Varuthini Ekadashi 2023 : हिंदू पंचांग में दो एकादशी बतायी गयी है. एक शुक्ल पक्ष की एकादशी और दूसरी कृष्ण पक्ष की एकादशी. सालभर में कुल 24 एकादशी होती है. वैशाख मास में आने वाली एकादशी को वरुधिनी एकादशी कहा जाता है. इसका दूसरा कल्याणकारी एकादशी भी है. 


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वरुथिनी एकादशी 2023 शुभ मुहूर्त ( Varuthini Ekadashi auspicious time)
वरुथिनी एकादशी तिथि का आरंभ 15 अप्रैल 2023 शनिवार की रात 08 बजकर 47 मिनट से हो चुका है और समापन आज यानि की 16 अप्रैल की शाम 6 बजकर 16 मिनट पर होगा. 


वरुथिनी एकादशी 2023: व्रत पारण मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी पारण मुहूर्त: 17 अप्रैल 2023 की सुबह 05 बजकर 54 मिनट से 08 बजकर 28 मिनट तक पारण किया जा सकता है.


मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी व्रत रखने से ब्राह्मण को दान देने से. करोड़ों वर्ष तक ध्यान करने और कन्या दान से मिलने वाले पुण्य फल के बराबर सुख मिलता है. इस व्रत को करने से श्री हरि विष्णु, माता लक्ष्मी और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद मिलता है.


वरुथिनी एकादशी व्रत कथा 
प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मांधाता नामक का एक राजा था. जो जंगल में तपस्या कर रहा था.तभी एक जंगली भालू ने राजा पर हमला कर उसका पैर चबा डाला और फिर राजा को घसीटते हुए अपने साथ ले गया. अपनी रक्षा के लिए राजा ने भगवान विष्णु को याद किया.  प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और अपने चक्र से भालू को मार दिया. भालू राजा का एक पैर चबा गया था. दुखी राजा को भगवान विष्णु ने कहा कि अब तुम मथुरा जाकर वरुथिनी एकादशी का व्रत करो. मेरी वराह अवतार मूर्ति की विधि विधान से पूजा करों तो सब ठीक हो जाएगा. राजा ने वैसा ही किया जैसा प्रभु ने कहा था और इसके प्रभाव से राजा बेहद सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया।


वरुथिनी एकादशी 2023 अचूक उपाय


  • आज के दिन तुलसी पर जल चढ़ाने और उसकी जड़ के पास की गीली मिट्टी को सभी परिवार के लोगों के माथे पर लगाना चाहिए. ऐसा करने पर उन सभी को सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है.

  • आज के दिन पीले रंग के कपड़े में नारियल बांधकर भगवान विष्णु को चढ़ाने से करियर से जुड़ी परेशानी दूर होती है.

  • आज दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु का अभिषेकर करें और बचा जल परिवार के सदस्यों पर छिड़क दें. ऐसा करने पर घर में सकारात्मकता आती है.

  • बिजनेस में फायदे के लिए आज श्री हरि को पीले रंग के फूल आर्पित करें और ऊं नमों भगवते नारायणाय मंत्र का 21 बार जप करें .