Mandawa: सावन के महीने को भगवान शिव का प्रिय महीना माना जाता है. महीने में श्रद्धालु भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. इस महीने में भगवान शिव की पूजा-आराधना और जप-तप करना विशेष फलदाई होता है. एक पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सोमवार को ही शिवलिंग की उत्पत्ति हुई थी. आज हम आपको ऐसे शिवलिंग के दर्शन करवाएंगे, जिसके बारे में आपने कभी नहीं सुना होगा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भगवान शिव अगर प्रसन्न हो जाएं तो जीवन की सभी परेशानियों का हल हो सकता है. सावन में भगवान शिव की भक्ति में हर कोई लीन रहता हैं और भगवान शिव भी अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं. झुंझुनूं जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित मंडावा का पारदर्शी शिवलिंग है. पौराणिक मान्यता है कि एक बार जो इस शिवलिंग का दर्शन कर लेता हैं, वो फिर इसके बार बार दर्शन करने आता है. 


यह भी पढ़ें- PFI बैन को लेकर सतीश पूनिया का बड़ा बयान, CM अशोक गहलोत को दी यह सलाह


पुजारी रमाकांत ने बताया कि इस शिवलिंग की स्थापना करीब 250 साल पहले भागचंदका की बगीची में करवाई गई थी. मंडावा में रहने वाले साधु बृजदास महाराज के पास एक साधु पहुंचे. उन्होंने बताया कि उनके पास एक दुर्लभ स्फटीक पारदर्शी पत्थर है, जिसकी वे स्थापना करना चाहते हैं. यह बात सेठ हरचंदराय को पता चली तो वे स्थापना के लिए तैयार हो गए. साधु ने स्फटीक पत्थर को सेठ को सौंप दिया. उस वक्त पत्थर को शिवलिंग का आकार देने में 250 साल पहले पांच सौ रुपये खर्चा आया था. शिवलिंग का आकर देने के बाद इस शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई. देशी ही नहीं विदेश भी इस मंदिर में भगवान शिव को जलाभिषेक करते हैं. सावन में सुबह मंत्रोच्चार के साथ रुद्राभिषेक किया जाता हैं. इस मन्दिर में अनेक जगहों से लोग कल सर्प योग के निवारण के लिए भी पूजा-अर्चना करने आते हैं.


किसी करिश्मे से कम नहीं पारदर्शी शिवलिंग मंदिर 
मंडावा के वार्ड 18 में स्थित पारदर्शी शिवलिंग मंदिर में स्थापित शिवलिंग लोगों के लिए किसी करिश्मे से कम नहीं है. मंदिर में 250 साल पुराना स्फटीक पत्थर से बना शिवलिंग है. शिवलिंग पारदर्शी है. जैसे ही ज्योति जलाई जाती है तो शिवलिंग सोने का दमकने लगता है. रोज बड़ी संख्या में लोग इस अद्‌भुत शिवलिंग को देखने आते हैं. सावन में इस मन्दिर में शिव भक्तों की भीड़ दर्शनों के लिए उमड़ती हैं. मंडावा पर्यटन नगरी होने के कारण यह आने वाले विदेशी पर्यटक पारदर्शी शिवलिंग को जरूर देखने आते हैं. इस शिवलिंग के दूसरी ओर दीपक जलाकर देखने पर सर्प की आकृति दिखाई देती है. इस मंदिर का निर्माण बैसाख बदी 13 को विक्रम संवत 1956 में सेठ हरचंदराय ढांढणिया ने करवाया था. मंदिर में शिवलिंग की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद हिमालय से आए संत ने अपने प्राण त्याग दिए थे.


बताया जाता है कि पारदर्शी शिवलिंग देश में कुछ चुनिंदा जगहों पर ही है लेकिन राजस्थान में मंडावा में यह एकमात्र ऐसा शिवलिंग है. जो पारदर्शी है, जिसे लेकर ना केवल शिवभक्तों में अलग ही श्रद्धा भाव है. वहीं यहां पर आने वाले सैलानियों के लिए भी यह अनूठा मंदिर है.


Reporter- Sandeep Kedia


झुंझुनूं की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.


यह भी पढे़ं- जिंदगी भर पति से ये बातें छिपाती है हर पत्नी, आखिरी दम तक नहीं बताती, खुद ले सकते टेस्ट


यह भी पढे़ं- अर्श से फर्श तक पहुंच सकता है इंसान, जब बृहस्पति चलेंगे उल्टी चाल, जानें अपनी राशि पर असर


यह भी पढे़ं- यहां देखिए उर्फी जावेद के अब तक के सबसे बोल्ड वीडियोज, एक में तो बंद कर लेंगे आंखें