जयपुर: इंदौर स्वच्छता का सातवां आसमान छूने की तैयारी में जुट गया हैं. पिंकसिटी में भी हर बार की तरह टॉप-10 में आने का दावा करने वाली दोनों शहरी की मुखिया से लेकर अफसर स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 की रैकिंग में अच्छा प्रदर्शन करने का दावा करने में कोई कसर नहीं छोड रहे हैं. धरातल पर अब तक दोनों निगम गीला-सूखा कचरा ही अलग नहीं कर पाए और न ही शहरवासियों को जागरूक करने के लिए निगम की ओर से कोई प्रयास किए जा रहे हैं.स्वच्छ सर्वेक्षण की परीक्षा वर्ष-2022 में 7500 अंक की हुई थी, जबकि वर्ष 2023 में बढ़ाकर 9500 अंक कर दिए गए हैं. यानी पॉलिथीन प्रतिबंध से लेकर कचरे के निपटारे सहित सभी पैरामीटर पर नगर निगम को अधिक काम करना होगा.


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स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 की आहट शुरू हो चुकी है.अबकी बार 9500 नंबर की पहली स्टेज की परीक्षा में अच्छे अंक लाने के लिए स्वच्छता सर्वेक्षण के पोर्टल पर डॉक्यूमेंट डाटा अपलोड का काम पूरा कर दिया हैं. मेयर, आयुक्त, सफाई समिति चेयरमैनों, उपायुक्त स्वास्थ्य, संसाधन, सीएसआई, एसआई, जमादारों और स्वच्छता दूतों की लंबी-चौडी फौज होने के बावजूद ना तो सडकों से कचरा समय पर उठ रहा है और ना ही घर-घर कचरा संग्रहण के लिए हूपर पहुंच रहा हैं.


सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने में निगम फिसड्डी


सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने में भी नगर निगम प्रशासन पूरी तरह से फेल साबित हुआ है. आज भी सिंगल यूज प्लास्टिक का धड़ल्ले से यूज हो रही हैं. नगर निगम ग्रेटर की मुखिया डॉक्टर सौम्या गुर्जर और आयुक्त महेन्द्र सोनी का कहना हैं कि निगम अपने स्तर पर तो काम कर रहा है, लेकिन आमजन की भागीदारी के बिना जयपुर की रैकिंग आना संभव नही हैं. इंदौर में यदि छह तरीके से कचरा संग्रहण किया जा रहा है तो उसके लिए वहां के नागरिकों की जागरूकता हैं. जयपुर में डोर टू डोर कचरा संग्रहण के लिए हूपर में गीला और सूखा कचरे के लिए अलग-अलग ब्लॉक हैं. उसके बावजूद लोग गीला और सूखा कचरा अलग अलग नहीं डालते. इसके लिए जयपुराइट्स को जागरूक होना होगा.


हूपर जाने के बाद दुकानदार मुख्य सड़कों पर कचरा डाल देते हैं, लेकिन अब ये नहीं चलेगा. यदि अब किसी ने कचरा सड़क पर डाला तो 200 से 1 हजार रुपए तक कैरिंग चार्ज वसूला जाएगा. हालांकि, नगर निगम की शहरी मुखिया और अफसरों के बयानों के इतर धरातल पर देखे तो राजधानी में अब तक हूपर का समय तय ही नहीं हो पाया है...लोगों को दिन भर कचरा डालने के लिए हूपर का इंतजार रहता है... जबकि राजधानी में कचरा संग्रहण के नाम पर हर माह नौ करोड़ रुपए से अधिक खर्च हो रहे हैं. आठ करोड़ प्रति माह कचरा संग्रहण पर खर्च कर इंदौर नगर निगम पांच साल से सफाई में अव्वल आ रहा है.


