जयपुर: राजस्थान में दलित, आदिवासियों और जरूरतमंद लोगों की सहायता कर रहे गैर सरकारी एनजीओ को स्थानीय सहायता के साथ करोड़ों की विदेशी आर्थिक मदद मिल रही है  खास बात यह है कि सेवा के बदले, विदेशी मेवा के रूप में आर्थिक मदद लेने वाले एनजीओ की संख्या और धनराशि भी बढ़ रही है. हालांकि, इस राशि का सही उपयोग हाे रहा है या नहीं इस पर किसी भी प्रकार की निगरानी नहीं है. हालांकि गृहमंत्रालय के मांगने पर तिमाही आर्थात हर तीन महीने में जानकारी जरूर दी जा रही है. कितने देशों से कितने एनजीओ को विदेशी सहायता मिल रही है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

राजस्थान में बड़ी संख्या में गैर सरकारी संगठन अर्थात एनजीओ हैं जो लोगों की सेवा कर रहे हैं. ये एनजीओ चिकित्सा, खाद्य, पर्यावरण, सामाजिक, वानिकी सहित धार्मिक क्षेत्रों में लोगों के कल्याण के लिए काम कर रहे हैं. ये एनजीओ लोगों की सेवा करने के लिए स्थानीय स्तर से लेकर सरकारी सहायता ले रहे हैं. जानकार आश्चर्य होगा कि इन एनजीओ में कुछ ऐसे भी हैं जिनको सेवा के लिए विदेशों से भी आर्थिक मदद मिल रही है. विदेशों से मिलनी यह मदद हजारों, लाखों से लेकर करोड़ों रूपए तक है. विदेशी मदद के रूप में इन एनजीओ को इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 35 करोड़ से ज्यादा आर्थिक मदद मिली है.


यह भी पढ़ें: देश ही नहीं दुनिया में अलग पहचान बनाएगा कोटा का ऑक्सीजोन पार्क, ये है खासियत
 


हर साल बढ़ रही है एनजीओ संख्या और राशि 
हर साल एनजीओ की संख्या और मिल रही विदेशी मदद भी बढ़ती जा रही है. राज्य की खुफिया पुलिस एनजीओ को मिली रही विदेशी सहायता राशि की जानकारी हर तीसने महीने राज्य सरकार को भेज रही है. राज्य सरकार केंद्रीय गृहमंत्रालय को इसकी जानकारी दे रहा है. इससे आगे कुछ भी नहीं है. खुफिया पुलिस रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल एक तिमाही में करीब 27 एनजीओ को लगभग साढ़े सात करोड़ रूपए की विदेशी आर्थिक सहायता मिली थी. वहीं इस साल एनजीओ की संख्या 67 हो गई है, वहीं विदेशी सहायता राशि भी बढ़कर 35 करोड़ रुपए से ज्यादा पहुंच गई.


- प्रदेश में 11 जिलों के 67 एनजीओ ने दो दर्जन देशों से विदेशी आर्थिक सहायता ली है


- विदेशी मदद लेने वालों में सबसे ज्यादा 32 एनजीओ उदयपुर के हैं, वहीं जयपुर के 11 तथा अजमेर के 9 एनजीओ हैं.



- राज्य के एनजीओ को जर्मनी, फ्रांस, नीरदलैंड, यूएसए, यूएस,यूके, सिंगापुर, स्वीटजरलैंड, कनाडा, जापान, इंगलेंड, यूएई आदि देशों से सहायता मिली है.


- इनमें भी सबसे ज्यादा मदद देने वालों में जर्मनी, यूएस, यूएस,यूके और नीदरलैंड हैं, वहीं मिजोरियो से भी एक एनजीओ को सहायता मिली है.


-अलवर के इब्तिदा को सबसे ज्यादा 6 करोड़ 49लाख 32 हजार 774 रुपए की विदेशी सहायता यूएस से मिली है.


- उदयपुर के एनिमल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट ने 3 करोड़ 9 लाख 85,000 रूपए की सहयता यूएसए से ली है.
- जयपुर के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ डाटा इंटरप्रिटेशन एंड एनालिसिस ने सिंगपुर-यूएसए, यूएई से एक करोड़ 23 लाख 81 हजार 175 रुपए लिए हैं.


- जयपुर सिकोईडिकॉन को यूएसए से एक करोड़ 58 लाख 69 हजार 500 रूपए मिले हैं.
- उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान को एक करोड़ 39 लाख 17 हजार की मदद आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी से मिली है.


- उदयपुर के फिलादेल्फिया फैलोशिप चर्च ऑफ इंडिया ने यूएसए, थाईलैंड, कनाडा, सिंगापुर से एक करोड़ 78 लाख 9 हजार 126 लिए हैं.


- इधर लाखों करोड़ों के बीच नवलगढ़ के आशा का झरना को US से सबसे कम महज 7277 रुपए की मदद मिली है.


यह भी पढ़ें: राजस्थान आएगी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा, अलवर के मालाखेड़ा में होगी जनसभा


विदेशी मेवा के खर्च का कोई रिकॉर्ड नहीं 
इस राशि का एनजीओ क्या और कैसे उपयोग कर रहे हैं. इसका किसी के पास कोई रिकॉर्ड नहीं है. कहीं विदेशों से मिल रही इस राशि का उपयोग देश के खिलाफ संदिग्ध गतिविधियों में तो नहीं किया जा रहा.इस संभावना के आधार पर फाइनेंशियल एक्शन टास्क ने राजस्थान में कार्यरत गैर-लाभकारी संस्थाओं को मिल रही आर्थिक सहायता की जानकारी मांगी थी, लेकिन पुलिस ने एनजीओ को मिलने वाली सहायता की मॉनिटरिंग में समस्याएं गिनाते हुए असमर्थता जता रखी है. पुलिस मुख्यालय ने गृहमंत्रालय को निगरानी में ये असमर्थता जताई थी.