जोधपुर (राजीव गौड़): जोधपुर की आन-बान और शान का प्रतिक जोधपुरी साफे का कद और ऊंचा हो गया जब देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर इसको धारण किया गया.प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बार फिर राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस पर जिस तरह से पचरंगी साफा पहनकर जोधपुर का मान बढाया उससे सभी जोधपुर वासियों को ना केवल गर्व की अनुभूति हो रही है बल्कि उनका सर फक्र से ऊंचा भी हो गया है.जोधपुर से यह साफा बीजेपी के वरिष्ठ नेता ओम माथुर द्वारा भेजने की बात सामने आ रही है.


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आपको बता दे कि पहले भी पीएम मोदी को बीजेपी नेता ओममाथुर के माध्यम से राजस्थानी साफा भेजा गया था.जोधपुर साफा धारण कर जिस तरह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ध्वजारोहण किया और बाद में जब संबोधित कर रहे थे तो उनके सिर पर जोधपुर की आन बान और शान का प्रतीक पचरंगी साफा देखकर हर जोधपुर वासी अपने आप में गौरव की अनुभूति कर रहा था.



गौरतलब है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा पूर्व में भी राजस्थानी साफा धारण किया गया था जो कि जोधपुर से ही गया था वही इस बार भी जिस तरह उन्होने जोधपुर के पतरंगी साफे को धारण का पूरे जोधपुर वासियों का गौरव बढाया है उससे स्थानीय जनप्रतिनिधियों में तो खुशी की लहर है ही साथ ही जोधपुर वासियों का भी उत्साह चरम पर है.


 



 


26 जनवरी 2017ः पीएम मोदी ने गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान गुलाबी रंग का साफा पहना था. इस दौरान गणतंत्र दिवस समारोह में आबू धाबी के प्रिंस जनरल शेख मोहम्मद मुख्य अतिथि थे.  



 


26 जनवरी 2016ः पीएम मोदी ने पीले रंग का साफा पहना था. इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसिसो ओलांद ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की थी. 



 


26 जनवरी 2015 को पीएम मोदी ने लाल हरे रंग की जयपुरी छापे की पगड़ी पहनी थी. इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए थे.



इसके अलावा पीएम मोदी ने चार बार स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश के नाम संबोधन किया है. हर बार पीएम मोदी ने अलग-अलग परंपरा और क्षेत्रों के साफे पहनकर देशवासियों को गौरवान्वित महसूस कराया.
आपको बताते हैं कि 2014 से 2017 तक पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर कैसे-कैसे साफे पहने है. 



15 अगस्त 2017ः पीएम ने लगातार चौथी बार साफा (खास तरह की पगड़ी) पहनकर लाल किले पर तिरंगा फहराया. इस बार के साफे की लंबाई पहले पहने गए साफे से काफी ज्‍यादा थी. इस बार प्रधानमंत्री मोदी केसरिया और पीले रंग के साफे में लाल किले पर तिरंगा फहराने पहुंचे थे. साफे का पिछला हिस्सा काफी लंबा था. यह हर बार के मुकाबले इतना लंबा था कि पीएम के घुटनों तक पहुंच रहा था. इसे प्रधानमंत्री का अब तक का सबसे लंबा साफा माना जा रहा था. पीएम के इस साफे को गुजराती साफा बताया जा रहा है.




15 अगस्त 2016ः प्रधानमंत्री मोदी साल 2016 में जोधपुरी साफा पहनकर लाल किले पर पहंचे थे. इस बार उन्‍होंने बेहद सादा कुर्ता पहना था लेकिन लाल, गुलाब और पीले रंग के उनके जोधपुरी साफे ने सबका दिल जीत लिया था. यह जोधपुर का प्रसिद्ध गजशाही साफा था. इनमें सू्ती कपड़ों को सफेद, हरा, केसरिया, गुलाबी, पीले और लाल रंग की पट्टियों में ऐसा रंगा जाता है कि एक साथ एक कपड़े कई रंग में दिखते हैं. इस साफ को प्रधानमंत्री ने खुद पसंद किया था. 2016 में अलग-अलग तरह के पांच साफों को पीएम निवास भेजा गया था. उन साफों में से पीएम ने नौ मीटर लंबे केसरिया पट्टी वाले गजशाही साफे को पसंद किया था.




15 अगस्त 2015ः  इस साल प्रधानमंत्री मोदी अपने साफे को लेकर भी काफी चर्चा में रहे थे. जयपुरी छापे के इस साफे में हरी और लाल धारियां थीं. साफे के पिछले हिस्से की लंबाई पीएम मोदी की कमर तक थी.




15 अगस्त 2014ः  साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर पीएम को तौर पर पहली बार झंडा फहराया तब वह पूरी तरह तिरंगे के रंग में नजर आए थे. मोदी ने सफेद कुर्ते-पायजामे के साथ राजस्थान के बांधनी प्रिंट का केसरिया साफा पहना था. तिरंगे के तीसरे रंग को उनके लिबास में शामिल करने के लिए साफे का किनारा हरा रखा गया था.



 


क्या है साफा
आपको बता दें कि गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश समेत देश के अलग-अलग हिस्‍सों में साफा को शान का प्रतीक माना गया है. खुशी के मौकों पर मारवाड़ में साफा बांधने का रिवाज है. राजस्थान में परंपरा रही है कि यहां के लोग बिना सिर को ढके घर से बाहर नहीं निकलते थे. हर वर्ग और तबके के लिए रंग और आकार के आधार पर साफों को पहनने का रिवाज रहा है. विषम जलवायु वाले राजस्थान में ये धूप और अधिक ठण्ड से भी बचाता है. साफे बनावट के आधार पर कई तरह के होते हैं, जैसे उदैसाही, राजशाही, स्वरुपशाही.