Jodhpur Crime News:पश्चिम राजस्थान जिसमें खास तौर पर जोधपुर और आस पास के क्षेत्रों में मेफेड्रोन यानी एमडी ड्रग्स बनाने के कारखाने के एक के बाद एक खुलासे हो रहे हैं. नशे का कारोबार फलफूल रहा है,लेकिन एजेंसी को भनक लगने में बहुत देर हो गई. दो सप्ताह में हुई कार्रवाई ने एजेंसियों की नींद उडा दी है,लेकिन स्थानीय पुलिस पूरी तरह से खाली हाथ रही है. 


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उन्हें भनक नहीं लगी कि उनके क्षेत्र में एमडी बन रही हैं. रविवार को मुंबई पुलिस ने मोगडा में बडी कार्रवाई को अंजाम देकर पुलिस को एक तरह से चुनौती दे दी है. एनसीबी जोधपुर के जोनल डायरेक्टर घनश्याम सोनी का कहना है कि क्षेत्र एमडी बनाने का हब बनता जा रहा है. इस पर जल्दी नियंत्रण नहीं हुआ तो स्थितियां नियंत्रण से बाहर हो जाएगी. 



इधर रेंज महानिरीक्षक विकास कुमार ने भी इसे गंभीरता से लिया है. उन्होंने माना कि लोकल पुलिस की कमी रही है, लेकिन अब पुलिस भी एक्शन के मूड में है. इसको लेकर हमने काम शुरू कर दिया है. जल्द हमारा एक्शन भी होगा. 


एनसीबी के जोनल डायरेक्टर सोनी का कहना है कि तस्करों पर कार्रवाई के लिए जरूरी है कि एनडीपीएस की धारा 68—एफ के तहत ड्रग्स की कामर्शियल क्षमता यानी करीब पचास ग्राम एमडी के साथ कोई गिरफ्तार होता है,तो उस व्यक्ति की संपति की जांच कर जब्त की जा सकती है. 



ऐसी कार्रवाई ही तस्करों और पैडलर की कमर तोड सकती हैं. इसकी शुरूआत उन्होंने कर दी है. लेकिन सभी को करनी चाहिए. जिससे तस्करी पर भी लगाम लगेगी. उन्होने कहा कि वर्तमान में जिस तरह से सिंथेटिक ड्रग्स जो है कि इंडस्ट्रीज में काम आने वाले केमिकल जो कि प्रतिबंधित नही है ये सबसे बडी चुनौती भी है क्योकि एनडीपीएस के तहत ये केमिकल नही आते है. 


ऐसे में ये चुनौती है क्योकि सिंथेटिक ड्रग्स बनाने के लिए सब कुछ टेक्निकल एक्सपर्ट पर निर्भर है जो कि विदेशो से भी सम्पर्क में रहते है और केमिकल जो कि एनडीपीएस में प्रतिबंधित नही है उनसे नए नए प्रयोग के साथ ड्रग्स तैयार करते है. मेफेड्रोन भी 2015 तक एनडीपीएस में शामिल नही थी ऐसे में कई बार मुश्किले भी होती है क्योकि कई केमिकल प्रतिबंधित नही है.



इन सिंथेटिक कैमिकल से बनती है मेफेड्रोन यानी एमडी


दरअसल एमडी का निर्माण पूरी तरह से इंडस्ट्रीयल कैमिकल्स से हो रहा है. जिनको प्रतिबंध नहीं किया जा सकता. जो आसानी से मिल जाते हैं. एमडी बनाने में मिथाइलमिन, मिथाइलमिन हाइड्रोक्लोराइड, मिथाइल ब्रोमो प्रोपिओफिनोन के अलावा टोलोविन, मिथाइलोन हाइड्रोक्लोराइड एसिड का उपयोग किया जाता है. इनका अंतिम उत्पादन एमडी ड्रग्स होता है. जो एक से दो करोड रुपए प्रति किलो बिकती है.


400 करोड से अधिक ड्रग जब्त
एनसीबी और गुजरात एटीएस ने गत माह गुजरात और राजस्थान में ताबडतोड कार्रवाई करते हुए कई कारखाने पकडे थे. जिनसे करीब तीन सौ करोड की ड्रग्स बरामद हुई थी. उस कार्रवाई में सिरोही में सामने आई फैक्ट्री में मौके से 45 करोड की ड्रग जोधपुर एनसीबी ने बरामद की थी. इसके बाद ओसियां में मिली फैक्ट्री में भी जांच के बाद एमडी बनाना साबित हो गया. 


रविवार को मुंबई पुलिस ने सौ करोड से अधिक का माल पकडा. जिसमें एमडी डेढ किलो थी. लेकिन रसायन भारी मात्रा मिला. जो बताता है कि क्षेत्र में सिंथेटिक ड्रग बनाना कितना आसान होता जा रहा है. एनसीबी का मानना है कि समय रहते उत्पादन पर नियंत्रण नहीं हुआ तो क्षेत्र के लिए बडी परेशानी हो जाएगी.


राजस्थान में नशे का बढता कारोबार ने ड्रग माफियों के लिए पश्चिम राजस्थान को उत्पादन का हब बनता जा रहा है देखने वाली बात है कि लगातार कारखाने पकडे गए लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नही लगी. कारखाने लगने की भनक समय रहते लगती तो इन माफियाओं पर शुरूआत में ही अंकुश लग जाता लेकिन ऐसा नही हो सका. 



वृद्धजन तो अभी भी पुराने अफीम व डोडे के नशे की लत के शिकार है,लेकिन आज की युवा पीढी इस सिंथेटिक ड्रग की शिकार हो रही है. ऐसे में आमजन को भी आगे आने की आवश्यकता है क्योकि इसमें आपके और हमारे बच्चे भी शिकार हो सकते है इसीलिए युवा पीढी को बचाने का जिम्मा ना केवल पुलिस का बल्कि हमारा भी है.


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