झुंझुनूं: इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना की बैठक का हुआ बहिष्कार, सभापति को आया गुस्सा
इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहर में 9 सितंबर से शुरू होने वाली योजना के तहत जरूरतमंदों को रोजगार मिले, इसके लिए उनके जॉब कार्ड बनाने को लेकर नगरपरिषद में हुई पहली बैठक में अव्यवस्थाओं का आलम दिखा.
Jhunjhunu: इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत शहर में 9 सितंबर से शुरू होने वाली योजना के तहत जरूरतमंदों को रोजगार मिले, इसके लिए उनके जॉब कार्ड बनाने को लेकर नगरपरिषद में हुई पहली बैठक में अव्यवस्थाओं का आलम रहा. बैठक में तय समय के करीब सवा घंटे बाद भी आयुक्त नहीं पहुंचे तो हॉल में बैठे पार्षदों ने बैठक का बहिष्कार कर दिया. 60 में से महज 11 पार्षदों ने ही बैठक में हिस्सा लिया. पार्षदों का आरोप था कि आयुक्त जानबूझकर शहर की इस महत्वपूर्ण योजना को फैल करना चाहते हैं, इसलिए वह तय समय पर बैठक में नहीं आए.
हालांकि सभापति नगमा बानो ने कहा कि आयुक्त का कार्यभार उपखंड अधिकारी शैलेष खैरवा के पास हैं, जो बैठक के समय प्रशासनिक कार्यों के चलते महाराष्ट्र सरकार के मंत्री की प्रोटोकॉल ड्यूटी में थे. पार्षदों की उपस्थिति एक चौथाई भी नहीं होने से सभापति नगमा बानो खफा हो गईं. उनका कहना था कि पार्षदों की शिकायत थी कि कुछ अधिकारी और कर्मचारी आमजन की समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं देते हैं, इसलिए वह नाराज थे. उनकी नाराजगी दूर कर दी गई है. अधिकारी और कर्मचारियों को समस्याओं के निस्तारण के लिए सख्त निर्देश दिए गए हैं. सभापति ने बैठक में यह भी कहा कि जो पार्षद बैठक छोड़कर चले गए हैं. वह अब काम नहीं होने की शिकायत नहीं करें. उन्होंने नगर परिषद के अधिकारियों को भी उन्होंने हिदायत दी कि अपने काम को लेकर ईमानदारी और गंभीरता बरतें. सरकार उन्हें मोटी तनख्वाह देती है. लोगों के काम समय पर होने ही चाहिए.
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महाराष्ट्र के राजस्व, पशुपालन और डेयरी मंत्री के झुंझुनूं आगमन के चलते नगर परिषद आयुक्त शैलेष खैरवा को प्रोटोकॉल ड्यूटी में हवाई पट्टी जाना पड़ा. वह करीब 12 बजे लौटे. बैठक में देरी के चलते कुछ पार्षदों ने हल्ला किया तो सभापति नगमा बानो ने हालांकि करीब पौने 12 बजे बैठक शुरू करवा दी थी. बावजूद कुछ पार्षद सभागार से चले गए. 11 बचे पार्षदों और दो मनोनीत पार्षदों ने बैठक के मुख्य एजेंडे पर चर्चा के बाद स्ट्रीट लाइट, सफाई आदि को लेकर अधिकारियों की लापरवाही के मुद्दे छेड़ दिए. काफी देर तक सभापति सबकुछ सुनतीं रहीं. पार्षदों की शिकायत पर वह खफा हो गईं.
सभी पार्षद 11 बजे आ गए थे, 12.15 बजे तक आयुक्त नहीं आए, तब बहिष्कार किया निर्दलीय पार्षद अशोक प्रजापति का कहना था कि शहरी रोजगार गारंटी योजना को लेकर पहली महत्वपूर्ण बैठक थी. सभी पार्षद तय समय पर सुबह 11 बजे बैठक में पहुंच गए थे. नगरपरिषद के हॉल में बैठकर अधिकारियों के आने का इंतजार करते रहें. दोपहर सवा 12 बजे तक भी आयुक्त नहीं आए तब बहिष्कार कर हॉल से बाहर गए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि आयुक्त जानबूझकर योजना को विफल बनाना चाहते हैं. उनका वैसे भी नगरपरिषद में आने का कोई समय तय नहीं है. पार्षद उनके आने का इंतजार करते रहते हैं. कभी वे आधा घंटे के लिए आते है तो कभी एक घंटे के लिए ऐसे में आमजन की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पाता.
