UDH Minister shanti dhariwal News: राजनीति को सेवा का जरिया बताने वाले राजनैतिक दलों की हरसंभव कोशिश होती है कि वे राज में आएं. राज में आकर जनता की सेवा करें, विकास कार्य करें और गुड गवर्नेन्स का मैसेज दें. राजस्थान की सरकार भी गुड गवर्नेन्स का मैसेज देती है, लेकिन सरकार के वरिष्ठ मन्त्रियों में शुमार और यूडीएच का ज़िम्मा संभालने वाले मन्त्री शांति धारीवाल विधायकों को विकास में बाधक मानते हैं.


शांति धारीवाल विधायकों को विकास में बाधक मानते


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दरअसल यह सभी विधायकों के लिए जनरल स्टेटमेन्ट तो नहीं है, लेकिन उदयपुर में स्मार्ट सिटी के काम की तारीफ़ करते हुए धारीवाल ने जयपुर के विधायकों और मन्त्रियों की आपसी खींचतान को विकास में बाधक बताया. यूडीएच मंत्री ने यहां तक कह दिया कि जयपुर के तीन मन्त्री और छह विधायक आपस में किस काम को पहले लेना है और किसको बाद में. इस बात पर एक राय नहीं होते, जिसके चलते काम की रफ्तार धीमी होती है.


स्मार्ट सिटी के काम पर खींचतान की बात कही- यूडीएच मंत्री


शांति धारीवाल ने जयपुर के जनप्रतिनिधियों की स्मार्ट सिटी के काम पर खींचतान की बात कही, लेकिन उनके बयान को हैरिटेज नगर निगम के सन्दर्भ में देखें तो लगता है कि उनकी बात में दम है. मेयर संग पार्षदों के धरने को भी इस संदर्भ में कुछ लोग देखते हैं. हालांकि मेयर किसी तरह की खींचतान से इनकार करती रही है.


नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की तारीफ कर दिया क्रेडिट


धारीवाल ने अपने सम्बोधन में उदयपुर स्मार्ट सिटी के काम की मॉनिटरिंग को सराहा और इसका क्रेडिट पूर्व नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया को दिया. दरअसल स्मार्ट सिटी का काम चार ज़िलों में चल रहा है. इसमें जयपुर और उदयपुर के साथ ही अजमेर, कोटा का नाम भी शामिल है. कोटा में धारीवाल खुद इस बारे में फ़ैसले लेते हैं. जयपुर के बारे में तो धारीवाल यहां तक बोल गए कि जयपुर में तीन मन्त्री और छह विधायक नहीं होते तो शायद स्मार्ट सिटी का काम ज्यादा बेहतर होता, लेकिन धारीवाल यहीं नहीं रुके, वे कहते हैं कि अगर फ़ैसला करने वाला एक आदमी हो, जिसका आदेश चलता हो तो काम समय पर पूरा होता? 


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अब यूडीएच मन्त्री के बयान के बाद सवाल यह उठता हैं कि क्या वाकई जयपुर के विधायक विकास में बाधक बन रहे हैं? सवाल यह भी क्या विधायक नहीं होते तो क्या ज्यादा बेहतर विकास होता? और सवाल यह भी कि अगर धारीवाल सिर्फ एक आदमी के फ़ैसले की पैरवी करते हैं ?  तो क्या यह सोच अधिनायकवाद को मजबूत और लोकतन्त्र को कमज़ोर करने वाली नहीं है?