Jaisalmer: विज्ञान के युग में आस्था भारी, जमीन पर लुढ़ककर पूरी की 430 किलोमीटर की यात्रा
रामदेवरा में बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए आई ऐसी एक भक्त जो राजस्थान के इस महातीर्थ में अपने आराध्यदेव की समाधि के दर्शनों के लिए लुढ़ककर यात्रा पूरी पर राजस्थान पहुंची है.
Jaisalmer: कहते हैं कि आस्था से बड़ा कुछ भी नहीं होता. भगवान के प्रति अगर सच्ची श्रद्धा हो तो भक्त किसी भी विपरीत परिस्थिति से लड़ जाता है और उसकी इस लडाई में भगवान भी उसका पूरा साथ देते हैं. जैसलमेर (Jaisalmer News) जिले के रामदेवरा में बाबा रामदेव की समाधि के दर्शनों के लिए आई ऐसी ही एक भक्त जो राजस्थान के इस महातीर्थ में अपने आराध्यदेव की समाधि के दर्शनों के लिए लुढ़ककर यात्रा पूरी पर राजस्थान पहुंची है.
पश्चिम राजस्थान का महाकुंभ
रामदेवरा स्थित बाबा रामदेव का मंदिर पश्चिमी राजस्थान का महाकुंभ कहलाया जाता है. हर बरस लाखों लोग देश दुनिया से बाबा की समाधि के दर्शन करने आते है. ऐसी ही एक भक्त रामदेवरा पहुंची है जो खुद को बाबा की परम भक्त बताती है. नेनुबाई आबूरोड से रामदेवरा आई है और जमीन पर लुढ़ककर 3 महीने की कठिन यात्रा करके रामदेवरा पहुंची है. नेनुबाई की भक्ति की हर कोई मिसाल दे रहा है.
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कठिन मार्गों से होते हुए पूरा किया सफर
दरअसल नेनुबाई (Nenubai) जमीन पर लुढ़ककर कठिन मार्गों से होते हुए करीब 430 किलोमीटर का सफर तय करके रामदेवरा आई है. नेनुबाई बताती है कि वो बाबा की परम भक्त है और बाबा रामदेव में उनकी गहरी आस्था है. बाबा बस उसकी आस्था को मान ले, यही उसकी कामना है.
430 किलोमीटर लुढकते हुए पूरी की यात्रा
आबूरोड़ के उमरनी गांव की निवासी नेनुबाई पहले भी बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन करने रामदेवरा आ चुकी है लेकिन इस बार उन्होंने अपनी यात्रा लुढकते हुए पूरी की है. नेनुबाई ने बताया कि 3 महीने में उसने 430 किलोमीटर की लुढकते हुए जो यात्रा पूरी की है वो बाबा रामदेव जी के आशीर्वाद से ही पूरी हो पाई है. रास्ते भर इस भीषण सर्दी में भी यात्रा में कोई तकलीफ और परेशानी नहीं हुई.
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क्या है नेनुबाई की मनोकामना
हालांकि उनकी मनोकामना क्या है इस बारे में नेनुबाई ने कुछ नहीं बताया बस वो आस्था की लहर में बाबा के पास आ गई है. नेनुबाई के साथ करीब बीस श्रद्धालुओं का जत्था भी बाबा रामदेव के भजन-वाणी करते हुए उनके साथ चल रहा है. नेनुबाई ने बताया कि वो बचपन से ही बाबा रामदेव जी की भक्त है और आराधना करती है. दरअसल भक्त और भगवान का रिश्ता बहुत ही अटूट होता है. भक्त अपने भगवान को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग प्रकार के जतन करते है क्योंकि भक्त को पूरा भरोसा होता है कि उसका आराध्यदेव उसकी मनोकामना जरूर पूरी करेगा.