Queen Elizabeth II Death: राजस्थान से रह चुका है महारानी का गहरा लगाव, हुआ था शाही स्वागत, झलक पाने को उमड़े थे लोग
महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय का 30 जनवरी 1961 को उदयपुर आई थी, जहां सीटी पैलेस में उनका स्वागत किया गया था.महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय ने अपने पति प्रिंस एडवर्ड के साथ जयपुर का दौरा किया था
Queen Elizabeth II Death: ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय का गुरुवार को 96 साल की उम्र में बालमोरल में निधन हो गया. क्वीन एलिजाबेथ-द्वितीय ब्रिटेन पर सबसे लंबे समय तक राज करने वाली महारानी रही, उन्होंने ब्रिटेन पर 70 सालों तक ब्रिटेन पर अपना शासन कायम रखा, उन्होंने पहली बार 1952 में राजगद्दी की बागडोर संभाली थी.महारानी एलिजाबेथ दुनिया के किसी देश की एक मात्र राजकीय प्रमुख थी, जिन्होंने भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर भारत के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की. महारानी एलिजाबेथ के निधन से ब्रिटेन सहित पूरी दुनिया में शोक का माहौल है. ब्रिटेन के लिए अपनी क्वीन को खोना अपूरणीय क्षति है. क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के निधन पर पीएम मोदी समेत दुनियाभर के नेताओं ने शोक व्यक्त किया है. ब्रिटेन में महारानी के निधन को ‘ऑपरेशन लंदन ब्रिज’ कहा जाता है, जो एक तरह का ‘प्रोटोकॉल’ है, जिसे बकिंघम पैलेस की ओर से महारानी के निधन की घोषणा के बाद लागू किया गया. इसके साथ ही ‘ऑपरेशन स्प्रिंग टाइड’ भी लागू हो गया, जिसके तहत महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे और उत्तराधिकारी प्रिंस चार्ल्स को 73 साल की उम्र में ‘महाराज चार्ल्स तृतीय’ के रूप में देश की राजगद्दी सौंपी गई.
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भारत से जुड़ा था खास रिश्ता
महारानी का भारत से भी खास रिश्ता रहा है. महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति प्रिंस फिलिप तीन बार भारत आए. सबसे पहले साल 1961, फिर 1983 और फिर 1997 में उन्होंने भारत का दौरा किया. साल 1961 में भारत के दौरे पर आई क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय यूपी गई थी. इस दौरान ब्रिटेन का शाही जोड़ा ताजमहल का दीदार करने पहुंचा था. इसके अलावा उन्होंने मुंबई, वाराणसी, उदयपुर, जयपुर, बेंगलुरु, चेन्नई और कोलकाता की भी यात्रा की थी. इस शाही जोड़े को भारत की सादगी और खुबसूरती ने अपना कायल बना दिया था. महारानी जहां भी गई अनगिनत लोग सड़कों पर उन्हें देखने पहुंच गये. कई लोग छतों पर और बालकनियों में द क्वीन ऑफ इंग्लैंड’ की एक झलक पाने के लिए बेताब नजर आये थे.
पहली बार भारत पहुंचने पर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने किया था स्वागत
जब क्वीन एलिजाबेथ-द्वितीय 1961 में पहली बार भारत पहुंची, तो 21 जनवरी 1961 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, उपराष्ट्रपति डॉ. एस राधाकृष्णन और प्रधान मंत्री जवाहरलाल नेहरू ने हवाई अड्डे पर पहुंचकर महारानी और प्रिंस फिलिप का स्वागत किया था. गणतंत्र दिवस 1961 की परेड में महारानी एलिजाबेथ द्वितीय बतौर अतिथि शामिल हुई थी. इस दौरान उनका 1961 में दिल्ली के ऐतिहासिक रामलीला मैदान में भव्य स्वागत किया गया था, इसी समय क्वीन एलिजाबेथ-द्वितीय तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को भी संबोधित किया था.
जयपुर में पारंपरिक तरीके से हुआ था शाही जोड़े का स्वागत
महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय ने अपने पति प्रिंस एडवर्ड के साथ जयपुर का दौरा किया था, जहां पारंपरिक भारतीय तरीके से उनका स्वागत किया गया था. उस समय जयपुर के महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय के साथ रानी ने सिटी पैलेस के पास हाथी की सवारी की थी. महारानी एलिजाबेथ जयपुर के समीप भांकरोटा गांव भी गई थी जो वर्तमान में जयपुर शहर में शामिल है, वहां उन्होंने पेयजल सप्लाई योजना का शुभारंभ भी किया था.
जब नेहरू हो गये थे नाराज
जयपुर की पूर्व महारानी गायत्री देवी की बुक 'अ- प्रिंसेस रिमेम्बर्स- मेमोयर्स ऑफ द महारानी ऑफ जयपुर' में महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय के दौरे का जिक्र है, जिसमें बताया गया है कि कैसे उस समय सवाई मानसिंह, पूर्व महारानी गायत्री देवी, ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और उनके पति प्रिंस फिलिप जयपुर से रणथंभौर टाइगर का शिकार पर करने गए थे, उस समय देश में शिकार पर प्रतिबंध नहीं था, हालांकि, भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की ओर से जिंदा जानवर का शिकार नहीं हो, इसको लेकर सवाई मानसिंह को पत्र भेजा गया था. जयपुर की पूर्व महारानी की गायत्री देवी की किताब के मुताबिक, प्रिंस फिलिप ने शिकार के पहले दिन एक टाइगर को मार गिराया था, जिसके बाद विवाद भी हुआ था, उस समय टाइगर के साथ की तस्वीर भी सामने आई थी और एक दिन बाद ही फिर से एक और टाइगर का शिकार किया गया था, जिसको लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू नाराज भी हो गये थे.
उदयपुर पैलेस में हुआ था महारानी का स्वागत, दरबारियों ने पहनी थी अमरशाही पगड़ी
महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय का 30 जनवरी 1961 को उदयपुर आई थी, जहां सीटी पैलेस में उनका स्वागत किया गया था. इस दौरान वे पिछोला झील में सवारी करते हुए जगमंदिर तक गई थी. महारानी कुछ उदयपुर दिन रुकी और इतिहासकारों से उदयपुर और आसपास के क्षेत्र के बारे में बहुत कुछ जाना. महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन के ट्रस्टी और राज्यपाल के सलाहकार लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ के अनुसार एलिजाबेथ 30 जनवरी 1961 को उदयपुर आई थी, उस समय महारानी बनने के बाद पहली बार वे हिन्दुस्तान के घूमने आई थी. रानी बनने के बाद वे जब उदयपुर आई तब उनके महाराणा भगवत सिंह ने सिटी पैलेस के शिव निवास में मेवाड़ी परंपरानुसार महारानी एलिजाबेथ-द्वितीय अगवानी की थी,
आजादी के 50वीं वर्षगांठ पर महारानी पहुंची थी भारत
भारत में उनकी अंतिम बार यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के पर हुई थी. इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के कठोर दौर का जिक्र करते हुए कहा था “यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं, जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है”. इसके बाद महारानी और उनके पति ने अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा भी किया था. इस दौरान उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी.
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