Jaipur: शिक्षक दिवस पर राजस्थान से दो शिक्षकों के सम्मान के लिए चयन किया गया है. इसमें से दो शिक्षक उदयपुर जिले के है. राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय पारगियापाड़ा और दूसरा नाम पंचायत समिति फलासिया उदयपुर के शिक्षक का चयन हुआ है. इलाके के लोगों को जैसे ही शिक्षक दुर्गाराम मुवाल को सम्मानित करने का नाम सामने आया परिवार और इलाके के लोगों में खुशी की लहर फैल गई. 


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शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने वाले शिक्षकों की सूची जारी
केंद्रीय स्कूल एवं शिक्षा विभाग ने आगामी 5 सितंबर को शिक्षक दिवस पर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित होने वाले शिक्षकों की सूची जारी कर दी है इस सूची में राजस्थान से 2 शिक्षकों का चयन हुआ है जिसमें मेवाड़ से उदयपुर से दुर्गाराम और बीकानेर से शिक्षिका सुनीता का चयन हुआ है इन दोनों को 5 सितंबर को दिल्ली में शिक्षक दिवस पर आयोजित समारोह में सम्मानित किया जाएगा.


400 से ज्यादा बच्चों का रेस्क्यू कर शिक्षा से जोड़ने का काम किया
शिक्षक दुर्गाराम बालश्रम और बाल तस्करी से बच्चों को ना सिर्फ रेस्क्यू किया बल्कि करीब 400 से ज्यादा बच्चों का रेस्क्यू कर शिक्षा से जोड़ने का काम किया. साथ ही करीब 250 से ज्यादा लड़कियों को गलत धंधों में जाने से भी बचाया है. शिक्षा में नवाचार, प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों के बस्ते का भार कम करने का काम किया.प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में बच्चों को योगाभ्यास,लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण देने का काम भी किया है.


शिक्षक दुर्गाराम अपना वेतन बच्चों पर भी खर्च करते आ रहे
शिक्षक दुर्गाराम प्रतिवर्ष अपने एक महीने के वेतन विद्यालय विकास एवं विद्यालय के बच्चों पर भी खर्च करते आ रहे है.कोरोना टीकाकरण में योद्धा के रूप में कार्य कर पदस्थापित पंचायत मादड़ी को पूरे भारत में सर्वाधिक टीकाकरण वाली पहली जनजाति पंचायत भी बनाया.बालिका शिक्षा को बढ़ावा देकर 300 से अधिक ड्रॉपआउट बालिकाओं को वापस शिक्षा से जोड़ने का बीड़ा उठाया.


11000 से ज्यादा पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में अहम भूमिका
उच्च कक्षाओं में पढ़ने वाली बालिकाओं की पढ़ाई का खर्च स्वयं वहन करते हैं.11000 से ज्यादा पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण में भी अहम योगदान किया. वृहद स्तर पर पौधारोपण करके हरियाली और पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया. 


बता दें कि बाल तस्करी आज विश्वभर में बेहद चुनौतीपूर्ण समस्या बनी हुयी है जो कि बड़ी संख्या में बच्चों को हर दिन प्रभावित कर रही है. 18 वर्ष से कम उम्र के बालक बालिकाओं का शोषण के उददेश्य से देश या विदेश में बेचना,भेजना,लगाना,प्रयोग करना बाल तस्करी के रूप में कर रहे हैं. आज गरीबी और दुनियाभर में फैली कोरोना महामारी से हमारी अर्थव्यवस्था पर पडे दुष्प्रभावों के चलते लोगों में बढती बेरोजगारी ऐसे कुछ कारण हैं जिनसे पिछडे़ गरीब तबके के परिवारों को अपने बच्चों को इस आग में झोंकना पड़ रहा है.


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बीच में ही विद्यालय छोड़ने वाले बालक बालिका सबसे ज्यादा बाल तस्करी के शिकार होते हैं. बाल तस्करी की गिरफ्त में आने वाले बच्चे शारीरिक शोषण, अवैध रूप से गोद लेने, पेड अनपेड वर्कर, अमान्य विवाह के तौर पर उपयोग में लाये जाते हैं. ऐसे में शिक्षक दुर्गाराम निराश्रित बच्चों के अभिभावक बनकर शिक्षा से जोड़ने का काम करके मिशाल पेश किए.