दान-पुण्य और पतंगबाजी के लिए आयोजित दो दिवसीय मकर संक्रांति पर्व खत्म,सजाईं झांकियां
Jaipur News: सूर्य के मकर राशि में आने के साथ ही सूर्य के उत्तरायण होने से मलमास रविवार को समाप्त हुआ. इसके अलावा दान-पुण्य और पतंगबाजी के लिए खास दो दिवसीय मकर संक्रांति का पर्व भी खत्म हुआ.
Jaipur: सूर्य के मकर राशि में आने के साथ ही सूर्य के उत्तरायण होने से मलमास रविवार को समाप्त हुआ. साथ ही दान-पुण्य और पतंगबाजी के लिए खास दो दिवसीय मकर संक्रांति का पर्व भी खत्म हुआ. इस बीच शहरवासियों ने पूरे उत्साह और उमंग के साथ पर्व मनाया.
सुबह से शहरवासी छतों पर नजर आए, जमकर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया. हालांकि मौसम ने पूरा साथ दिया. शाम को आतिशबाजी और लालटेन जलाए गए. इससे पूर्व सुबह गौशालाओं में गौसेवा की, तिल, कंबल सहित अन्य सामानों का दान किया. इस दौरान गौशालाओं में विभिन्न कार्यक्रम हुए. गलता, पुष्कर, प्रयागराज में भक्तों ने आस्था की डुबकी लगाई. मंदिरों में विशेष पतंग, डोर की झांकियां सजाई गई. भगवान को चांदी की पतंग और चरखी अर्पित की गई. गोविंद देव जी मंदिर में राधे रानी चांदी की चरखी पकड़ती हुई नजर आई, तो वहीं ठाकुरजी ने सोने की पतंग उड़ाई.
इसके साथ ही फीणी, गुड़, तिल के व्यंजनों का भोग लगाया गया. भक्तों ने दर्शन कर सुख समृद्धि की कामना की. अक्षयपात्र, अक्षरधाम मंदिर, लक्ष्मी जगदीश, राधा दामोदर जी, आनंदकृष्ण बिहारी मंदिर में पुजारी मातृप्रसाद शर्मा, न्यूसांगानेर रोड स्थित चिंताहरण काले हनुमान जी मंदिर में महंत मनोहरदास के सान्निध्य में विशेष पतंग, डोर की झांकी सजाई गई. सरस निकुंज दरीबा पान में महंत अलबेली माधुरी शरण के सान्निध्य में विशेष झांकी सजाई गई. कंबल वितरण किए गए. खोले के हनुमान जी मंदिर, स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर पतंगों की झांकी सजाई गई.
पतंगबाजी की विशेष रौनक चारदीवारी में देखने को मिली. यहां हर छत पर एक दो नहीं बल्कि 10 से 15 लोग एकसाथ पतंग उड़ाते हुए सुबह से नजर आए. अन्य जगहों पर भी पतंगबाज छतों पर डटे रहे. शहर की अन्य कॉलोनियों में भी बच्चें और महिलाएं पतंगबाजी में बढ-चढकर हिस्सा लिया. हवा के रुख के साथ ही पतंगें आकाश छूती रहीं. वहीं कटी पतंगों को लूटने का बच्चे ही नहीं बड़े और महिलाएं भी मजा लेते हुए नजर आए.
सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा. मांझे से घायल बेजुबान पक्षियों की मदद के लिए शहर में जगह.जगह एनजीओं के जरिए निःशुल्क चिकित्सा शिविर भी लगाए गए. मकर संक्रांति पर त्रिग्रही योग का निर्माण हुआ. ऋतु परिवर्तन के साथ ही सर्दी भी धीरे-धीरे मकर संक्रांति से कम होने लगती है. संक्रांति वारानुसार राक्षसी, नक्षत्रानुसार मन्दाकिनी नामक यह संक्रांति पिता-पुत्र के योग में है. इससे महंगाई अभी और बढ़ेगी. कुछ जगहों पर अशांति रहेगी. साथ ही भारत की साख विश्व में कायम रहेगी. अब दिन की अवधि भी बढ़ेगी, साथ ही रात की अवधि एक-एक मिनट कम होती रहेगी. इसके साथ ही मलमास समाप्त होने से मांगलिक , शुभ कार्यो की शुरुआत हुई. नववर्ष 2023 के पहले पहले सावे पर दो हजार से अधिक शादियां हुई.