Jodhpur News:देश के पूर्व सॉलिसिटर जनरल हरीश साल्वे समेत 600 से ज्यादा वरिष्ठ वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा गया है. जिसमें कहा गया है कि न्यायपालिका खतरे में है और इसे राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव से बचाना होगा. अधिवक्ताओं ने लिखा कि न्यायिक अखंडता को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. 


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हम वो लोग हैं, जो कानून को कायम रखने के लिए काम करते हैं. हमारा यह मानना है कि हमें अदालतों के लिए खड़ा होना होगा. अब साथ आने और आवाज उठाने का वक्त है. उनके खिलाफ बोलने का वक्त है जो छिपकर वार कर रहे हैं. हमें निश्चित करना होगा कि अदालतें लोकतंत्र का स्तंभ बनी रहें. इन सोचे-समझे हमलों का उन पर कोई असर ना पड़े.


 जोधपुर से राजस्थान हाईकोर्ट लॉयर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष आनन्द पुरोहित सहित पांचों अतिरिक्त महाधिवक्ता जिसमें वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश पंवार,महावीर विश्नोई,बंशीलाल भाटी,मनीष पटेल,प्रवीण खंडेलवाल शामिल है. इसके अलावा जोधपुर से करीब 100 अधिवक्ताओं ने हस्ताक्षर किए है. वकीलों ने लिखा, ''रिस्पेक्टेड सर, हम सभी आपके साथ अपनी बड़ी चिंता साझा कर रहे हैं. 



एक विशेष समूह न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. यह ग्रुप न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है और अपने घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा के तहत उथले आरोप लगाकर अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है. उनकी इन हरकतों से न्यायपालिका की पहचान बतानेवाला सौहार्द्र और विश्वास का वातावरण खराब हो रहा है. राजनीतिक मामलों में दबाव के हथकंडे आम बात हैं, खासतौर से उन केसेस में जिनमें कोई राजनेता भ्रष्टाचार के आरोप में घिरा है. 



ये हथकंडे हमारी अदालतों को नुकसान पहुंचा रही हैं और लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा हैं. ये विशेष समूह कई तरीके से काम करता है. ये हमारी अदालतों के स्वर्णिम अतीत का हवाला देते हैं और आज की घटनाओं से तुलना करते हैं. ये महज जानबूझकर दिए गए बयान हैं ताकि फैसलों को प्रभावित किया जा सके और राजनीतिक फायदे के लिए अदालतों को संकट में डाला जा सके. 


यह देखकर परेशानी होती है कि कुछ वकील दिन में किसी राजनेता का केस लड़ते हैं और रात में वो मीडिया में चले जाते हैं, ताकि फैसले को प्रभावित किया जा सके. ये बेंच फिक्सिंग की थ्योरी भी गढ़ रहे हैं. यह हरकत ना केवल हमारी अदालतों का असम्मान है,बल्कि मानहानि भी है. यह हमारी अदालतों की गरिमा पर किया गया हमला है. 



न्यायाधीशों पर भी हमले किए जा रहे हैं. उनके बारे में झूठी बातें बोली जा रही हैं. ये इस हद तक नीचे उतर आए हैं कि हमारी अदालतों से उन देशों की तुलना कर रहे हैं, जहां कानून नाम की चीज नहीं है. हमारी न्यायपालिका पर अन्यायपूर्ण कार्यवाही का आरोप लगाया जा रहा है."


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