Jhunjhunu: एडीजे कोर्ट संख्या की न्यायाधीश सोनिया बेनीवाल ने पांच साल पुराने मामले दहेज के लिए अपनी पत्नी की हत्या करने के आरोपी पति जुबेर पुत्र फारूक और मृतका के ससुर फारूक पुत्र बशीर अहमद सब्जीफरोश निवासीगण मोहल्ला बटवालान वार्ड नंबर 27 झुंझुनूं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. 


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सहायक निदेशक अभियोजन कमलकिशोर शर्मा ने बताया कि मामले के अनुसार 6 अगस्त 2017 को शबनम बानो पत्नी बशीर रहमानी निवासी वार्ड नंबर 26 झुंझुनूं ने मामला दर्ज कराया था कि उसकी पुत्री मेहरूनिशा का निकाह 24 जनवरी 2016 को जुबेर पुत्र फारूक के साथ हुआ था. जुबेर और उसके सास-ससुर समेत अन्य ने दहेज के लिए उसकी बेटी को प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर उसको सुपुर्द जला दिया गया, जिस पर कोतवाली पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की तो पता चला कि मेहरूनिशा की मौत तीन दिन पहले ही हो चुकी है, जिसके शव का बिना पोस्टमार्टम कराए ससुराल वालों ने सुपुर्द जला दिया गया.


पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तीन दिन बाद कब्रिस्तान में ही मेहरूनिशा के शव को कब्र से निकलवाया और मौके पर ही मेडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम कराया. इसके बाद मामले की जांच शुरू हुई तो सामने आया कि मेहरूनिशा के पति जूबेर, ससुर फारूक और सास हुस्ना ने लगातार मेहरूनिशा पर दबाव बनाया कि वह मकान बनाने के लिए अपने पीहर से 50 लाख रूपए लेकर आए, जिसके बाद आरोपियों ने मारपीट कर उसकी हत्या कर दी. मेहरूनिशा की मां ने रिपोर्ट में बताया कि हत्या के वक्त उसकी बेटी 5-6 महीने की गर्भवती थी.


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साथ ही अंतिम बार उसकी अपनी बेटी से 4 अगस्त 2017 को दोपहर को बात हुई थी. उस वक्त भी उसने अपनी मां को बताया था, '' उसके साथ उसके पति, सास और ससुर आदि मारपीट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि अभी अपने पिता से 50 लाख रूपए मंगवा नहीं तो तेरे को जान से मार देंगे. मैंने मेरी लड़की से कहा कि बेटी मैं तेरे पिता से कहकर जल्दी से रूपए की व्यवस्था करती हूं और तू तेरे पति व ससुर से मेरी बात करवा तो टेलीफोन पर एक साथ मेरी लड़की के पति, ससुर, सास की आवाज आई और मुझे सुनाई दी कि हम तेरी मम्मी से कोई बात नहीं करना चाहते है और मेरी लड़की के हाथ से फोन छीन लिया.''


इसके दो-तीन घंटे बाद फोन आया कि तुम्हारी लड़की की तबियत ज्यादा खराब हो रही है. उसको अस्पताल ले जा रहे हैं. तब मेरा पति व लड़का अस्पताल गए और अस्पताल में उसकी लड़की को देखा तो चिकित्सक ने बताया कि वह मर चुकी है. यही नहीं उसके बाद उसकी लड़की का शव उसके ससुराल वाले ले जाकर उसको दफना दिया. अब उसे पता चला है कि उसकी लड़की के ससुराल वालों ने उसकी लड़की का बिना शव परिक्षण करवाए शव को दफना दिया. इसलिए उसकी पुत्री मेहररूनिशा का शव कब्रिस्तान से निकलवाकर, पोस्टमार्टम करवा कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.


पुलिस ने इस रिपोर्ट पर मामला दर्ज जांच शुरू की और मृतका का शव हांडीशाह कब्रिस्तान से बाहर निकलवाकर उसका पोस्टमार्टम मेडिकल बोर्ड से करवाया. इसके बाद जांच पुलिस ने पति जुबेर अली, सास हुस्ना बानो व ससुर फारूक अली के खिलाफ संबंधित न्यायालय में चालान पेश कर दिया. ट्रायल के दौरान सास हुस्ना बानो की मृत्यु हो गई थी. इस्तगासा पक्ष की तरफ से पैरवी कर रहे राज्य सरकार के सहायक निदेशक अभियोजन कमल किशोर शर्मा व मृतका की तरफ से पैरवी कर रहे गोकुलचंद सैनी ने कुल 15 गवाह के बयान करवा.  104 दस्तावेज प्रदर्शित करवाए. सहायक निदेशक कमल किशोर शर्मा और गोकुलचंद सैनी ने न्यायालय में तर्क दिया कि मृतका मेहरूनिशा गर्भवती थी. मृतका की मृत्यु के साथ-साथ गर्भ में पल रहे शिशु की भी मृत्यु हो गई. मामला गंभीर किस्म का है. इसलिए दोषियों को सख्त से सख्त सजा दी जाए. न्यायाधीश ने पत्रावली पर आई साक्ष्य का बारिकी से विशखेषण करते हुए पति जुबेर और ससुर फारूक को आजीवन सजा देने के साथ-साथ एक-एक लाख रूपए का जुर्माना, धारा 315 में पांच-पाचं वर्ष की सजा, धारा 498ए में दो-दो वर्ष, धारा 201 में तीन-तीन वर्ष और धारा 406 में दो-दो वर्ष का और कारावास देते हुए सभी सजाएं साथ-साथ भुगतने का आदेश दिया.


Reporter: Sandeep Kedia


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