झुंझुनूं न्यूज: पांच राज्यों के बीच 1994 में हुए यमुना जल समझौते के बाद यमुना का पानी झुंझुनूं जिले और चूरू जिले के राजगढ़ ब्लॉक के लाखों लोगों की प्यास बुझाने और सिंचाई में उपयोग लाने का दावा समझौते के 30 साल बाद भी कागजों में सिमटा हुआ हैं.जबकि यहां भूमिगत लाइन से यमुना का पानी लाने की फिजिबिलिटी रिपोर्ट से लेकर डीपीआर बनाई जा चुकी हैं.


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ईआरसीपी के बाद यमुना जल समझौते के तहत झुंझुनूं जिले और चूरू के राजगढ़ को मिलने वाले 1917 क्यूसेक पानी की ईआरसीपी पर सरकार द्वारा उठाए गए त्वरित कदम के बाद उम्मीद अब जगने लगी हैं. वहीं झुंझुनूं में गांव गांव में अब धरने पर बैठे किसानों का मानना हैं की केंद्र हरियाणा और राजस्थान में भाजपा की सरकार होने से समझौते के अनुसार झुंझुनूं को यमुना पानी मिलेगा.


पांच राज्यों के बीच वर्ष 1994 में यमुना जल समझौता हुआ.यमुना जल समझौते में तत्कालीन हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री भजनलाल, राजस्थान के मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत, यूपी के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री मदनलाल खुराना ने हस्ताक्षर किए.


इस समझौते के अनुसार राजस्थान के संपूर्ण झुंझुनूं जिले के अलावा चुरू जिले के राजगढ़ ब्लॉक को ताजेवाला हैड से तथा भरतपुर जिले को 1.19 बिलियन क्यूबिक मीटर पानी हथिनीकुंड और ओखला बैराज से मिलना तय हुआ. भरतपुर को ओखला बैराज से पानी मिल गया. मगर झुंझुनूं और चुरू के राजगढ़ ब्लॉक को 30 साल से हथिनी कुंड बैराज के ताजेवाला हैड से पानी मिलने का इंतजार हैं.


 1994 से अब तक की स्थित :
- 12 मई 1994 में हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, यूपी, हरियाणा, दिल्ली के बीच यमुना जल समझौता


- केन्द्रीय जल आयोग ने 7 फरवरी 2003 को स्वीकृति दी


- 14 फरवरी 2003 को हरियाणा सरकार का अपनी नहरों से पानी ले जाने के एमओयू को लेकर इंकार


- 9 जून 2017 को केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय का भूमिगत पाइप से पानी देने पर मंथन
- भूमिगत पाइप को लेकर ड्राफ्ट तैयार हुआ और 10 जुलाई को हरियाणा सरकार को भेजा गया


- केन्द्रीय जल आयोग ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट को स्वीकृति दी
- 8 फरवरी 2018 को डीपीआर की सहमति दी


- 22 फरवरी 2019 को डीपीआर रिपोर्ट केन्द्रीय जल आयोग को भेजी गई



गांवों में किसान और ग्रामीण धरना दे रहे हैं


यमुना जल समझौते को लागू करवाने की मांग को लेकर संघर्ष करने वाले संगठन अब एक मंच पर हैं और यमुना के पानी मांग को लेकर यमुना जल संघर्ष महा समिति का गठन किया हैं.यमुना जल महा संघर्ष समिति के बैनर तले जिले के दर्जनभर से अधिक गांवों में किसान और ग्रामीण धरना दे रहे हैं, तो वहीं यमुना के पानी की मांग को लेकर यमुना जल संघर्ष समिति द्वारा ग्राम पंचायत मुख्यालाओं पर धरना देते हुए पंचायत की बैठकों में झुंझुनूं में यमुना का पानी लेन के लिए प्रस्ताव लिए जाने हैं.


वहीं, 12 फरवरी को यमुना जल संघर्ष महा समिति की और कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन और किसान सभा की जाएगी. इसकों लेकर विभिन्न किसान संगठन और यमुना जल महा संघर्ष समिति के सदस्य गांव गांव जाकर पीले चावल देते हुए किसानों और ग्रामीणों को न्यौता दे रहे हैं. किसान नेता सुरेश महला ने बताया कि झुंझुनूं जिले में रोजगार का मुख्य जरिया खेती है.


ऐसे में लगातर गिरते जल स्तर ने किसानों के सामने आजीविका का संकट खड़ा कर दिया हैं. कई जगह किसान पलायन को मजबूर हैं. ऐसे में यमुना जल समझौते के अनुसार जिले को पानी मिलना चाहिए ताकि बंजर होते खेत फिर से लहलहा सके.


 ईआरसीपी के बाद अब झुंझुनूं के किसानों की आस जगने लगी है. यमुना जल समझौते के तहत झुंझुनूं को हथिनी कुंड बैराज के ताजेवाला हैड से 1917 क्यूबिक मिलियन मीटर पानी मिलेगा.ताजेवाला हैड से मिलने वाला 60 फीसदी पानी सिंचाई और 40 फीसदी पानी पीने के लिए होगा. ताजेवाला हैड से मिलने वाले पानी का 70 फ़ीसदी हिस्सा झुंझुनू को और 30 फीसदी सिंचाई का चूरू के राजगढ़ ब्लॉक को मिलना हैं.


यमुना जल संघर्ष समिति संयोजक यशवर्धन सिंह ने बताया कि ईआरसीपी की तरह अब यमुना के पानी को लेकर राजस्थान सरकार को केंद्र से डीपीआर को टेक्निकल अप्रूवल दिलवाने चाहिए. साथ ही हरियाणा से ताजेवाला हैड से पानी लाने को लेकर एमओयू करना चाहिए.


ताकि जिले की जनता को 30 साल बाद यमुना का पानी मिल सके. ईआरसीपी के बाद अब जिले के किसानों की उम्मीद जगने लगी है. किसानों का मानना है कि केंद्र, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा की सरकार होने से अब उनके 30 सालों की मांग पूरी होगी और झुंझुनू के हलक की प्यास बुझेगी.



 झुंझुनूं जिला आठ ब्लॉक में विभाजित हैं, जिले के आठों ब्लॉक डार्क जोन में जा चुके हैं. लगातार जल स्तर गिरने से जमीनी पानी सूखने लगा हैं. अब किसानों की उम्मीद यमुना के पानी से हैं. अब देखना ये होगा कि कब झुंझुनूं को यमुना जल समझौते के तहत उसके हिस्से का पानी मिलता हैं और झुंझुनूं के हलक की प्यास बुझती हैं.


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