Jalore: जिला मुख्यालय पर अस्पताल में मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ रही है. अस्पताल में कई बार अस्पताल कर्मचारियों के विवाद का परिणाम मरीज भुगतते है. शुक्रवार शाम को अस्पताल प्रशासन और 108 संचालकों के बीच विवाद के कारण करीब दो घंटे तक एक लावारिश मरीज अस्पताल के गेट पर दर्द से तड़पता रहा. अस्पताल में स्टाफ की भीड़ थी लेकिन उसे संभालने वाला कोई नहीं था. 


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मरीज दर्द से कराह रहा था और अस्पताल प्रशासन और एंबुलेंस संचालक तमाशा देखते रहे. जिला अस्पताल के PMO डॉ पूनम टांक भी वही पर आराम से बैठे नजर आए. हालांकि दो घंटे बाद मरीज को लेकर एम्बुलेंस रवाना हुई. शुक्रवार शाम को रानीवाड़ा से एक पेशेंट को भीनमाल रेफर किया गया, भीनमाल से जालौर रेफर किया गया और जालौर से डॉक्टरों ने जोधपुर रेफर कर दिया. 


अस्पताल प्रशासन का आरोप है कि एंबुलेंस संचालक मरीजों को ले जाने में आनाकानी करते हैं. अस्पताल की इस लड़ाई में पेशेंट स्ट्रेचर पर दर्द से कराह आता रहा लेकिन उसकी किसी को चिंता नहीं हुई कर्मचारी और 108 एंबुलेंस के कर्मचारी आपस में विवाद में उलझे रहे और स्ट्रेचर पर पड़े मरीज दर्द से कराहता रहा अस्पताल में डाक्टर द्वारा बिना कोई जाच या इलाज किए सीधा रेफर किया गया. रेफर करने के बाद हॉस्पिटल प्रशासन और डॉक्टरों ने कोई भी अटेंडर साथ नहीं भेजा इसलिए मरीज को परेशानी हुई है. 


108 एम्बुलेंस ड्राईवर का कहना है की एम्बुलेंस में मरीज को कुछ भी होता है उसकी जिम्मेदारी हमारी होती है. इसलिए अटेंडर को साथ भेजना जरूरी होता है. लेकिन अस्पताल प्रशासन अटेंडर साथ भेजने से मना कर देता है. लेकिन हकीकत ये है की दो घंटे बाद भी 108 एंबुलेंस बिना अटेंडर पेशेंट को लेकर गई थी. तब तक करीब दो घंटे तक मरीज स्ट्रेचर पर ही दर्द से कराहता रहा. 


शाम को जोधपुर पहुंचने पर मरीज का इलाज शुरू किया गया, लेकिन कल अल सुबह उस मरीज़ की मौत हो गई. काश जालोर अस्पताल में प्रॉपर इलाज कर समय पर जोधपुर रेफर किया होता तो इस मरीज़ की जान बच सकती थी कब जिले के सबसे बड़े अस्पताल के हालात सुधरेंगे यह तो आने वाला समय बताएगा.


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