पार्षद बोले-शहर में स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं, लेकिन कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं होती पार्षदों का कहना था कि पिछले कुछ समय से शहर के अधिकांश इलाकों में स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं. शिकायत करने के बावजूद उन्हें ठीक नहीं किया जाता. संपर्क पोर्टल पर शिकायत की जाती है तो उसका समाधान किए बिना ही उसे ठीक करना बता दिया जाता है. लाइट ठीक करवाने के लिए जनता रोज चक्कर लगा रही है. इसके बावजूद संबंधित कंपनी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, यदि आयुक्त कंपनी के खिलाफ सख्त एक्सन ले तो शहर में स्ट्रीट लाइटें ठीक हो जाएंगी. पार्षदों का यह भी कहना था कि शहर में जगह-जगह अवैध निर्माण चल रहे हैं. उन्हें कोई देखने वाला नहीं है.
सफाई व्यवस्था चौपट पड़ी है. पार्षदों के कहने के बावजूद नगरपरिषद के अधिकारी कोई सुनवाई नहीं कर रहे हैं. सभापति बोलीं-सरकार मोटी तनख्वाह काम के लिए देती है बैठक में सभापति ने अधिकारियों से कहा-नालियों की सफाई नहीं होती. कचरा फैला पड़ा है. स्ट्रीट लाइट बंद है. इन समस्याओं के लिए फोन मेरे पास आते हैं. आम आदमी की सुनवाई क्यों नहीं होती और मेरे फोन पर सारे काम तत्काल क्यों हो जाते हैं. सभापति ने कहा कि सरकार मोटी तनख्वाह काम करने के लिए देती है. इसलिए अधिकारियों को शिकायत मिलने पर स्वत: ही उसका समाधान करा देना चाहिए. लोग हारकर मुझे फोन करते हैं. इस सिस्टम को खत्म करना होगा.
वाट्सएप ग्रुप में ही डाली थी बैठक होने की सूचना
बैठक में कुर्सियां खाली रहने का कारण पूछने पर संबंधित अधिकारी से जवाब मिला कि वॉट्सएप ग्रुप में बैठक संबंधी मैसेज डाल दिया था. इस पर वहां मौजूद पार्षद ईशाक फूलका ने कहा कि वे वॉट्सएप यूज नहीं करते हैं, उन्हें तो किसी और ने बताया है. कई अन्य पार्षदों की भी यही शिकायत थी. इस पर सभापति ने सख्त लहजे में कहा कि मैसेज पोस्ट कर देने से ही जिम्मेदारी खत्म मत समझें. सभी पार्षदों को फोन करके भी सूचना देनी चाहिए. आगे से ऐसी शिकायत नहीं मिलनी चाहिए.
जब तक संतुष्ट ना हो, साइन नहीं करें
पार्षदों ने आरोप लगाया कि वार्डों में सफाई व्यवस्था सही नहीं है. सफाई निरीक्षक ध्यान नहीं देते हैं. पार्षद तो यह सोचकर साइन कर देते हैं कि किसी गरीब का निवाला उनकी वजह से क्यों छीने. सभापति ने कहा कि गरीब के निवाले की मत सोचिए, काम के बदले ही उन्हें पैसा मिलता है और यदि आप उनके काम से संतुष्ट नहीं हैं तो साइन बिल्कुल मत कीजिए. भविष्य में अगर आप गरीब को देखकर साइन करेंगे तो फिर मुझसे कोई शिकायत मत करिएगा.
आयुक्त बोले-मंत्री की प्रोटोकॉल ड्यूटी पर गए थे
नगरपरिषद के कार्यवाहक आयुक्त शैलेष खैरवा मूल रूप से झुंझुनूं के एसडीएम हैं. उनके पास प्रशासनिक दायित्व भी है. उन्होंने कहा कि नगरपरिषद बैठक के समय ही शहर में महाराष्ट सरकार के मंत्री का दौरा तय है, इसलिए प्रोटोकॉल ड्यूटी में हवाई पट्टी जाना पड़ा. वहां समय लगने के कारण तय समय पर नहीं पहुंच सके. हालांकि पीछे से सभापति और एईएन ने बैठक शुरू करवा दी थी और कुछ समय बाद वे खुद भी पहुंच गए थे. बहिष्कार जैसी कोई बात नहीं है.
योजना के उद्देश्य
- शहरी क्षेत्र में 100 दिवस का गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध करवाना
- प्रत्येक पात्र परिवार को मांग आधार पर रोजगार उपलब्ध करवाना
- मुख्यत: श्रम आधारित कार्यों को ही सम्मिलित करना
योजना में ये होंगे काम
- सफाई से संबंधित कार्य
- एसडब्लूएम ठोस कचरा प्रबंधन
- जल स्रोतों का पुनरुद्धार
- तालाब, बावड़ी, कुआं की मिट्टी निकालना/सफाई करना
- रेनवाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर निर्माण/मरम्मत/सफाई
- पौधरोपण एवं बागवानी, पौधों की कटाई/छंटाई
- घर-घर कचरा संग्रहण और पृथक्करण के लिए श्रमिक कार्य
- सार्वजनिक सामुदायिक शौचालयों और मूत्रालयों की सफाई और रखरखाव
Reporter: Sandeep Kedia
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