Jalore: शहर के सुंदेलाव तालाब पर एक विशेष प्रवासी पक्षी अमूर फाल्कन देखा गया. जालोर जिले में अमूर फाल्कन पहली बार दिखाई दिया है. ये पक्षी अपनी 11 हजार किमी की यात्रा में केवल कुछ दिन ही भारत में बिताते हैं. पक्षी-अध्येता यशवंत गहलोत ने बताया कि भारत में पक्षियों की लगभग 1350 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से जालोर जिले में 207 प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं. इन प्रजातियों का विवरण ebird.org पर देखा जा सकता है.


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भारतीय मैदानों में बिताते हैं कुछ दिन 


अमूर फाल्कन छोटे आकार के शिकारी पक्षी हैं जो साइबेरिया, चीन और उत्तर कोरिया में अपनी गर्मियां बिताते हैं और शीतकालीन प्रवास के लिए भारत और श्रीलंका के रास्ते दक्षिण-पूर्वी अफ्रीका जाते हैं. इस तरह, ये कुछ ही दिन भारतीय मैदानों में बिताते हैं. नाबार्ड, बेंगलूरु में अधिकारी यशवंत गहलोत और एनसीटीई सदस्य संदीप जोशी ने अमूर फ़ाल्कन की तस्वीरें लीं.


इस टीम ने सुंदेलाव तालाब के आस-पास देशी-विदेशी पक्षियों की 50 से अधिक प्रजातियां रिकॉर्ड कीं. जिनमें नॉर्दन शॉवलर, ब्लूथ्रॉट, रफ, कॉमन सैंडपाइपर, वुड सैंडपाइपर, लिटल रिंगप्लोवर, कॉमन मूरहेन, लेसर ग्रेब, कॉमन पोचर्ड प्रमुख हैं. पिछले 8 वर्षों से पक्षियों का शौकिया अध्ययन कर रहे यशवंत गहलोत ने अपने दोस्त और संस्कृति शोध परिषद के निदेशक संदीप जोशी के साथ दो-तीन दिन जालौर तालाब पर पक्षियों का अध्ययन किया. मूलतः जालौर निवास यशवंत गहलोत नाबार्ड में राजभाषा अधिकारी एवं वर्तमान में बेंगलुरु पदस्थापित हैं. यशवंत गहलोत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी विभिन्न पक्षी अध्येता समूहों एवं व्यक्तियों से जुड़े हैं.


पक्षियों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध स्थान


जालौर का सुंदेलाव तालाब पक्षियों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध स्थान है. देश भर में ऐसे कम स्थान होंगे जहां इतनी अधिक विविधता वाले पक्षी एक स्थान पर पाए जाते हैं. देश के विभिन्न स्थानों पर बर्ड वाचिंग का अवसर मिला है किंतु अपने गृह नगर में एक साथ इतने पक्षियों को देखना निस्संदेह आश्चर्यजनक है, अत्यंत सुखद भी है. पानी के आस-पास रहने वाली कई पक्षी-प्रजातियां केवल छिछले पानी में पाई जाती हैं. इस दृष्टि से सुंदेलाव तालाब अत्यंत अनुकूल है. तालाब के कई हिस्सों में आधा फ़ुट से कम पानी है. ऐसे हिस्सों को वेटलैंड भी कह सकते हैं. इसलिए, इस तालाब के आस-पास पर्याप्त जैव-विविधता है. अमूर फाल्कन का अपनी यात्रा के दौरान यहां रुकना एक शुभ संकेत है. तालाब का प्राकृतिक स्वरूप बनाए रखने के लिए इसे कचरे और मानवीय हस्तक्षेप से बचाने की आवश्यकता है.


Reporter- Dungar Singh