दो निगमों में काम करने की रफ्तार धीमी


इतना ही नहीं राजधानी में सड़क किनारे कचरा डिपो यथावत हैं. पूरे शहर में 600 से अधिक कचरा डिपो हैं. वहीं 15 से अधिक ट्रांसफर स्टेशन हैं. इनके आस-पास लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर ने अब तक गीला-सूखा कचरा ही अलग नहीं कर पाए और न ही शहरवासियों को जागरूक करने के लिए निगम की ओर से कोई प्रयास किए जा रहे हैं. शहर में लिटरबिन्स के खाली पड़े स्टैंड, दीवारों पर दो वर्ष पुरानी स्वच्छ सर्वेक्षण की पेंटिंग यह बताने के लिए काफी हैं कि शहर में इस वर्ष अब तक सर्वेक्षण की शुरुआत तक नहीं हुई है.


दोनों निगम की मेयर अपने कामों में बिजी


आलम यह है कि ग्रेटर नगर निगम की महापौर सौम्या गुर्जर कानूनी उलझनों में ऐसी फंसी हैं कि उनको हमेशा कुर्सी जाने का डर सताता रहता है और हैरिटेज नगर निगम की महापौर मुनेश गुर्जर उद्घाटन और शिलान्यास में व्यस्त हैं. यही कारण है कि शहर में सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है और स्वच्छता रैंक में कोई सुधार भी नहीं हो रहा है.


दोनों नगर निगमों में सफाई कर्मचारी की स्थिति


पद

 हैरिटेज


 

 ग्रेटर 


 

सफाईकर्मी 4200  3200 
सीएसआई   14  15
एसआई 100  150
जमादार  150  145

स्वच्छ सर्वे में यह होने पर काटे जाएंगे अंक
-सड़क पर थूकने पर सर्वेक्षण में 80 अंक काटे जाएंगे.
-शौचालयों में गंदगी मिलने पर पर-250 अंक कटेंगे.
- लैंडफिल व एसटीपी साइट सेग्रीगेशन नहीं मिलने पर-700 अंक काटे जाएंगे.
-सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग किए जाने पर -150 अंक काटे जाएंगे.
-सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के उपकरण नहीं होने पर-375
-स्वच्छ वार्ड रैंकिंग गिरने पर-320 अंक काटे जाएंगे .
-निगम प्रशासन और सिटीजन की ओर से इनोवेशन नहीं होने पर- 200 अंक काटे जाएंगे
-स्वच्छता ऐप डाउनलोड, शिकायत नहीं करने,फीडबैक नहीं देने पर-550 अंक काटे जाएंगे.
-स्वच्छता की ब्रांडिंग में प्लास्टिक के उपयोग पर-25 अंक काटे जाएंगे.


इस तरह मिलेंगे अंक
-वार्डों में 95 प्रतिशत से अधिक प्रचार-प्रसार करने पर 25 अंक.
-वार्डों में 75 से 90 प्रतिशत तक प्रचार-प्रसार पर 20 अंक.
-वार्डों में 50 से 74 प्रतिशत तक प्रचार प्रसार करने पर 15 अंक.
-वार्डों में 50 प्रतिशत से कम प्रचार-प्रसार होने पर 10 अंक.


 "कचरे से समृद्धि' है  सर्वेक्षण की थीम


बहरहाल, इस बार सर्वेक्षण की थीम "कचरे से समृद्धि' रखी गई हैं. इसमें कचरे से शहर को समृद्ध बनाने पर क्या काम किए जा रहे है इसको देखा जाएगा.  इसके लिए निकायों को 3-R यानी रिसाइकल, रियूज व रिड्यूस सिद्धांत पर काम करना होगा. यानी पॉलिथीन प्रतिबंध से लेकर कचरे के निपटारे सहित सभी पैरामीटर पर नगर निगम को अधिक काम करना होगा. इस बार जयपुर के लिए रैंकिंग सुधारने के लिए बड़ी चुनौती शहर के रेड स्पॉट्स को हटाना होगा.अगर शहर के प्रमुख पब्लिक प्लेस पर रेड स्पॉट दिखाई दिए तो उसके भी पॉइंट्स कटेंगे.