Jaisalmer News: तनोट माता के मंदिर का होगा नवनिर्माण, BSF ने उठाया जिम्मा
Jaisalmer News: भारत-पाक सरहद पर बसी तनोट माता के मंदिर का नवनिर्माण होने जा रहा है, जिसका पूरा जिम्मा BSF ने उठाया है. 6 मई को बीएफएस ने यहां भूमि पूजन किया.
Jaisalmer News: भारत-पाक सरहद पर भारत की रखवाली करने वाली तनोट माता, जिन्हें सैनिकों की देवी और रुमाल वाली देवी के नाम से भी जाना जाता है. 1965 व 71 में भारत-पाकिस्तान के हुए युद्ध में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाली तनोट माता भारत-पाक सीमा पर बसे सरहदी जिले जैसलमेर के तनोट ग्राम पंचायत में इनका मंदिर स्थित है.
जहां प्रतिवर्ष हजारों की संख्या में भक्त व पर्यटक यहां आते हैं, जिसमें राजस्थान के साथ ही भारत के अन्य राज्यों से भी यहां लोग आकर माता के धोक लगाते हैं और मनोकामना मांगते हैं.
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वहीं, इस माता के मंदिर की पूजा-अर्चना का पूरा जिम्मा भारत की प्रथम सुरक्षा पंक्ति बीएसएफ के जवानों के कंधों पर हैं. इस दौरान यहां मंदिर परिसर में तनोट माता के दर्शन को नवरात्रि के अवसर पर विशाल जनसमूह उमड़ता है. वहीं, इस मुख्य मंदिर के पीछे जहां पूर्व में रेत के टीलों के नीचे तनोट माता की दबी हुई मूर्तियां मिली थी.
वहां, मंदिर का निर्माण करवाया जा रहा है, जिसका भूमि पूजन शनिवार शाम को किया गया. इस दौरान इस मंदिर के निर्माण का बेड़ा सीमा सुरक्षा बल ने उठाया है. भूमि पूजन के दौरान महंत नारायण गिरी के निर्देशन में बीएसएफ के डीआईजी असीम व्यास ने भूमि पूजन किया. वहीं, इस दौरान बीएसएफ के आलाधिकारियों के परिवारों के साथ ही जनप्रतिनिधि भी इस कार्यक्रम के साक्षी बने.
इस दौरान असीम व्यास के साथ ही 166वीं बीएसएफ बटालियन के सभी अधिकारी अपने परिवार के साथ ही महंत नारायणगिरी दूधेश्वर, नाथ मंदिर गाजियाबाद यूपी, रानी भटियाणी मंदिर जसोल के महंत कंवर हरिश्चंद्र सिंह के साथ ही जनप्रतिनिधि व भामाशाह भी उपस्थित रहे.
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भूमि पूजन के दौरान माता रानी भटियाणी संस्थान जसोल के महंत द्वारा चांदी के औजार जिसमें गेती, पावड़ा, तगारी दिए गए. वहीं, तनोट माता मंदिर के नए निर्माण कार्य को शुरू करने के लिए मुख्य मंदिर के पीछे भूमि पूजन जहां किया गया. उसके बाद नए मन्दिर की भूमि पर खुदाई का काम भी शुरू किया गया और तनोट माता मंदिर के मुख्य प्रांगण में पूजा-अर्चना कर दर्शनार्थियों के लिए प्रसाद वितरण का भी कार्यक्रम आयोजित हुआ. यहां दर्शनार्थियों के लिए भोजन की व्यवस्था भी की गई.
भामाशाहों ने दी सहयोग राशि
बीएसएफ इस मंदिर का निर्माण बीएसएफ के जवानों और भामाशाह के सहयोग से करने जा रहा है. इसके लिए जैसलमेर जिले के समाजसेवी व भामाशाह जगदीश सुथार द्वारा जहां 25 लाख रुपये की धनराशि दी गई. वहीं, भामाशाह तेजसिंह ने 1 लाख रुपये और जसोल माता मंदिर के महंत हरिश्चंद्र सिंह द्वारा 50 हजार रुपये, महंत नारायण गिरी द्वारा 11 हजार रुपये की सहयोग राशि दी गई. इसी के साथ भामाशाहों के सहयोग की ये श्रंखला लगातार जारी है.