना चाहता ही नहीं है. अगर हमने सुनना शुरू कर दिया तो मनोरोग दूर हो जाएगा. केंद्रीय मंत्री यहां बैठे हैं, उनसे अनुरोध है कि ऐसे लोगों के लिए कुछ किया जाए. आज ऐसे लोगों के पास इनकी पहचान नहीं है.ना इनके पास आधार कार्ड नहीं है और ना ही कोई पहचान का दस्तावेज. जिसकी वजह से इन लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. इसलिए अगर सरकार इनकी पहचान होगी तो इनको सभी लाभ मिलेंगे.


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