Jaipur Delhi Train : अगले साल से जयपुर से ट्रेनों की स्पीड बढ़ने की संभावना है. जयपुर से दिल्ली और अहमदाबाद रूट के बीच अगले साल से ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की गति से दौड़ने लगेंगी. इसके लिए रेलवे प्रशासन दोनों रेल रूटों पर एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम लगा रहा है. क्या है पूरा प्रोजेक्ट, कैसे प्रदेशवासियों को मिलेगी मदद.


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उत्तर-पश्चिम रेलवे में अब ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने का कार्य तेज गति से किया जा रहा है. अभी जयपुर से दिल्ली और जयपुर से अहमदाबाद रूट पर ट्रेन अधिकतम स्वीकृत स्पीड 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही हैं. लेकिन अगले साल मार्च तक इसे 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाने के लिए काम चल रहा है. इसके बाद न सिर्फ वंदे भारत एक्सप्रेस बल्कि राजधानी, शताब्दी, दुरंतो, डबल डेकर जैसी कुछ विशेष ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ सकेंगी. इसके लिए विद्युत कर्षण प्रणाली यानी ओएचई अपग्रेडेशन के साथ सिग्नलिंग अपग्रेडेशन का काम भी किया जा रहा है. अगले साल से दिल्ली से जयपुर और आगे अहमदाबाद तक ट्रेनें 130 की रफ्तार से दौड़ेंगी. आपको बता दें कि अहमदाबाद से मुंबई और मुंबई से दिल्ली वाया सवाईमाधोपुर सेक्शन में ट्रेनों की स्पीड 160 किमी प्रति घंटा करने के लिए काम शुरू कर दिया गया है. जिसे अगले साल मार्च तक पूरा कर लिया जाएगा.


अजमेर से दिल्ली के बीच 90 फीसदी काम पूरा


- उत्तर-पश्चिम रेलवे में 425 रूट किमी पर सिग्नलिंग सिस्टम अपग्रेड हो रहा
- इस पर करीब 550 करोड़ रुपए की राशि हो रही खर्च
- कुछ समय पूर्व रेलवे बोर्ड ने उत्तर-पश्चिम रेलवे को दी थी मंजूरी
- रेलवे बोर्ड विभिन्न सेक्शन की स्पीड बढ़ाने की कर रहा मॉनिटरिंग


- अजमेर-जयपुर-दिल्ली रूट पर 90 फीसदी हिस्से में लगा एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम
- रेवाड़ी-खैरथल के बीच डबल डिस्टेंट सिग्नल लगाए जा रहे
- खैरथल से जयपुर के जगतपुरा के बीच का कार्य पूरा हो चुका
- जयपुर-मदार सेक्शन में भांवसा से लाडपुरा तक काम पूरा हुआ


- गेगल आखरी-किशनगढ़-फुलेरा के बीच काम अंतिम चरण में
- मदार से पालनपुर सेक्शन में ट्रेनों को 130 KMPH की अनुमति पहले ही मिल चुकी


रेलवे प्रशासन के इन प्रयासों से लाइन कैपेसिटी बढ़ेगी और एक ही सेक्शन में ट्रेनों का संचालन बढ़ सकेगा. ट्रेन ऑपरेशन एक्सपर्ट डीपी मिश्रा और एक्स डीटीआई यादवेंद्र सिंह ने बताया कि एडवांस सिग्नलिंग सिस्टम से लाइन कैपेसिटी बढ़ जाती है. रेवाड़ी-अलवर-बंदीकुई-कानोता-जयपुर-फुलेरा-मदार रूट की कैपेसिटी बढ़ जाएगी. यानि सेक्शन में ट्रेनों को केटर करने की क्षमता बढ़ जाएगी. इस तकनीक से दो स्टेशनों के बीच करीब 1-1 किलोमीटर डिस्टेंस पर सिग्नल लगे होंगे. जो एक ट्रेन के दूसरे स्टेशन पर पहुंचने से पहले दूसरी ट्रेन को आगे बढ़ने के संकेत देंगे. इसमें सिग्नल फेलियर की संभावना भी बहुत कम होती है. इससे प्रति ट्रेन 3 से 5 मिनट की बचत होगी.


उत्तर-पश्चिम रेलवे में कितना हुआ कार्य


- इस वित्त वर्ष में 4 स्टेशनों पर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नलिंग सिस्टम लगे


- 6 टोकन लैस ब्लॉक इंस्ट्रूमेंट लगाए गए


- 20 स्टेशनों पर मॉडर्न इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग हुई


- 42 फाटकों पर इंटरलॉकिंग सिस्टम इंस्टॉल किया गया


- 142 फाटकों पर इमरजेंसी स्लाइडिंग बूम भी लगाए गए


- रेलवे प्रशासन ट्रैक पर जानवरों की आवाजाही रोकने की भी कवायद कर रहा


- रेवाड़ी-जयपुर, जयपुर-मदार और मदार-पालनपुर सेक्शन में कवायद


- ट्रैक के दोनों तरफ फेंसिंग का काम शुरू किया गया


- 734 किमी लंबे इस रूट पर फेंसिंग के लिए 800 करोड़ रुपए खर्च होंगे


रेलवे प्रशासन फेंसिंग की कवायद के तहत ट्रैक के दोनों ओर 2 मीटर ऊंची फेंसिंग लगाएगा. इसमें स्टेशन के यार्ड में दीवारें, कई जगह लोहे की चादर, लकड़ी के पिलर, तारों का जाल लगाया जाएगा. वहीं ग्रामीण इलाकों में पालतू पशुओं की आवाजाही के लिए छोटे-छोटे अंडरपास या सबवे बनाए जाएंगे. इससे ग्रामीणों को भी परेशानी नहीं होगी. सेक्शन में ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम भी लगाया जाएगा. इससे अगर कोई ट्रैक पर पहुंचा, तो ट्रेन के लोको पायलट को अलर्ट मैसेज पहुंच जाएगा. जिससे वो समय से इमरजेंसी ब्रेक अप्लाई कर ट्रेन को निश्चित दूरी पर रोक सकेगा.


रिपोर्ट- काशीराम चौधरी


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