Mizoram incident: 28 फरवरी 1966 को भारतीय सुरक्षाबलों को बाहर निकालने के लिए एक ऑपरेशन मिजोरम में  शुरू किया गया. ‘ऑपरेशन जेरिको’ जिसका नाम रखा गया. मिजो नेशनल फ्रंट ने ऑपरेशन की शुरूआत की.


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मिजो नेशनल फ्रंट से निपटने की चुनौती


उस दौर में तत्कालीन पीएम लाल बहादुर शास्त्री का निधन हो चुका था. इंदिरा गांधी ने देश की कमान इसके ठीक 13 दिन बाद संभाली थी. उनके लिए कुर्सी संभालते ही सबसे बड़ी चुनौती मिजो नेशनल फ्रंट से निपटने की थी. 



मिजो नेशनल फ्रंट के नेता लालडेंगा ने इंडोनेशिया के तत्कालीन राष्ट्रपति सुकर्णो को पत्र लिखकर असम से जुड़े मिजोरम को अलग देश बनाने की इच्छा जाहिर इंदिरा गांधी के पीएम बनने से ठीक तीन दिन पहले की थी.


परेशन जेरिको काफी भयानक


मिजोरम में 1966 में शुरू हुआ ऑपरेशन जेरिको काफी भयानक था. इसको दबाने के लिए भारतीय वायुसेना ने अपने ही देश के एक प्रमुख हिस्से पर बम बरसाए. कांग्रेस और भाजपा में सियासी वार और पलटवार का दौर इसी घटना को लेकर इन दिनों देखने को मिल रहा है. इसमें ये बात भी सामने आई कि  वहां भेजे गए फाइटर जेट के पायलटों में  सुरेश कलमाड़ी और राजेश पायलट भी शामिल थे.


बता दें कि 1966 में असम का हिस्सा मिजोरम था. मिजो नेशनल फ्रंट ने इसे आजाद कराने का ऐलान किया.  भारतीय सेना के जवान वहां थे. मिजो नेशनल फ्रंट ने ऑपरेशन जेरिको जिन्हें खदेड़ने के लिए शुरू किया गया.भारी तबाही मिजोरम पर हुई उस बमबारी से हुई. हालांकि सेना की और सरकार की ओर से इसकी पुष्टि नहीं की गई.


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