`हेल्दी लीवर कैंपेन` का हुआ शुभारंभ, कैंपेन के तहत होगे जागरूकता कार्यक्रम
झुंझुनूं जिला प्रशासन, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से निरोगी राजस्थान अभियान के अंतर्गत `हेल्दी लीवर कैंपेन` शुरू किया गया है, जिसके तहत जनजागरूकता के साथ-साथ स्क्रीनिंग कर उपचार शुरू किया जाएगा.
Jhunjhunu: झुंझुनूं जिला प्रशासन, चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग की ओर से निरोगी राजस्थान अभियान के अंतर्गत 'हेल्दी लीवर कैंपेन' शुरू किया गया है, जिसके तहत जनजागरूकता के साथ-साथ स्क्रीनिंग कर उपचार शुरू किया जाएगा. झुंझुनूं में जिला कलेक्टर लक्ष्मण सिंह कुड़ी की अध्यक्षता में संबंधित विभागों की बैठक आयोजित की गई, जिसमें हेल्थी लीवर अभियान के तहत आयोजित करने वाली गतिविधियों की जिम्मेदारी तय की गई.
कलेक्टर कुड़ी ने स्वास्थ्य विभाग, पीएचईडी, स्वायत्त शासन विभाग, महिला और बाल विकास विभाग, शिक्षा विभाग के अधिकारियों से इस अभियान को सफल बनाने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने पीएचईडी विभाग सभी जल स्रोतों का क्लोरीनेशन करने के निर्देश दिए है. स्वास्थ्य विभाग को ज्यादा से ज्यादा स्क्रीनिंग कर उपचार करने, टीकाकरण करवाने, गर्भवती महिलाओं की हेपिटाइटिस की जांच करने के निर्देश दिए. उन्होंने नगर परिषद और नगर पालिकाओं के कचरा संग्रहन वाहनों पर हेल्थी लीवर जन जागरूकता के ऑडियो चलाने के निर्देश दिए.
साथ ही जनसंपर्क विभाग को इसके प्रचार प्रसार और जागरूकता की जिम्मेदारी प्रदान की है. कलेक्टर कुड़ी ने शिक्षा विभाग को रैली और अन्य जागरूकता गतिविधियों में भागीदारी के निर्देश दिए है. उन्होंने सभी ब्लॉक में एसडीएम की अध्यक्षता में मीटिंग बुलाकर अभियान के सफल क्रियान्वयन के निर्देश दिए है. इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने अभियान की कार्य योजना प्रस्तुत की है.
इस अवसर सभी संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे. इसके बाद सूचना सभागार में ओरिएंटेशन वर्कशॉप आयोजित की गई, जिसमें हेल्दी लीवर कैंपेन की जानकारी दी गई. इस अवसर पर सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर, डिप्टी सीएमएचओ डॉ. नरोत्तम जांगिड़, पीएमओ डॉ. वीडी बाजिया, नोडल अधिकारी डॉ. रजनीश माथुर, डीपीएम डॉ. विक्रमसिंह, माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. हरिश कौशिक, एपीडिमियोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप फौजदार, जिला आईईसी समन्वयक डॉ. महेश कड़वासरा, एंटीसीपी कंसलटेंट डॉ. ऋतु शेखावत व बीसीएमओ, बीपीएम, सीएचसी पीएचसी प्रभारी मौजूद रहे.
हेल्दी लीवर कैंपेन के संदर्भ में निदेशालय स्वास्थ्य विभाग जयपुर के संयुक्त निदेशक डॉ. एसएन धौलपुरिया और सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जानकारी देते हुए बताया कि कैंपेन के अंतर्गत लीवर (हेपेटाईटिस) के बारे में आमजन को जागरुक किया जाएगा, जो एक वायरल इंफेक्शन है. यह बीमारी लीवर को प्रभावित करती है और लीवर का काम शरीर के सभी अंगों को पोषक तत्त्व पहुंचाना होता है.
हेपेटाइटिस के संक्रमण से लीवर में सूजन आ जाती है, इससे व्यक्ति को पीलिया हो जाता है. यह संक्रामक बीमारी है जो लापरवाही करने पर एक से दूसरे व्यक्ति में भी फैल सकती है और जानलेवा भी हो सकती है. हेपेटाइटिस बी और सी सबसे ज्यादा खतरनाक होते हैं. इसके मरीजों को लिवर सिरोसिस होने की आशंका रहती है. इसमें मरीजों का लिवर सिकुड़कर काम करना बंद कर देता है. कई बार लीवर में पानी भर जाता है और खून की उल्टियां होने लगती हैं और शरीर पर सूजन आ जाती है. मरीज को लीवर कैंसर होने की आशंका बढ़ जाती है, ऐसे में इस बीमारी से बचाव ही सबसे कारगर उपाय है.
इसके लिए धारदार चीज जैसे इंजेक्शन, रेजर्स या टूथब्रश दूसरे से साझा न करें. असुरक्षित यौनसंबंध न बनाएं और दूषित खानपान से बचें और बच्चों को हेपेटाइटिस के टीके जरूर लगवाएं. गर्भवती महिलाओं का हेपेटाइटिस बी और सी टेस्ट करवाएं और खुली चोट को छूने से पहले हाथ अच्छी तरह साफ कर लें.
हेपेटाइटिस की प्रमुख वजह
दूसरे व्यक्ति का टूथब्रश और शेविंग रेजर इस्तेमाल करना, सिरिंज और सर्जरी के उपकरणों का बिना स्ट्रलाइजेशन इस्तेमाल करना, इंजेक्शन से किसी प्रकार का नशा करना, असुरक्षित तरीके से यौन संबंध बनाना, गलत तरीके से खून देना या चढ़वाना और दूषित खानपान हेपेटाइटिस के मुख्य कारण हैं.
हेपेटाइटिस के प्रकार और उनके कारण
वायरल हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं, इनमें हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई होता है. हेपेटाइटिस ए और ई दूषित पानी और भोजन के कारण होता है. वहीं हेपेटाइटिस बी, सी और डी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से होते हैं. हेपेटाइटिस ए और ई अपेक्षाकृत कम खतरनाक होते हैं, वहीं हेपेटाइटिस बी, सी और डी लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं.
इन लक्षणों से करें पहचान
भूख न लगना, जी मिचलाना और पेट में दर्द, आंखों में पीलापन, थकान और तेजी से वजन कम होना. पाचन संबंधी समस्या, उल्टियां आना, पैरों में सूजन, सिर में दर्द, हल्का बुखार रहना और यूरिन का कलर पीला होना.
हेपेटाइटिस की जांचें
इसमें लीवर फंक्सन टेस्ट, एंटीजन और एंटीबॉडीज टैस्ट कराने चाहिए हैं जिससे पता चल सके कि कौन-सा वायरस है और कितना एक्टिव है. हेपेटाइटिस से बचाव के लिए तीन टीके लगते हैं और पहले टीके के बाद अगला टीका 30वें और फिर 180वें दिन लगता है. हार्ट और बीपी के मरीज और गर्भवती महिलाओं को भी टीके लगवाएं. शिशुओं को जन्म के समय ही टीके लगवाना चाहिए.
सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार जिले में आगामी 28 जुलाई तक हेल्दी लीवर कैंपेन चलाया जाएगा. कैंपेन के दौरान विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम और गर्भवती महिलाओं, कैदियों, टीबी रोगियों, हाई रिस्क ग्रुप के व्यक्तियों, डायलिसिस वाले रोगियों और राज्य सरकार के निर्देशानुसार अन्य रोगियों की स्क्रीनिंग की जाएगी और पॉजिटिव पाए जाने पर उनका उपचार चिकित्सा संस्थानों पर किया जाएगा. बीडीके अस्पताल में डॉ. रजनीश माथुर को इसका नॉडल अधिकारी बनाए गए है.
Reporter: Sandeep Kedia
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